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सीजेएम वाराणसी को हाईकोर्ट से बड़ी राहत:दो राज्यों में करार न होने की शर्त पर विशेष सचिव उप्र ने पूर्व सेवा जोड़ने से कर दिया था इंकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीजेएम वाराणसी की निदेशालय प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा नई दिल्ली की पूर्व सेवा को पेंशन निर्धारित करने के लिए जोड़े जाने पर विशेष सचिव उ प्र को दो माह में विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार के दिल्ली सरकार से करार के अभाव में निदेशालय की सेवा जोड़ने से इंकार करने के विशेष सचिव के 17 जनवरी 22 के आदेश को रद कर दिया है कोर्ट ने कहा याची की पूर्व सेवा केंद्र सरकार की रही है। इसलिए दिल्ली सरकार से करार न होने का प्रश्न ही नहीं उठता।और राज्य सरकार के 16 सितंबर 11 के शासनादेश में केंद्र सरकार से करार की आवश्यकता नहीं है। इसलिए याची की निदेशालय की पूर्व की सेवा जोड़ी जानी चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने अश्वनी कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष त्रिपाठी ने बहस की। इनका कहना था कि याची 20 सितंबर 2004 को निदेशालय प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा नई दिल्ली में क्राफ्ट इंस्ट्रक्टर के पद पर नियुक्त हुआ।और 27 जुलाई 15 को न्यायिक सेवा में नियुक्ति हुई।तो याची ने पेंशन सुविधा के लिए निदेशालय की केंद्र सरकार की सेवा जोड़ने की मांग की। निदेशालय का सेवा प्रमाणपत्र भी पेश किया।विशेष सचिव उ प्र ने यह कहते हुए मांग निरस्त कर दी कि दिल्ली सरकार से ऐसा करार नहीं है। कहा दूसरे राज्य से परस्पर करार जरूरी है।जिसे चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने शासनादेश के उपखंड 3(1)की व्याख्या करते हुए कहा कि याची दिल्ली सरकार की सेवा में नहीं था,वह केंद्र सरकार की सेवा में था। इसलिए दिल्ली सरकार से करार का सवाल नहीं।और केंद्र सरकार की सेवा जोड़ने ने दो राज्यों के बीच करार की शर्त लागू नहीं होगी।और याचिका मंजूर कर ली।

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