लखनऊ में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में काव्य प्रतियोगिता और संगोष्ठी का आयोजन हुआ। यह आयोजन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान और भाषा संस्थान द्वारा आयोजित किया गया। न्यू हैदराबाद स्थित उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान सभागार में कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक विनय श्रीवास्तव और अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना से किया। उन्होंने अटल जी को राष्ट्रभाषा और सुशासन का प्रतीक बताया। युवा काव्य प्रतियोगिता में प्रदेश भर से 14 से 40 वर्ष के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। काव्य पाठ में पीयूष सुन्दरियाल ने प्रथम स्थान, शिवम श्रीवास्तव ने दूसरा और दिवाकर कौशिक ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। दस अन्य प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन निर्णायकों की विशेष भूमिका प्रतियोगिता के निर्णायक लखनऊ विश्वविद्यालय, आईटी कॉलेज और डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित प्रोफेसर थे। निर्णायकों में प्रो. अनुपम पटेल, डॉ. श्रवण कुमार गुप्ता, प्रो. नीतू शर्मा और प्रो. सर्वेश सिंह शामिल रहे। संगोष्ठी में अटल जी के योगदान पर चर्चा ‘सामाजिक एकता में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। प्रो. ओम प्रकाश पांडेय, डॉ. शैलेंद्र प्रसाद शर्मा और डॉ. सुरेंद्र विक्रम ने अटल जी के जीवन और योगदान पर विचार रखे। इस प्रतियोगिता में विजेताओं को प्रतीक चिह्न और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम ने अटल जी की विचारधारा और राष्ट्रीयता के प्रति सम्मान प्रकट किया।