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राममंदिर की पहले वर्षगांठ पर स्वर्ग से सुंदर दिखेगी अयोध्या:देवी-देवताओं और ऋषियों के 18 अन्य मंदिरों का निर्माण तेज हुआ

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राम मंदिर की पहली वर्षगांठ पर श्रीरामजन्मभूमि परिसर स्वर्ग की तरह दिखेगा।भव्य रोशनी और दिव्य फूलों की सजावट के बीच वैदिक मंत्रों की गूंज के बीच भक्त रामलला का दर्शन करेंगे।इस सबके बीच 2500 मजूदरों की सहायता से भव्य-दिव्य मंदिर रोज दिव्यता को प्राप्त कर रहा है। राम मंदिर का दूसरा तल तेजी से बन रहा है।इस बीच रामजन्मभूमि परिसर में 18 अन्य मंदिर भी तेजी से बन रहे हैं। इन मंदिरों में राम मंदिर के प्रथम तल के गभर्गृह में माता सीता, लक्ष्मण तथा हनुमान जी सहित श्रीराम दरबार का मंदिर होगा। परिसर के अन्य 17 मंदिर भी शामिल हैं। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार इन मंदिरों का निर्माण तेज गति से चल रहा है और अगले वर्ष अक्टूबर से दिसंबर माह तक इनका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। पहले था सुमित्रा भवन अब वहां बन रहा शेषावतार का मंदिर इनमें खास तौर पर श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण का स्वतंत्र मंदिर शेषावतार मंदिर के रूप में आकार ग्रहण कर रहा है। जो मान्यता और प्रामाणिकता रामजन्मभूमि को हासिल है। इसी मान्यता और प्रामाणिकता के अनुसार युगों से रामजन्मभूमि के बगल ही लक्ष्मण की जन्मभूमि प्रतिष्ठित है। यहां कभी सुमित्रा भवन के नाम से मंदिर था भी और अब इस विरासत को शेषावतार मंदिर के रूप में नए सिरे से आकार दिया जा रहा है। पूर्वी-दक्षिणी कोने पर भगवान गणेश के मंदिर बन रहा है जबकि राम मंदिर के परकोटे का दक्षिणी-पश्चिमी कोना भगवान भास्कर के मंदिर, पश्चिमी-उत्तरी कोना भगवती, उत्तर-पूर्वी कोना भगवान शिव तथा पूर्वी-दक्षिणी कोने पर भगवान गणेश के मंदिर बन रहा है। जबकि परकोटा की दक्षिणी दीवार का मध्य बजरंगबली और उत्तरी दीवार का मध्य मां अन्नपूर्णा के मंदिर से युक्त होगा। विश्वामित्र, वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य सहित निषादराज, शबरी,अहिल्या तथा रामकथा के अमर गायक गोस्वामी तुलसीदास के भी मंदिर से राम मंदिर के आसपास का क्षेत्र दिव्य हाोगा। चंपत राय के अनुसार रामजन्मभूमि परिसर चार द्वारों से संरक्षित-सज्जित होगा। परिसर में एक विशाल प्रेक्षागृह, विश्राम गृह एवं रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय का भी निर्माण प्रस्तावित है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का एक अन्य प्रकल्प अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के रूप में भी उच्चीकृत हो रहा है। अगले वर्ष तक इस दिशा में प्रयास आकार ग्रहण कर लेगा।

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