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शिक्षक गरिमा सम्मेलन में गुरु-शिष्य के रिश्ते बताए:प्रो. प्रमोद भटनागर ने कहा-शिक्षक का प्रथम कर्तव्य है वह अपने व्यक्तित्व को अनुकरणीय बनाए

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कानपुर विश्वविद्यालय में स्थापित श्रीमद्भगवद्गीता वैदिक शोध पीठ एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को शिक्षक गरिमा सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता केन्द्रीय प्रतिनिधि शान्ती कुंज हरिद्वार के प्रमोद भटनागर, जियो गीता के उपाध्यक्ष डॉ. मार्कण्डेय आहूजा, इस्कान के निर्देशक स्वामी नीलमणी कृष्णदास ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम में “शिक्षक हैं युग निर्माता” “छात्र राष्ट्र के भाग्य विधाता व गीता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की भूमिका” विषय पर वक्ताओं ने अपना उद्बोधन दिया। शिक्षक अपने व्यक्तित्व को अनुकरणीय बनाए प्रो. प्रमोद भटनागर ने कहा कि शिक्षक का सम्पूर्ण व्यक्तित्व छात्र के लिए अनुकरणीय होता है। छात्र शिक्षक के व्यक्तित्व में सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। उसी का अनुकरण कर छात्र अपने व्यक्तित्व को गढ़ता है। इसलिए शिक्षक का प्रथम कर्तव्य है कि वह अपने व्यक्तित्व को अनुकरणीय बनाए। पहले कर्तव्य बाद में अधिकार को अपने जीवन में अंगीकार करें। समाज को नई दिशा देने के लिए प्रेरित किया स्वामी कृष्णदास महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता को प्रत्येक छात्र एवं शिक्षक अपने हद्वय में उतारें तथा कृष्ण के समान शिक्षक एवं छात्र बन कर समाज को नई दिशा एवं दशा प्रदान करने पर जोर दिया। उन्होने कहा कि श्रीकृष्ण आज वश्विक व्यक्तित्व बन चुके है, विश्व के अनेकोनेक देशों में श्रीकृष्ण से एवं श्रीगीता से प्रभावित होकर करोड़ों लोग भारतीय आध्यात्म की ओर झुक रहे है। गीता आज 140 देशों के विश्व विद्यालयों में शोध एवं ज्ञान का विशेष विषय बन चुकी है। वास्तव में श्रीकृष्ण का व्यक्त्वि एवं गीता ही पूरे विश्व में न्याय एवं शक्ति स्थापित करने में मात्र एक ग्रन्थ साबित हो रही है। सम्मेलन के मध्य डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने श्रीमद्भगवद्गीता को किस प्रकार अपने जीवन में उतार कर परिवार, समाज और राष्ट्र को सुव्यवस्थित कर शक्तिशाली और ओजस्वी बनाया जा सकता है, इसके बारे में बताया। ये लोग भी रहे मौजूद सम्मेलन में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनय पाठक, डॉ. उमेश पालीवाल, अनिल कुमार गुप्ता, मनोज अवस्थी, परमानन्द शुक्ला, प्रो. हिमांशु त्रिवेदी, अवध बिहारी मिश्रा, भूपेश अवस्थी, रामचन्द्र गुप्ता, आरपी लाल, उमेश चन्द्र कटियार, केके शुक्ला, डॉ. रोचना विश्नोई, प्रेम चन्द्र, अशोक तिवारी, तृशमुल मिश्रा, डॉ. अंगद सिंह, रामेन्द्र अवस्थी, अजय मिश्र, जगदीश त्रिवेदी, विमलेश अवस्थी, राजेन्द्र अवस्थी, गिरीश मिश्र, अनिल उपाध्याय, अमित अग्रवाल, महेन्द्र सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

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