कानपुर में 33 साल पुराने हत्या के मामले में फाइल के पुनर्गठन को लेकर अब डिस्ट्रिक्ट जज फैसला रहेंगे। इस हत्याकांड की सारी पत्रावलियां गायब हो चुकी हैं। इस मामले में सीएमएम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रही थी। जब पत्रावली का कुछ पता नहीं चला तब सीएमएम कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में फाइल का पुनर्गठन और पत्रावली खोने वाले लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर डिस्ट्रिक्ट जज ही निर्णय लेंगे। इसके बाद सीएमएम कोर्ट ने मामले को डीजे कोर्ट में दाखिल करने का फैसला सुनाकर प्रार्थना पत्र को निस्तारित कर दिया। घटना सन 1991 की है। हर्ष नगर में पूजा गौतम नाम की छात्रा की जुलाई 1991 में मौत होने के बाद उसके पड़ोसी संजय अवस्थी ने कर्नलगंज थाने में मुकदमा संख्या 217/1991 हत्या व सबूत छुपाने की धारा में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में विवेचना एसआईएस (वर्तमान में अस्तित्व में नहीं) को ट्रांसफर की गई थी। जांच के बाद इस विवेचना की पूरी पत्रावली खो गई। संजय अवस्थी की तरफ से पत्रावली के लिए सीएमएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया। एक साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी फाइल नहीं मिली इन लोगों को किया गया तलब सीएमएम कोर्ट में मामले की सुनवाई को लेकर संजय अवस्थी के वकील ने पत्रावली न मिलने की जानकारी कोर्ट को दी थी। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि पुलिस ने आख्या रिपोर्ट कोर्ट मुहर्रिर साहब सिंह को प्राप्त कराई थी। कोर्ट ने नोटिस देकर साहब सिंह को तलब किया। साहब सिंह न्यायालय में पेश हुए और कोर्ट को जानकारी दी कि विलुप्त पत्रावली तत्कालीन लिपिक गुरदीन बाबू को प्राप्त कराई गई थी। इसे साबित करने के लिए साहब सिंह द्वारा कोर्ट में रजिस्टर की फोटो कॉपी दाखिल की गई। इसके बाद कोर्ट ने गुरदीन यादव को नोटिस देकर तलब किया। गुरदीन कोर्ट में प्रस्तुत हुआ और जानकारी दी कि सभी पत्रावलियों का चार्ज तत्कालीन लिपिक प्रताप नारायन गुप्ता को प्राप्त कराई गई थी। इसपर कोर्ट ने रिटायर लिपिक श्री प्रताप नरायन गुप्ता को नोटिस देकर तलब किया। रिटायर लिपिक प्रताप नारायन गुप्ता 6 दिसम्बर 2024 को कोर्ट में हाजिर हुआ। लिखित स्पष्टिकरण में उसने कहा कि गुरदीन से जो फाइलें उसे मिली थीं, उसमें पूजा गौतम की हत्या की कोई फाइल मौजूद नहीं थी। डिस्ट्रिक्ट जज कर सकते हैं फैसला इस मामले में सीएमएम कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए कहा कि ऐसी दशा में पत्रावली के गुम होने के संबंध में नियमानुसार विभागीय जांच एवं पत्रावली के पुनर्गठन की कार्यवाही के लिए डीजे कोर्ट को मामला संदर्भित कर दिया गया है। जिससे विलुप्त पत्रावली के दोषी कर्मचारी को दण्डित किया जा सके और पत्रावली का पुनर्गठन भी किया जा सके। जुलाई 1991 में हर्ष नगर निवासी पूजा गौतम को उसके परिवार के सदस्यों ने बेरहमी से पीटा था। इसकी पड़ोसी संजय अवस्थी ने कर्नलगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जब पत्रावली खो गई तब पुलिस ऑफिस के रिकार्ड रूम में सीओ रजिस्टर पुलिस कर्मियों को मिला जिसमें पता चला कि सीएमएम कोर्ट के हेड मुहर्रिर को पत्रावली रिसीव कराई गई थी। इसी मामले में पुलिस ने लिखापढ़ी में अपना जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया था। जिसके बाद अब मामला निस्तारित हुआ है।