‘बेटी के लिए आवाज उठाना हमारा सबसे बड़ा गुनाह बन गया है। उसकी सजा हम लोग भुगत रहे हैं। इसलिए हम लोगों को यहां 4 साल से बंद करके रखा हुआ है। हम कैदी से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं और आरोपी आजाद घूम रहे हैं।’ ये दर्द हाथरस गैंगरेप और हत्या की शिकार लड़की की भाभी का है। 4 साल पहले हुई इस वारदात के बाद से पीड़ित परिवार केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के पहरे में है। आरोपी युवक पड़ोस के रहने वाले हैं, इसलिए परिवार को जान का खतरा बना रहता है। जुलाई, 2024 में लड़की के पिता ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक चिट्ठी लिखी। इसमें बताया कि पूरा परिवार जेल जैसी जिंदगी जी रहा है। राहुल गांधी 12 दिसंबर को दिल्ली से चल कर हाथरस पहुंचे और परिवार का दर्द जाना। इस बीच दैनिक भास्कर ने पीड़ित परिवार से बातचीत की। ये भी जाना कि वो जेल जैसी जिंदगी वाली बात क्यों कह रहे? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… CRPF जवानों ने हमें 30 मिनट की जद्दोजहद के बाद घर में एंट्री दी
हाथरस जिला मुख्यालय से करीब 9 किलोमीटर की दूरी पर ये गांव है। हम जब पीड़ित के घर पहुंचे, तो बाहर CRPF की सफेद रंग की बोलेरो खड़ी थी। लाल रंग का गेट बंद था। अंदर CRPF के कई हथियारबंद जवान पहरा दे रहे थे। पहले तो उन्होंने हमसे गेट से दूर खड़े होने के लिए कहा। जब हमने खुद को मीडिया से होना बताया तो एक सुरक्षाकर्मी गेट पर बातचीत करने के लिए आए। बोले- हम आपको अंदर जाने की इजाजत नहीं दे सकते। सुरक्षा से जुड़ा मसला है। कोई बात हो जाएगी तो जवाब कौन देगा? हमने कहा कि अगर पीड़ित परिवार खुद हमसे बात करने के लिए बाहर आ जाए, फिर तो परमिशन देंगे न? सुरक्षाकर्मी ने कहा- हम इस गेट से किसी को बाहर भी नहीं जाने दे सकते। इस दौरान कई और मीडियाकर्मी वहां पहुंच गए। करीब 30 मिनट की जद्दोजहद के बाद CRPF सुरक्षाकर्मी अपनी मौजूदगी में हमारी बात परिवार से कराने के लिए राजी हुए। इसमें भी हमें घर के अंदर नहीं जाने दिया गया। सुरक्षाकर्मी खुद पीड़ित परिवार के 3 सदस्यों को घर से सुरक्षा घेरे में घेर (पशुओं को बांधने की जगह) तक लाए। फिर अपनी मौजूदगी में हमसे बात कराई। CRPF की एक कंपनी तैनात, मेटल डिटेक्टर गेट से एंट्री, बंकर से पैनी नजर परिवार के घर पर CRPF की एक कंपनी तैनात है। एक कंपनी में तकरीबन 120 जवान रहते हैं। इनकी तीन शिफ्टों में ड्यूटी लगती है। ये कंपनी CRPF बटालियन अलीगढ़ से आई हुई है। इन जवानों ने घर के बाहर घेर के अंदर अपने दो तंबू बनाए हुए हैं। तंबुओं के अंदर इनके बैठने का इंतजाम रहता है। एक बंकर बना हुआ है। इस बंकर के अंदर हर वक्त हथियारों से लैस जवान तैनात रहता है। बंकर के ठीक बगल में मेटल डिटेक्टर गेट है। घर आने या जाने वाले हर शख्स को इसी से गुजरना पड़ता है। इस गेट के पास ही एक टेबल रखी है, जिस पर एंट्री रजिस्टर रखा हुआ है। इस रजिस्टर में प्रत्येक व्यक्ति की एंट्री की जाती है। फिर उसे आने-जाने दिया जाता है। हमने ये रजिस्टर चेक किया। घर आने वालों में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम भी दर्ज था। राहुल के साथ जो चुनिंदा व्यक्ति अंदर गए, उन सभी के नाम और नंबर भी रजिस्टर में लिखे गए थे। यहां मौजूद CRPF सुरक्षाकर्मी ने हमें बताया- रजिस्टर का ब्योरा हमको रोजाना हेडक्वार्टर भेजना पड़ता है। वहां पर सुरक्षा का हर रोज रिव्यू किया जाता है। अब पीड़ित परिवार का दर्द समझिए- भाई बोला- हम नौकरी नहीं कर पा रहे, बच्चों की पढ़ाई छूटी
लड़की के भाई ने बताया- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर CRPF सुरक्षा मिली है। जहां भी जाना होता है, हमें इन्हें बताना पड़ता है। ये लोग साथ जाते हैं। सुरक्षा में होने की वजह से हम लोग नौकरी नहीं कर पा रहे। 2 छोटे बच्चों की पढ़ाई 4 साल से छूटी हुई है। बच्चों की पढ़ने की उम्र है, लेकिन घर में रहकर उनका जीवन खराब हो रहा है। सुरक्षा में रहने की वजह से हमारा रिश्तेदारियों या फिर अन्य कहीं पर भी आना-जाना छूटा हुआ है। यूपी सरकार ने उस वक्त आश्वासन दिया था कि आपको घर देंगे, नौकरी देंगे। 4 साल में सरकार ने वो वादा पूरा नहीं किया। कोर्ट में सुनवाई धीमी गति से चल रही है। भाई ने कहा- हमने बहन की अस्थियां अभी तक घर में रखी हुई हैं। वो विसर्जित नहीं की गई हैं। हम चाहते हैं कि जिन 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी किया, उन्हें सजा दी जाए। सीबीआई ने भी अपनी जांच में उन्हें दोषी बताया था। बहन ने मौत से पहले दिए बयान में भी उन तीनों के नाम लिए थे। हम चाहते हैं कि उन तीनों को भी सजा मिले। इसके बाद ही हम अस्थियां विसर्जित करेंगे। भाभी ने कहा- मुख्यमंत्री ने जो कहा, वो पूरा करें या मना कर दें
लड़की की भाभी ने बताया- न्याय बोल कर तो परिवार को कुछ नहीं मिला। इन 4 साल में हम 10 साल पीछे चले गए। पढ़ाई-लिखाई, काम-धंधे सहित हर चीज से हम पीछे हो गए हैं। अब मानसिक रूप से परेशान हैं। परिस्थितियां इतनी खराब होती जा रही हैं कि हम ज्यादा ही परेशान हो गए हैं। हमने पूछा- सरकार से क्या उम्मीद है? इस पर वो कहती हैं- आज तक सरकार से उम्मीद ही तो लगाकर बैठे हैं। लेकिन, मिला क्या? अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री जी ने जो कहा, वो पूरा करें। या फिर साफ मना कर दें कि हम पूरा नहीं कर सकते। हमने लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की है। हम चाहते हैं, बरी हुए 3 युवकों को भी सजा मिले। हम इसके लिए आगे लड़ाई लड़ते रहेंगे। चचेरा भाई बोला- आरोपी धमकाते हैं, CRPF को जाने दो तब तुमको देखेंगे
लड़की के चचेरे भाई हमें घर के पास ही मिले। उन्होंने बताया- अगर इस परिवार को किराना का सामान खरीदने भी हाथरस शहर के अंदर मार्केट जाना होता है तो वो CRPF की गाड़ी में ही जाते हैं। सिर्फ घर के सदस्यों को ही अंदर जाने की इजाजत है। बाकी कोई और अंदर नहीं जा सकता। हम परिवार के सदस्य हैं, इसलिए रजिस्टर में हमारी एंट्री नहीं होती। आरोपी युवकों के घर ठीक पास ही हैं। वो हमें धमकाते रहते हैं। कहते हैं कि एक न एक दिन CRPF गांव से जाएगी, तब तुमको भी देखेंगे। गांव में हमारी बिरादरी के बेहद कम परिवार हैं। इसलिए हमें डर बना रहता है। पिता ने लेटर में लिखा- मुझे नहीं पता अंधेरे में किसकी बॉडी जलाई गई
