लखनऊ भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित भातखण्डे तीन दिवसीय संगीत उत्सव का शुभारंभ धूमधाम से हुआ। इस सांस्कृतिक महोत्सव की शुरुआत पं. विष्णु नारायण भातखण्डे की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई, जहां अतिथियों ने उनकी स्मृति को नमन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जयवीर सिंह पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री शामिल थे। उन्होंने कहा, संगीत भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। यह हमें विश्वगुरु बनने की ओर ले जा सकता है। विद्यार्थियों को इस धरोहर के संरक्षण और प्रचार में योगदान देना चाहिए। संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने कहा, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय छात्रों को भारतीय कला की महान परंपरा से जोड़ने में अपनी विशेष भूमिका निभा रहा है। संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत है। तबला वादन ने मोहामन
कार्यक्रम की शुरुआत पद्मश्री पं. संजू सहाय के तबला वादन से हुई। उन्होंने अपनी प्रस्तुति को उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को समर्पित करते हुए उठान, बनारसी ठेका और रेला जैसे अद्भुत अंदाज में तबले की कई विधाओं का पर तबला बजाया । हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्रा ने उनका साथ दिया। पं. साजन मिश्रा की सुरमयी गायकी
पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा ने राग झिंझोटी में बंदिश ‘हे महादेव महेश्वरा’ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति में तीनताल और भजन ‘अवधूत अघोरी’ ने भावनात्मक समां बांध दिया। उनकी संगत पं. धर्मनाथ मिश्रा हारमोनियम पर और पं. राजेश मिश्रा तबला पर किया। इस मौके पर उत्सव में कुलपति प्रो. मांडवी सिंह,कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन,पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा, और पद्मश्री पं. संजू सहाय समेत अन्य लोग शामिल थे।