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‘स्कूली इमारतों की जांच न करना चिंता की बात’:लखनऊ हाईकोर्ट ने NDMA पर उठाए सवाल, पांच जिलों के स्कूलों का निरीक्षण करने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में स्कूलों में निरीक्षण के संबंध में दिशा-निर्देश दिया था। लेकिन इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और न ही सुरक्षा के लिहाज से स्कूली इमारतों की कोई जांच की गई। कोर्ट ने चार सप्ताह में कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी। कोर्ट ने कहा कि ये हैरान करने वाली बात है की इसके बाद भी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) कैसे कह सकता है कि उत्तर प्रदेश में इस विषय पर काफी काम किया है। यह बातें न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए किया। जनहित याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया। सुनवाई के समय कोर्ट ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों को लागू करने पर जोर दिया। कोर्ट ने बाराबंकी, अयोध्या, झांसी, शामली और सीतापुर के एक-एक स्कूलों को चिन्हित करते हुए उनका राज्य सरकार द्वारा कमेटी गठित कर स्कूलों का निरीक्षण कराने के आदेश दिया है।

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