इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर कोर्ट से राहत पाने वाले याची जितेन्द्र यादव के विरूद्ध एसएचओ चेतगंज वाराणसी को जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि यदि संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है तो एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष विवेचना की जाए। कोर्ट ने सीजेएम वाराणसी से तीन माह में कृत कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा याचियों की सुरक्षा को लेकर दी गई अंतरिम राहत रद्द करते हुए याचिका 50 हजार रुपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि एक माह में जमा न करने पर राजस्व वसूली प्रक्रिया के तहत विधिक सेवा प्राधिकरण हाईकोर्ट में जमा कराया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शिवांगी सिंह व जितेंद्र यादव की जीवन के खतरे से सुरक्षा की गुहार के साथ दाखिल याचिका पर दिया है। मालूम हो कि याचियों ने हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई और कहा उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है और उनके परिवार से जीवन को खतरा है। हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर वाराणसी को सुरक्षा करने का आदेश दिया। इसके बाद विपक्षी परिवार की तरफ से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि कोर्ट को गुमराह कर अंतरिम राहत दी गई है। जितेंद्र यादव ने 17 मार्च 13 को प्रियंका यादव से शादी की। फिर 13 मार्च 19 को शिखा यादव से शादी की। इसके बाद 29 सितंबर 23 को याची शिवांगी सिंह से शादी की है। तलाक किसी के साथ नहीं हुआ है और कोर्ट से झूठ बोलकर राहत ले ली। कोर्ट ने याचियों को तलब किया। पुलिस कमिश्नर को इन्हें पेश करने का आदेश दिया।याची शिवांगी सिंह ने फोन बंद कर लिया है। संपर्क नहीं हो सका। जिस पर कोर्ट ने दूसरे याची जितेन्द्र के खिलाफ आरोपों की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।