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हजरत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह का उर्स:तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाईचारे और अमन का संदेश, दहेज और फिजूलखर्ची से दूर रहने की अपील

कानपुर की खानकाहे हुसैनी कर्नलगंज में हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह का 52वां सालाना उर्स मनाया गया। यह आयोजन परंपरागत रूप से सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक बना। उर्स की शुरुआत 21 फरवरी को नमाज़-ए-ईशा के बाद ईद मिलादुन्नबी के जश्न के साथ हुई। 22 फरवरी को मगरिब की नमाज़ के बाद हज़रत अली की फातिहा अव्वल हुई। इसके बाद मज़ार पर इत्र, चंदन और गुलाब से गुलपोशी की गई। रात में कव्वाली का आयोजन किया गया। 23 फरवरी को फज्र की नमाज़ के बाद कुरानख्वानी हुई। सुबह 10 बजे कुल शरीफ में क़ाज़ी-ए-शहर मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही ने महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने दहेज प्रथा को खत्म करने, शादी में फिजूलखर्ची रोकने और बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने का आह्वान किया। साथ ही देश से प्यार और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम में इखलाक अहमद चिश्ती ने देश में शांति और समृद्धि की दुआ की। इस मौके पर क़ाज़ी-ए-शहर मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही, अबुल हाशिम क़शफी, नायब शहर क़ाज़ी कारी सगीर आलम हबीबी समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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