पीड़ित पिता ने 2 जुलाई, 2024 को एक चिट्ठी राहुल गांधी के नाम लिखी थी। इसमें उन्होंने बताया कि किस तरह 14 सितंबर, 2020 को उनकी बिटिया से दरिंदगी हुई। फिर प्रशासन ने किस तरह शव को केरोसिन डलवा कर रात में ही जलवा दिया। इस लेटर में पिता ने लिखा- मुझे नहीं पता कि रात के अंधेरे में किसकी बॉडी जला दी गई? मुख्यमंत्री ने उस वक्त एक सदस्य को सरकारी नौकरी और घर देने का वादा किया, लेकिन वो आज तक पूरा नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर CRPF की एक कंपनी हमारे घर पर लगी है। पूरा परिवार कैद वाली जिंदगी जी रहा है। हम पीड़ित होकर भी 4 साल से जेल की तरह सजा काट रहे हैं। इस लेटर को पढ़ने के बाद राहुल की टीम ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया। 12 दिसंबर, 2024 को राहुल गांधी खुद दिल्ली से चल कर हाथरस पहुंच गए। उन्होंने करीब 45 मिनट तक पीड़ित परिवार से बातचीत कर उनका दर्द समझा। राहुल गांधी बोले- बंदूक-कैमरों की निगरानी में है परिवार
हाथरस के पीड़ित परिवार से मुलाकात करने के बाद राहुल गांधी ने X पर लिखा- आज हाथरस जाकर 4 साल पहले हुई शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीड़ित परिवार से मिला। मुलाकात के दौरान उन्होंने जो बातें बताईं, उन्होंने मुझे झकझोर कर रख दिया। पूरा परिवार आज भी डर के साए में जी रहा है। उनके साथ क्रिमिनल जैसा व्यवहार किया जा रहा है। वे स्वतंत्र रूप से कहीं आ-जा नहीं सकते। उन्हें हर समय बंदूक और कैमरों की निगरानी में रखा जाता है। भाजपा सरकार ने उनसे जो वादे किए थे, आज तक पूरे नहीं हुए। पीड़ित परिवार को न्याय देने की बजाय, सरकार उन पर तरह-तरह से अत्याचार कर रही है। दूसरी तरफ आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। हम इस परिवार को यूं ही इनके हाल पर रहने को मजबूर नहीं होने देंगे। इन्हें न्याय दिलाने के लिए हम पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे। अब एक नजर में पूरा मामला समझिए
हाथरस जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर एक गांव में 14 सितंबर, 2020 को दलित समाज की 19 साल की युवती से कथित तौर पर 4 युवकों ने गैंगरेप किया। दिल्ली में इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी संदीप सहित 4 युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अक्टूबर, 2020 में यूपी सरकार ने इस केस की CBI जांच कराने की संस्तुति की। 10 अक्टूबर को CBI ने ये केस अपने हाथ में ले लिया। CBI ने अपनी चार्जशीट में भी संदीप सहित 4 युवकों को आरोपी बनाया था। 3 मार्च, 2023 को ट्रायल कोर्ट ने संदीप को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, जबकि अन्य 3 नामजद युवकों को बरी कर दिया था। —————————————- ये भी पढ़ें… हाथरस रेप पीड़िता का भाई बोला- सरकार मकान-जमीन छीनना चाहती, राहुल परिवार से मिले, 45 मिनट बात की कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले। उन्होंने 45 मिनट तक परिवार से बातचीत की। राहुल ने अचानक दौरे का प्लान बनाया। सुबह 7 बजे दिल्ली से हाथरस के लिए निकले। इसी साल, 2 जुलाई को लड़की के पिता ने राहुल को चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा था- 4 साल से कैद में हूं। न कोई रोजगार है। न ही रोजगार के लिए कोई बाहर जा पा रहा। सरकार ने वादे भी पूरे नहीं किए। पढ़ें पूरी खबर…