सुल्तानपुर में रविवार को तिकोनिया पार्क में सामाजिक न्याय महासम्मेलन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इस दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. रविकांत ने अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोलते हुए कहा, “जिस संगठन पर इस देश में तीन बार बैन लगा, वही संगठन आज अपने प्रमुख को जेड डबल श्रेणी की सुरक्षा दे रहा है। यह इस देश के लिए शर्मनाक है।” विश्वविद्यालयों पर सरकार का ध्यान नहीं: प्रो. रविकांत प्रो. रविकांत ने आगे कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया पर हमले हो रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में एक भी नया विश्वविद्यालय नहीं खोला गया। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी तंज कसते हुए कहा, “दीवाली में लाखों दीये जलाए गए, क्या उसके लिए कोई बजट था?” उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश के शिक्षा संस्थान संकट में हैं, तो सरकार का ध्यान सिर्फ प्रतीकात्मक कार्यों पर क्यों केंद्रित है? संविधान पर हमला: लौटनराम निषाद का बड़ा आरोप कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक चिंतक लौटनराम निषाद ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “जिसे ये लोग नमन करते हैं, वही चीजें खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। संसद भवन को नमन करने के बाद इसे हटाकर सेंट्रल विस्टा बना दिया गया। अब जब संविधान को गले लगाया जा रहा है, तो इसका मतलब यह है कि संविधान को कमजोर करने की साजिश की जा रही है।” सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन और राष्ट्रपति की उपेक्षा निषाद ने विशेष रूप से 28 मई को हुए सेंट्रल विस्टा उद्घाटन का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “जब उद्घाटन हुआ, तब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया। रामनाथ कोविंद के दौर में शिलान्यास हुआ, लेकिन द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन में शामिल नहीं किया गया। यह सरकार के दोहरे मापदंड को दर्शाता है।”