संभल का एक ऐसा परिवार जो 1978 में हुए दंगे के बाद अपनी जन्मस्थली छोड़कर चला गया था। जन्मस्थली के मंदिर में पूजा अर्चना होने की खबर पहुंचने पर दंपति दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंच गए। दंगे की पीड़ित व्यक्ति ने अपना दर्द सुनाते हुए बताया कि दंगाइयों ने उनकी दुकान में आग लगा दी थी। जिसमें एक लाख से भी अधिक का उस जमाने में नुकसान हुआ था। उन्होंने बताया कि दंगे में 100 से अधिक हिन्दू मारे गए थे। बुजुर्ग अनिल कुमार रस्तोगी ने बताया कि वह इस समय मुरादाबाद में रहते है। पूर्व में मौहल्ला ख़ग्गू सराय में ही रहते थे। उन्होंने बताया कि मंदिर के पास ही हम लोग रहते थे। हमने 1979 में यह घर छोड़ दिया था। उस समय 30-32 परिवार यहां रहते थे। मंदिर के पीछे, साइड और अन्य जगह भी मंदिर की थी। जब 1978 में बलवा हुआ था। उसके बाद एक-एक करके सब लोग यहां से चले गए। उस समय मेरी उम्र 28 साल की होगी। नखासा में हमारी आढ़त की दुकान थी। उसमें आग लगा दी थी। करीब एक लाख का नुकसान हुआ होगा। उस समय डर के चलते यहां से सब लोग चले गए। मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करने का मार्ग था। अब नहीं दिखाई देता है। साधना रस्तोगी ने बताया कि मेरी शादी होकर ख़ग्गू सराय में आई थी। इसी मंदिर में शादी की पूजा की। पहले मंदिर के पास सारा खुला हुआ मैदान था। फिर लड़ाई हो गई। हमारे बच्चे स्कूल गए हुए थे। मेरे पति पुलिस के साथ बच्चों को स्कूल से लेकर आए थे। मेरे भतीजे को 1986 में गुइयां गली में मार दिया था। मेरे भतीजे के साथ एक मुस्लिम व्यक्ति पार्टनरशिप में काम करता था। उसके ऊपर कर्जा हो गया था। उसने दबाव बनाकर जान से मारने की धमकी दी थी। पुलिस के साथ बच्चों को सुरक्षित घर लेकर आया मुरादाबाद में रह रहें संभल के मौहल्ला खग्गू सराय निवासी अनिल कुमार रस्तोगी अपनी पत्नी साधना रस्तोगी के साथ मंगलवार की शाम श्री कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे। 1978 दंगे की पीड़ित अनिल कुमार रस्तोगी ने पत्नी के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी दुकान पर बैठे थे और कोतवाली संभल की ओर से भीड़ भागती हुई आ रही थी। बच्चे स्कूल गए हुए थे उन्हें लेने के लिए में बाल विद्या मंदिर पहुंचा। अपने बच्चों के साथ मौहल्ले के अन्य बच्चों को भी सुरक्षित घर लेकर आया।
दंगाइयों ने दुकान को जला दिया जगह-जगह तैनात हुई पीएसी बल को लेकर जब मैं अपनी दुकान पर पहुंचा। तब तक दंगाइयों ने दुकान को जला दिया था। डर की वजह से पहले उन्होंने मौहल्ला छोड़ा और संभल शहर के मौहल्ला ठेर पर जाकर रहना शुरू कर दिया। उसके बाद वह मुरादाबाद चले गए। न्यूज पर देखा कि मंदिर में दोबारा से पूजा अर्चना शुरू हुई है। मंदिर के कपाट खुले हैं। मन में इच्छा हुई कि दर्शन करके आए। इसलिए आज पत्नी के साथ यहां आया हूं। उन्होंने दुकान में लगी आपकी बात प्रशासन द्वारा ली गई एक रिपोर्ट की फोटो भी दिखाई।