लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में कुमाऊँनी नाटक ‘कगारै आग’ का मंचन किया गया। इसमें दिवंगत रंगकर्मी पीयूष चंद्र पांडे को श्रद्धांजलि दी गई। नाटक का निर्देशन ललित सिंह पोखरिया ने किया, जबकि कहानीकार नवीन जोशी हैं। कुमाऊँनी-गढ़वाली रंगमंच को नई ऊंचाइयों दीं पीयूष चंद्र पांडे ने कुमाऊँनी-गढ़वाली रंगमंच को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। पीयूष का रंगकर्म बचपन से ही अपनी अलग पहचान बनाने लगा था। मुरली नगर की रामलीला में उनका अभिनय कौशल और उनके पिता पिताम्बर पांडे का संगीत कौशल, दोनों ने इस कला परंपरा को आगे बढ़ाया। आकाशवाणी, दूरदर्शन और विभिन्न नाट्य संस्थानों के साथ पीयूष का सफर उन्हें एक कुशल अभिनेता, निर्देशक और शिक्षक के रूप में स्थापित करता है। पहाड़ी इलाकों की समस्याओं को दिखाया ‘कगारै आग’ आधुनिक विकास के कारण पहाड़ी इलाकों में उभर रही विसंगतियों और उनकी त्रासदियों को बयां करता है। यह नाटक न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश के ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को दिखाता है। ये कलाकार हुए शामिल मंच पर आनंद, ललित सिंह पोखरिया, अमन सिंह, आशीष द्विवेदी, अंकित राव, विशाल सिंह, निशु सिंह, योगेंद्र पाल, पीयूष राय, मनीष सैनी, दर्शन जोशी, अंकुर सक्सेना, चंदन सिंह पोखरिया और अनुराग शुक्ला ने अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा।