राजस्थान में शहीद हुए अपने पिता चन्द्र प्रकाश पटेल को तीन साल के मासूम अयांश ने अंतिम सलामी देते हुए नमन किया। बेटे को 17 दिसंबर को उसके जन्मदिन पर इलेक्ट्रॉनिक साइकिल और गन देने का पिता ने वादा किया था। उसके पूर्व ही भारत माता की सेवा में शहीद हो गए। बेटे को बिना बताएं वह सैन्य अभ्यास में चले गए। 17 दिसम्बर को शहीद हुए पिता को बेटे ने अपने तीसरे जन्म दिन पर अदलपुरा गंगा तट पर मुखाग्नि दी। अंतिम सलामी देते हुए कहा कि “मेरे पापा अमर रहे।” यह सुन लोगों की आंखे भर आयी। राजस्थान में तैनात कछवां नारायणपुर निवासी शहीद चन्द्र प्रकाश पटेल का शव पहुंचने पर लोगों ने भारत माता की जय और वन्दे मातरम् का जय घोष कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। गांव के प्राथमिक विद्यालय परिसर में अमर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचने पर उमड़ी भीड़ ने तिरंगा ध्वज लहराते हुए अपनी भावना व्यक्त किया। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और प्रदेश के मंत्री आशीष पटेल ने श्रद्धांजलि के साथ ही शोक संवेदना व्यक्त किया हैं। चंद्र प्रकाश पटेल युद्धाभ्यास के दौरान तोप पर शहीद हो गया था। सोमवार की सुबह हादसे की खबर जयपुर में मासूम बेटे के साथ रहने वाली उनकी पत्नी स्नेहा पटेल को मिली। वहा से परिवार को संदेश मिला। जवान बेटे की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया था। सेना के जवानों के साथ आज सायंकाल अमर शहीद का पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा। हजारों की उमड़ी भीड़ ने गांव के लाल को जय घोष करते हुए नमन किया। इस दौरान पत्नी बेसुध रही। लोगों के दिल में गर्व भरा गम हिलोरे मार रहा था। युवाओं की भीड़ देश के लाल को नमन करने के लिए उमड़ पड़ी थी। इस मौके पर अपर पुलिस अधीक्षक नगर नितेश कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी नमामि गंगे देवेंद्र प्रताप सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर अमर बहादुर, एसडीएम सदर गुलाबचंद्र द्वितीय, एडीओ पंचायत श्रीकृष्ण उपाध्याय, इंस्पेक्टर कछवां अंजनी कुमार राय, जमुआ चौकी इंचार्ज, ग्राम प्रधान नारायणपुर रामसुंदर उर्फ मोर पटेल के साथ-साथ हजारों ग्रामीणों ने श्रद्घांजलि अर्पित किया। राजकीय सम्मान के साथ सेना के जवान की अंतिम यात्रा अदलपुरा के लिए प्रस्थान किया। राजकीय सम्मान के अंतिम सलामी सेना के जवानों ने दी। चार भाईयों में तीसरे नंबर के चंद्र प्रकाश का 2010 में पहले ही प्रयास में भारतीय सेना में चयन हुआ था। सेना की 99वीं बटालियन में तैनात चन्द्र प्रकाश 22 अक्टूबर को गांव आया था। एक सप्ताह घर पर रहने के बाद लोगों के बीच रहकर सेना की डयूटी पर चला गया था। इन दिनों वह राजस्थान के सूरतगढ़ में तैनात थे। महाजन रेंज के युद्धाभ्यास के दौरान तोप के ऊपर जवान को शहादत मिली। बेटे का तिरंगा में लिपटा शव देख माता राजपति बिलख पड़ी। पिता राजनाथ का कलेजा रो रहा था। वह अपनों के बीच गम के आंसू में डूबे रहे। असमय लगे आघात से कंठ अवरुद्ध हो गया था। उमड़ी भीड़ में परिजन एक दूसरे को ढाँढस बन्धाते रहे। गंगा तट पर देश का लाल पंचतत्व में विलीन हो गया।