लखनऊ के गोमतीनगर स्थित भागीदारी भवन में समाजित एवं सांस्कृतिक मंच द्वारा ‘वंदन हे रघुनंदन’ कार्यक्रम में साहित्य और संस्कृति का संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने भगवान राम का जीवन बेहद साधारण और मानव जैसा था, भले ही वह राजकुल में जन्मे थे। यह हमारे समाज को सबसे बड़ी सीख देता है,हमारे समाज को भगवान राम ने संस्कार दिया है,जिस पर हम आज भी जी रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि तुलसीदास ने अकबर द्वारा दिए गए राजशाही पद को स्वीकार नहीं किया था, क्योंकि उनका उद्देश्य समाज की भलाई था। आज भी हर घर में रामचरितमानस पाई जाती है, और यह हमारे समाज के लिए आईपीसी, सीआरपीसी, और सिविल प्रक्रिया संहिता और मार्गदर्शक ग्रंथ है। ब्रिजेश पाठक ने कवि और लेखक समाज की सच्चाइयों को उठाने की बात की। उन्होंने कहा कि यह संसार अस्थायी है, लेकिन समाज और राष्ट्र स्थायी है। उन्होंने कहा यह पुस्तकें सर्वोच्च शिखर तक पहुंचें। तीन किताबों का विमोचन किया गया कार्यक्रम में तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया। प्रमुख पुस्तक ‘वंदन हे रघुनंदन’ में 51 साहित्यकारों की रचनाएं संकलित हैं। कमल किशोर भावुक की समीक्षा पुस्तक ‘सिर उठाए शब्द’ और कुलदीप कलश की काव्य रचनाओं का संग्रह ‘दूर जाना है मुझे’ का भी विमोचन हुआ। इन लोगों को सम्मानित किया गया साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. अशोक अज्ञानी और डॉ. सर्वेश त्रिपाठी को ‘पंडित बैजनाथ तिवारी स्मृति सम्मान-2025’ से नवाजा गया। कुलदीप कलश को राज्य सरकार के प्रतिष्ठित ‘शिव मंगल सिंह सुमन पुरस्कार’ से सम्मानित कर एक लाख रुपये की राशि प्रदान की गई। कार्यक्रम का समापन कवि सम्मेलन के साथ हुआ कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध कवयित्री सुफलता त्रिपाठी के गायन से हुई। गायक किशोर चतुर्वेदी ने काव्य संकलन से गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का समापन एक भव्य कवि सम्मेलन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन कुलदीप कलश ने किया और आभार ज्ञापन श्रेय श्याम श्रीवास्तव ने किया।