राहुल गांधी के संसद में मनु स्मृति और संविधान पर दिए गए बयान पर संतों ने नाराजगी जाहिर की है। एक वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा-राहुल गांधी सनातन धर्म और हिंदुओं को बदनाम करने के लिए टूल किट की तरह काम कर रहे हैं। वहीं अयोध्या में डॉ. रामविलास वेदांती ने कहा- राहुल को तपस्या शब्द का अर्थ नहीं मालूम हैं। उन्होंने सनातन धर्म को नहीं केवल इटली को पढ़ा है। इसलिए उल्टा बोलते हैं। सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- देश मनु स्मृति से नहीं, बल्कि संविधान से चलता है…जैसे बयानों से सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा- राहुल गांधी ने संसद में ऐसा आचरण किया जैसे कोई किन्नर अपने आपको स्त्री दिखाने के प्रयास में श्रृंगार करती है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राहुल गांधी को महाभारत के बारे में कितनी जानकारी है। विशेष रूप से द्रोणाचार्य द्वारा एकलव्य का अंगूठा मांगे जाने के संदर्भ में। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- राहुल गांधी बार-बार मनुस्मृति का उल्लेख करते हैं। देश मनुस्मृति के आधार पर नहीं, बल्कि भारतीय संविधान के आधार पर चलता है। कहा- राहुल गांधी सनातन धर्म के सिद्धांतों का गलत तरीके से प्रचार कर रहे हैं। वो क्रिप्टो क्रिश्चियन के रूप में इसे प्रस्तुत करना चाहते हैं। स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा- राहुल गांधी को सनातन धर्म के बारे में की गई अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी विदेशी ताकतों के एजेंडे का हिस्सा बनकर हिंदुओं को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। जैसा कि भगवा आतंकवाद के परिभाषा को लेकर पहले भी देखा गया था। अब रामविलास दास वेदांती ने क्या कहा पढ़िए… राहुल को तपस्या शब्द का अर्थ नहीं मालूम:उन्होंने सनातन धर्म को नहीं केवल इटली को पढ़ा है, इसलिए उल्टा बोलते हैं अयोध्या में शनिवार को पूर्व सांसद और भाजपा नेता डॉक्टर रामविलास दास वेदांती ने राहुल गांधी के संसद में दिए बयान पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा- राहुल गांधी को तपस्या शब्द का अर्थ नहीं मालूम है, उन्हें पता नहीं है की तपस्या का अर्थ क्या होता है। राहुल गांधी न संसद में बयान दिया है जिसमें उन्होंने तपस्या की व्याख्या गर्मी से किया है, उन्हें नहीं पता कि शरीर की गर्मी को निकालने के लिए तपस्या की जाती है। शरीर से अहंकार और दंभ को निकालने के लिए तपस्या की जाती है। लेकिन राहुल गांधी का मानना है कि शरीर में गर्मी लाने के लिए तपस्या की जाती है। यह इतनी गलत व्याख्या है जिसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता है। राहुल गांधी ने हमारे सनातन वैदिक धर्म को नहीं पढ़ा था
वेदांती ने आगे कहा-राहुल गांधी ने हमारे वैदिक सनातन धर्म को नहीं पढ़ा है, उन्होंने केवल इटली को पढ़ा है, भारतीय धर्म की व्याख्या को नहीं पढ़ा है। साधना शरीर को कष्ट देकर की जाती है, भगवान को प्रसन्न करने के लिए साधना की जाती है। जब शरीर से गर्मी शांत हो जाएगी, अहंकार शांत हो जाएगा, दंभ शांत हो जाएगा, तब साधना में मन लगेगा भगवान में मन लगेगा। यह हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक व्याख्या है। राहुल गांधी को भारतीयता की नहीं है जानकारी
राहुल गांधी तपस्या की व्याख्या को उल्टा कहते हैं, इसका मतलब राहुल गांधी को भारत की संस्कृति की जानकारी नहीं है, इसलिए वह अर्थ को उल्टा कहते हैं, इसका मतलब राहुल गांधी को भारत की संस्कृति और भारतीयता की जानकारी नहीं है। भारत की जानकारी नहीं है, उन्हें केवल इटली की जानकारी है। वह केवल इटली की व्याख्या करते हैं। भारत की संतों के बीच में बैठकर जब वह तपस्या करेंगे, तभी समझेंगे। तब उनको पता चलेगा की तपस्या माने क्या होता है। उन्होंने तपस्या नहीं किया है, तपस्या अटल बिहारी वाजपेई ने किया था, तपस्या लाल कृष्ण आडवाणी ने किया । तपस्या डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने किया। तपस्या अशोक सिंघल जी ने तपस्या किया है। तपस्या किया है अभिरामदास जी ने। इनको पता है की तपस्या में कितना कष्ट होता है। राहुल गांधी ने तपस्या नहीं किया है। क्या जमाना आ गया है तपस्या शब्द को प्रदूषित करने का काम राहुल गांधी ने किया है। …………………… ये खबर भी पढ़िए… योगी बोले-संभल नरसंहार के दरिंदों को सजा क्यों नहीं?:46 साल पहले हत्याएं हुईं; उस वक्त बंद किया मंदिर अब सबके सामने संभल में 46 साल से बंद पड़े शिव मंदिर को शनिवार को डीएम-एसपी ने खुलवाया। मंदिर के पास रात से ही फोर्स तैनात है। वहां सुबह पूजा हुई। इधर, सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में कहा- कल संसद में संविधान पर चर्चा चल रही थी, लेकिन मुद्दा संभल का उठ रहा था। इन्हीं के समय में 46 साल पहले जो मंदिर बंद कर दिया गया था, वो सामने आ गया। इनकी वास्तविकता को सबके सामने ला दिया। पढ़िए पूरी खबर