लखनऊ पुलिस पर बैंक लॉकर का बरामद सोना हड़पने का आरोप लग रहा है। बरामद 12 किलो में से 6 किलो गायब होने से स्वाट टीम खुद संदेह के घेरे में है। मामले में डीसीपी पूर्वी ने पूरी टीम को भंग कर सभी को लाइन हाजिर कर दिया। इसके बाद भी उच्चाधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। चिनहट पुलिस और पूर्वी जोन की स्वाट टीम दावा किया कि उन्होंने लूट का बड़ा हिस्सा बरामद कर लिया। लेकिन जब बैंक कर्मियों ने बरामद माल की सूची से मिलान किया तो 6 किलो सोना कम निकला। इसके बाद चार पीड़ितों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई। सोना पुलिसकर्मियों के पास होने की बात कही गई। जांच में पता चला कि कुछ पुलिसकर्मियों ने बरामदगी के बाद सोना गायब कर दिया। घटना 21 दिसंबर 2024 की है। बदमाशों ने पुताई का ठेका लेने के नाम पर 3 महीने रेकी की। इसके बाद रात में पीछे की दीवार काटकर भीतर घुसे। 42 लॉकर काटकर करोड़ों के गहने और नकदी लूट ले गए। बाद में आरोपियों का एनकाउंटर भी किया गया। बयान दर्ज करने से कतरा रहे पुलिसकर्मी
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने मामले की जांच एडीसीपी पंकज कुमार सिंह को सौंपी थी। आरोपी स्वाट टीम के सदस्यों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया, लेकिन कई पुलिसकर्मी अब तक बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक स्वाट टीम के कुछ सदस्यों ने लिखित बयान तैयार किया है। इसमें उन्होंने उच्चाधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। लूट के पीछे की साजिश, बदमाशों के साथ खेल
मास्टरमाइंड विपिन ने पुलिस कस्टडी में खुलासा किया है कि उसने लूट से पहले तकरोही में डॉक्टर के घर को किराए पर लिया था। तीन महीने तक बैंक की रेकी की थी। पुलिस ने बताया कि विपिन ने लूटा गया सोना-चांदी लखनऊ और सीतापुर में अलग-अलग जगह छिपा रखा था। लेकिन जब पुलिस ने दबिश देकर बरामदगी की तो कुछ सोना लापता हो गया। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं पुलिसकर्मियों ने खुद ही इस खेल में हाथ साफ तो नहीं कर लिया? स्वाट टीम पर क्यों उठे सवाल?
जांच में पता चला कि लूट के बाद स्वाट टीम गाजीपुर गई थी और वहीं से माल बरामद करने के बाद लखनऊ लौटी। लेकिन जैसे ही बरामदगी के बाद इन पुलिसकर्मियों को छुट्टी पर भेजा गया, मामला संदिग्ध हो गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि ये पुलिसकर्मी चार से पांच दिन तक गायब रहे और जब लौटे, तब तक उच्चाधिकारियों ने अपनी कार्रवाई पूरी कर ली थी। स्वाट टीम के क्यों नहीं दर्ज किए गए बयान
स्वाट टीम के सदस्यों को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन जब वे बयान दर्ज कराने पहुंचे तो एडीसीपी पंकज कुमार सिंह मौजूद नहीं थे। पुलिसकर्मियों ने लिखित बयान में कहा कि गलत तरीके से फंसाया जा रहा। पूरी कार्रवाई डीसीपी और एडीसीपी के पर्यवेक्षण में हुई फिर हमें ही क्यों अपराधी बनाया जा रहा है। खाकी पर लगे गंभीर आरोप, पुलिसकर्मी खुद बन गए अपराधी
इस मामले में स्वाट टीम के 12 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, चिनहट थाने के कुछ पुलिसकर्मी भी इस हेराफेरी में शामिल थे। लूट के बाद बरामद सोने को थाने में बिखेर दिया गया था, जिसमें से कुछ हिस्सा गायब कर दिया गया। सीनियर पुलिस अधिकारियों को पहले से इस खेल की जानकारी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पीड़ितों का सवाल, कौन लौटाएगा हमारा सोना
40 परिवारों की जमा पूंजी इस लूट में लूट गई, और अब उन्हें न्याय का इंतजार है। जिन लोगों ने जीवनभर की कमाई बैंक लॉकर में रखी थी, अब वे पुलिस पर ही भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। पुलिस की निष्क्रियता और हेराफेरी के आरोपों ने लखनऊ पुलिस की साख पर बट्टा लगा दिया है। सवाल यह भी है कि आखिर गायब हुआ सोना कैसे वापस आएगा? क्या कह रहे जिम्मेदार?
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