लखनऊ के केंद्रीय विश्वविद्यालय बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्र विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर शिवकुमार द्विवेदी को नियुक्त किया गया है। पहले कार्यवाहक कुलपति के पद पर प्रोफेसर एनएमपी वर्मा तैनात थे। मंगलवार को भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी की तरफ से आदेश किया गया है। वहीं प्रॉक्टर प्रो. संजय कुमार को भी हटाने का आदेश जारी किया गया है। इंटरनल कंप्लेंट कमेटी यानी ICC की तरफ से प्रो. एमपी सिंह को नया प्रॉक्टर बनाने गया है। मंगलवार को जारी हुआ आदेश भारत सरकार के अवर सचिव प्रवीर सक्सेना की तरफ से रजिस्ट्रार को भेजे आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रपति की तरफ से प्रो.शिवकुमार द्विवेदी को नया कार्यवाहक कुलपति बनाए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। ये नियुक्ति अगले आदेश तक या 31 अगस्त 2025 तक मान्य होगी। कुलसचिव को हटाने का दिया था आदेश प्रोफेसर एनएमपी वर्मा ने कुछ दिन पहले ही रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह को हटाने का आदेश दिया था। उनकी जगह कार्यवाहक रजिस्ट्रार के पद पर प्रोफेसर यूवी किरण को तैनाती दी गई थी। इस आदेश के खिलाफ अश्वनी कुमार सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मामले में स्टे दिया था। प्रो.एनएमपी वर्मा बोले- मंत्रालय से चल रही बात BBAU के कार्यवाहक कुलपति प्रो.एनएमपी वर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि केंद्र सरकार के आदेश में कही भी मुझे हटाए जाने की बात नहीं लिखी है। मेरा रिटायरमेंट इसी साल 31 दिसंबर को है। ऐसे में ये आदेश मेरे रिटायरमेंट के बाद लागू होगा। मेरी अनुपस्थिति में वैसे भी प्रो.एसके द्विवेदी को ही चार्ज मिलता है। मेरी मंत्रालय से बात चल रही है, संभव है कि फुल टाइम कुलपति पद के लिए मेरे नाम पर मुहर लगा दी जाए। मैंने यूनिवर्सिटी को बच्चे की तरह पाला है, ऐसे में कोई यहां गड़बड़ी करे, मैं ये बर्दाश्त नही करूंगा। रजिस्टर अश्वनी कुमार सिंह पर लगाया था हेरफेर का आरोप कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर एमएनपी वर्मा ने रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह पर नियमों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की बात कही थी। दैनिक भास्कर से बातचीत में कार्यवाहक कुलपति ने रजिस्ट्रार पर आरोप लगाया था कि वह जानबूझकर रूटिंग के कामकाज में अड़ंगेबाजी कर रहे हैं जिस कारण कई अहम फाइलें रुकी हुई हैं। इसके उलट, रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह ने कार्यवाहक कुलपति के ऊपर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए उन्हें फुल टाइम कुलपति की तरह काम करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि कुलपति अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर काम कर रहे थे। का दबाव डालें हैं।