लखनऊ में शनिवार को उत्तर प्रदेश पुस्तक व्यापार मंडल के बैनर तले प्रेस वार्ता हुई। जिसमें पुस्तक विक्रेताओं ने स्कूल संचालकों और पब्लिशर पर मनमानी ढंग से किताबें बेचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुस्तक माफिया मनमानी तरीके से किताबों को कई गुना महंगी बेच रहे हैं। जिसके कारण आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। संगठन के महामंत्री उमेश कुमार ने कहा कि यह बेहद अफसोस नाक है की आम आदमी से एनसीईआरटी की किताबों पर 500 से 1000 गुना तक अधिक दाम वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में यह किताब माफियाओं का सिंडिकेट चल रहा है। इसमें निजी स्कूल के संचालक भी शामिल है। स्कूल संचालक अपनी इच्छा अनुसार किताब विक्रेता को ढूंढ कर उसे सूचीबद्ध करते हैं। अत्यधिक मुनाफा हासिल करने के लिए स्कूल संचालक पुस्तक माफिया का साथ दे रहे हैं। अधिनियम का हो रहा है उल्लंघन
उमेश कुमार ने कहा कि किताबों की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार के द्वारा 1978 में बुक्स एक्ट बनाया गया था जिसका खुले तौर पर उल्लंघन किया जा रहा है। राइट टू एजुकेशन के तहत भी यह कहा गया है की गुणवत्ता वाली शिक्षा और पुस्तकों के दाम न्यूनतम रखा जाएगा। मगर इसमें से किसी भी बात का पालन नहीं हो रहा है। मनमाने ढंग से वसूली के कारण निजी स्कूलों में दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है। प्रकाशक की मनमानी से लोग परेशान
संगठन के अध्यक्ष शेर अली ने कहा कि हमारी मांग है कि स्कूलों में पुस्तक बेचने पर प्रतिबंध लगाया जाए। एनसीआरटी से संबंधित जितने भी स्कूल है वहां पर एनसीईआरटी किताबें ही पढ़ाई जाए इसका सख्ती से पालन करवाया जाए। जो स्कूल अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जाए। प्रकाशन और स्कूलों की मिलीभगत की वजह से आम आदमी को अनावश्यक महंगाई झेलना पड़ रहा है। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।
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