बरेली में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने 269,729 लंबित वादों का त्वरित और प्रभावी समाधान किया। इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश सुधीर कुमार के नेतृत्व में विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीशों, बैंकों, बीमा कंपनियों के अधिकारियों और अधिवक्ताओं की उपस्थिति में राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन हुआ। अदालत के इस आयोजन में न केवल लंबित मुकदमों का समाधान किया गया, बल्कि 123 जोड़ो के बीच समझौते कराए गए, जिससे पारिवारिक विवादों का भी समाधान हुआ। राष्ट्रीय लोक अदालत में नतीजे और फायदे बरेली में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने 269,729 लंबित वादों का सफल निस्तारण किया। इस बार सत्र न्यायालयों में 385 वाद, दीवानी न्यायालयों में 10,470 वाद और फौजदारी न्यायालयों में 3,753 वादों का निस्तारण किया गया। कुल जुर्माना राशि 2,934,300 रुपये रही। यह नतीजे दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय लोक अदालत ने न्यायिक प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पारिवारिक समझौतों की विजय इस बार की लोक अदालत में 123 जोड़ो के बीच समझौता कराया गया। प्रधान न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने 15 दंपतियों को सुलह समझौते के साथ विदा किया, जबकि अपर प्रधान न्यायाधीश शिवानी सिंह, प्रतिभा सक्सेना और सुनीता शर्मा द्वारा 108 वादों का निस्तारण किया गया। यह पहल पारिवारिक विवादों को सुलझाने में सफल साबित हुई, जिससे परिवारों के बीच बेहतर समझौता हुआ। जनता की सहायता लोक अदालत परिसर में हेल्प डेस्क स्थापित किया गया था, जहां पैरा लीगल वालंटियरों ने जनता की समस्याओं और उन्हें न्याय की जानकारी देने में मदद की। इस प्रयास से लोगों को न्याय की जानकारी प्राप्त करने में आसानी हुई और उन्हें कानूनी सहायता मुहैया कराई गई। राष्ट्रीय लोक अदालत के फायदे लंबित वादों का त्वरित समाधान सुनिश्चित किया गया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आई। सजनता के लिए न्याय को सुलभ बनाने का कार्य किया गया। जनता को उनके घर के करीब ही न्याय मिल सका। पारिवारिक विवादों और अन्य विवादों के समझौतों को बढ़ावा दिया गया, जिससे समाज में सौहार्द बना। हेल्प डेस्क की स्थापना से जनता को न्याय की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया गया और उनकी समस्याओं का समाधान किया गया।