संतकबीरनगर के खलीलाबाद क्षेत्र के भिटहा में आयोजित 7 दिवसीय श्रीराम कथा का भव्य समापन हुआ। कथा का आयोजन स्वर्गीय पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में किया गया था। इस दौरान अयोध्या धाम से आए कथावाचक आचार्य पंडित विनय ओझा ने राम विवाह का भावपूर्ण वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत और समापन कार्यक्रम का शुभारंभ ठाकुर जी की आरती से हुआ। मुख्य यजमान चंद्रावती देवी ने सूर्या ग्रुप के एमडी डॉक्टर उदय प्रताप चतुर्वेदी और पूर्व प्रमुख राकेश चतुर्वेदी के साथ आरती कर कार्यक्रम की शुरुआत की। समापन पर गरीब और असहाय लोगों को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। राम विवाह का मार्मिक चित्रण कथावाचक ने राम और सीता के विवाह का मार्मिक चित्रण करते हुए बताया कि त्रेता युग में राक्षसों के अत्याचार के कारण मुनी विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ से मांगकर ले गए। यज्ञ के बाद जनकपुरी पहुंचने पर उन्हें सीता स्वयंवर का पता चला। राजा जनक ने घोषणा की थी कि जो शिवजी के धनुष को तोड़ेगा, सीता का विवाह उससे होगा। इस प्रसंग का वर्णन सुनकर श्रोता ठहाकों से गूंज उठे। संगीतमय भक्ति और भंडारा कथा के दौरान संगीतमय भजनों पर पंडाल में उपस्थित श्रोता भक्तिमय हो गए। कथा के समापन पर निरंतर चल रहे भंडारे में सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में न केवल भक्ति और आध्यात्म का वातावरण बना रहा, बल्कि गरीब और असहाय लोगों को सम्मानित कर सामाजिक सरोकार का भी संदेश दिया गया।