आईएमएस बीएचयू में 10 साल के बच्चे की सर्जरी कर डॉक्टरों ने किडनी और शरीर की प्रमुख नसों तक फैले टयूमर को निकालकर उसको नया जीवन दिया है। 20 डॉक्टरों की टीम ने करीब 10 घंटे तक सर्जरी कर करीब डेढ़ किलोग्राम का टयूमर निकाला। पूर्वांचल में पहली बार हुई ऐसी सर्जरी बीएचयू समेत पूर्वांचल में इस तरह की सर्जरी पहली बार की गई। सर्जरी के बाद अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। एक-दो दिन में उसको डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इसके बाद उसकी महामना कैंसर संस्थान में कीमोथेरेपी चलती रहेगी। 10 साल के बच्चे को ट्यूमर बिहार के गोपालगंज निवासी 10 साल के बच्चे में टयूमर की जानकारी मिलने के बाद पहले परिजनों ने कैंसर संस्थान में दिखाया। इसक बाद जब पता चला कि उसके किडनी में और शरीर की मुख्य नस आईवीसी में टयूमर तेजी से फैल गया है तो बीएचयू पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में प्रो.वैभव पांडेय के पास लेकर आए। प्रो. वैभव के अनुसार जांच के बाद पता चला कि पेट में किडनी में टयूमर था। यह किडनी की नस यानी आईवीसी से होते हुए पैर से लेकर हाथ तक फैला था। डाक्टर ने बताई आपरेशन का प्रोसेस प्रो.वैभव ने बताया कि सर्जरी में पहले किडनी को निकाला गया इसके बाद नस में फैले टयूमर को भी निकाला गया है। सर्जरी बहुत जटिल थी, ऐसा इसलिए कि आईवीसी नस जो कि पैर की नस, मुख्य नस, लीवर की नस से लेकर हार्ट तक जाता था। इस वजह से मरीज को बाईपास पर लेना था। 5 लाख का इलाज हुआ महज 25 हजार में डॉ. प्रतिभा राय ने हृदय तक ट्यूमर के विस्तार का विस्तृत आकलन किया, जबकि डॉ. आर.बी. सिंह और डॉ. संजीव ने एनेस्थीसिया और ऑपरेशन के दौरान होने वाले संभावित खतरों को प्रबंधित करने के लिए विस्तृत योजना तैयार की। उन्होंने बताया मरीज के परिवार की सर्जरी की लागत (जो निजी अस्पतालों में लगभग 5 लाख रुपये होती) वहन करने की क्षमता नहीं थी, SSH के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर के.के. गुप्ता ने केस-विशिष्ट और महंगे उपकरणों की व्यवस्था में मदद की, जिससे यह सर्जरी BHU में केवल 25,000 रुपये की नाममात्र लागत पर की जा सकी।