आगरा में सर्दी लगातार बढ़ रही है। कड़कड़ाती ठंड में लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। दिन में भी गर्म कपड़ों की कई परतों में छिप कर लोग अपने काम पर जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ एसएन मेडिकल कॉलेज में मरीजों के तीमारदार रैंप के नीचे, दीवारों की आड़ में, बिल्डिगों के पोर्च में दिन-रात काट रहे हैं। जबकि मेडिकल कॉलेज में पांच रैनबसेरे हैं।
मेडिकल कॉलेज में हर रोज कई हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। इनमें से सैंकड़ों मरीज हर रोज मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग विभागों में भर्ती होते हैं। मरीज के साथ तीमारदारों की संख्या मेडिकल कॉलेज प्रशासन की परेशानी बढ़ा रही है। मेडिकल कॉलेज परिसर में सुपर स्पेशलिटी विंग के पास एक रैंप बना हुआ है। इस रैंप के नीचे तीमारदारों ने बिस्तर बिछाए हुए हैं। गद्दे, रजाई, कंबल आदि में छिपे रहते हैं। हाथरस के एक परिवार ने बताया कि उनका मरीज सुपर स्पेशलिटी विंग की आईसीयू में है। पिछले 20 दिन से वो इसी तरह रैंप के नीचे बिस्तर बिछाकर रह रहे हैं। ऐसी ही स्थिति फिरोजाबाद से आई एक बुजु्र्ग महिला की थी। वे पिछले डेढ़ महीने से रैंप के नीचे रह रही हैं। बताया कि उनकी बहू आईसीयू में एडमिट है। आईसीयू के बाहर रूकने नहीं देते। इसलिए रैंप के नीचे रह रही हैं। बताती हैं कि बेटे आते हैं। दिन के काम कर जाते हैं। रैनबसेरे हैं दूर
तीमारदारों से पूछा गया कि वो रैनबसेरों में रहने क्यों नहीं जाने। इस पर तीमारदारों ने कहा कि रात में कई बार अगर किसी चीज की जरूरत होती है तो फोन आता है। ऐसे में रैनबसेरे से आना मुश्किल लगता है। रैनबसेरे मेडिकल कॉलेज के बाहर भी हैं। तीमारदार अपने घरों से गद्दे, कंबल लाते हैं। पूरा दिन, पूरी रात इसी तरह बिताते हैं। पांच रैनबसेरे हैं मेडिकल कॉलेज में
प्रिंसिपल डॉ. प्रशांत गुप्ता का कहना है कि मेडिकल कॉलेज परिसर में पांच रैन बसेरे हैं। सर्जरी, स्त्री रोग विभाग, इमरजेंसी के साथ ही एक मेडिकल कॉलेज के बाहर भी है और एक प्रिंसिपल ऑफिस के पास है। प्रिंसिपल का कहना है कि मरीज के साथ एक तीमारदार को रुकने की अनुमति है। इसके बावजूद 10-15 लोग एक मरीज के साथ हमेशा रहते हैं। तीमारदारों और विजिटर के लिए पास भी इश्यू किए जाते हैं। इसके बावजूद लोग नहीं सुनते हैं। अब सख्ती की जाएगी। तीमारदारों की ज्यादा संख्या से अव्यवस्थाएं होती हैं।