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IIT-BHU गैंगरेप में वर्चुअल पेशी के खिलाफ HC में याचिका:वाराणसी कोर्ट में HC आर्डर तक स्टे की अपील, आरोपियों ने मांगी छात्रा से फिजिकली जिरह

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वाराणसी के IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में पीड़िता की वर्चुअल पेशी के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में गैंगरेप की पहली वर्चुअल पेशी के खिलाफ स्टे अपील दाखिल की है। आरोपियों ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए पीड़िता की फिजिकली मौजूदगी में जिरह कराने की याचिका लगाई है। वहीं वाराणसी कोर्ट में हाईकोर्ट का फैसला ना आने तक सुनवाई टालने या फिर फिजिकली बुलाने की अपील भी की है। हालांकि एफटीसी कोर्ट ने मामले की सुनवाई टालते हुए आरोपियों के अधिवक्ता के प्रार्थना पत्र का अवलोकन भी नहीं किया। इसे अगली तारीख पर देखने की बात कही। वहीं केस में पीड़ित की गैरहाजिरी माफी करते हुए अगली तारीख 3 जनवरी तय कर की है, हालांकि तब तक हाईकोर्ट का आदेश भी आ जाएगा। हाईकोर्ट से तीनों आरोपियों को जमानत मिलने के बाद डरी-सहमी पीड़िता की याचिका पर कोर्ट ने उसे असुरक्षित साक्षी माना है। पीड़िता की सुरक्षा और आरोपियों से सामने नहीं आने पर FTC कोर्ट के जज कुलदीप सिंह ने वर्चुअल पेशी कराए जाने का आदेश दिया था जिस पर आरोपियों ने लगातार विरोध दर्ज कराया। बता दें कि गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल भाजपा में सक्रिय पदाधिकारी थे और महानगर भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे। जिसके साथ उनके फोटो भी सोशल मीडिया साइट्स पर मौजूद हैं। पहले बताते हैं पीड़िता की याचिका…जिस पर वाराणसी में पहली वर्चुअल पेशी का जज ने दिया आदेश देशभर में सुर्खियों में रहने वाले गैंगरेप पीड़िता ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज को कोर्ट में अपनी दुश्वारियां गिनाई, ऐप्लीकेशन देकर अपना दर्द पहुंचाया। छात्रा ने वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है।कोर्ट की तारीखों में परीक्षा की तैयारी उलझ गई है, न्याय के लिए इंतजार भी लंबा होता नजर आ रहा है। जब हम आते हैं तो बहुत से लोगों की नजरों से गुजरते हैं, हर बार आने-जाने पर सामाजिक उपेक्षा का एहसास होता है। वहीं कोर्ट में आरोपी भी सामने खड़े होते हैं। कोर्ट मेरी मनोदशा समझे, हमारे बयान-जिरह के साथ ही हर पेशी को ऑनलाइन किया जाए। ताकि कैंपस से ही जुड़कर कोर्ट कार्रवाई का हिस्सा बन सकें। मैं इन आरोपियों का समाना नहीं करना चाहती हू, बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना मुश्किल भरा होता जा रहा है। अब उसकी परीक्षाएं खत्म हो रही हैं तो जनवरी से इंटर्नशिप एकेडमिक और फील्ड के लिए समय देगी और कोर्ट में बहुत समय लग रहा है। बीएचयू के आईआईटी कैंपस में उपयुक्त साधन और संसाधन उपलब्ध हैं, जो उसके कोर्ट की परेशानियों को कम करेंगे। हालांकि जज ने उस साफ्टवेयर को अस्वीकारते हुए कोर्ट परिसर के विशेष Vulnerable Witness Room से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। अब जानिए आरोपियों ने प्रार्थना पत्र देकर जताई आपत्ति, अब हाईकोर्ट में देंगे दलीलें मुख्य आरोपी कुणाल पांडे बोला-VC के लिए हम सहमत नहीं कोर्ट में आरोपी कुणाल पांडेय की ओर से आपत्ति प्रस्तुत करते हुए वकील ने दलील दी कि पीड़िता ने अपने प्रार्थना पत्र में असुरक्षित साक्षी बताया है जबकि पीड़िता बीएचयू वाराणसी से पुलिस की सुरक्षा में न्यायालय में आती है और जाती है। पीड़िता कहीं से भी असुरक्षित साक्षी की श्रेणी में नहीं आती है। पीड़िता वर्तमान समय में न ही विदेश में है और न ही बाहर रही है बल्कि वह परिसर में है। पीड़िता का साक्ष्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कराया जाता है तो कैमरे के सामने जहां से पीड़िता बैठकर प्रश्नों का उत्तर देगी, कैमरे में उतना ही स्थल कवर होगा और यदि कैमरे के फ्रेम से बाहर अगर उसको विधिक सहायता पीड़िता को दे यह तथ्य कैमरे में कवर नहीं हो सकता। विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए पीड़िता ने प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रेषित किया है। कोर्ट ऐसे मामले में तभी वीडियो कान्फ्रेंस दे जब पीड़िता जेल में हो, या अस्पताल में। पीड़िता किसी भी भांति के असुरक्षित साक्षी की श्रेणी में नहीं आती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दोनों पक्षों की रजामंदी होनी होती है। इसके लिए हम सहमत नहीं हैं। सह आरोपी आनंद चौहान और सक्षम पटेल ने जताई आपत्ति गैंगरेप केस के आरोपी आनन्द चौहान उर्फ अभिषेक चौहान व सक्षम पटेल की ओर से पीड़िता की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र आपत्ति किया, कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही साक्ष्य होगा अनिवार्य प्रावधान नहीं है। सभी पक्षों की सहमति से रूप से ही औपचारिक साक्षियों के लिए इसे किया गया है। पीड़िता चालाकी से वैकल्पिक प्रावधानों का लाभ लेकर विधि व्यवस्था को गलत ढंग से प्रभावित करना चाहती है। अतः पीड़िता की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाये। कोर्ट की विशेष टिप्पणी, Vulnerable witness साक्षी की श्रेणी में आती है छात्रा जज कुलदीप सिंह ने कहा कि पीड़िता ने उच्चतम न्यायालय की विधि व्यवस्था स्मृति तुकाराम बडाडे (Supra) का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के अपराध की शिकार वयस्क महिला को “असुरक्षित साक्षी – Vulnerable witness” की श्रेणी में शामिल किया गया है। मामला पीड़िता के गैंगरेप से संबंधित है, अतः विधि व्यवस्था में पारित किये गए अभिमत के अनुसार आईआईटी की पीड़िता छात्रा भी Vulnerable witness साक्षी की श्रेणी में आती है। जज ने कहा कि पीड़िता के हितों का संरक्षण करते हुए शीघ्रता से उचित वातावरण में गवाही, साक्ष्य और जिरह कराना ही न्यायालय का कर्तव्य है। आरोपियों से अभी पीड़िता के सामने गवाही और जिरह नहीं पूरी हो सकी जिसके लिए कवायद जारी है। एक बार जांच या विचारण प्रारंभ होने के बाद इसे तब तक जारी रखा जाना चाहिए, जब तक उपस्थित सभी गवाहों की गवाही और जिरह नहीं हो जाती। इस फैसले का मतलब जजमेंट में देरी को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि कार्यवाही बिना किसी रुकावट के आगे बढ़े। न्यायालय का कर्तव्य पीड़िता की गवाही को न्यायालय में दर्ज कराना है और गवाही शीघ्रता से अभिलिखित कराते हुए गैंगरेप की पीड़िता आईआईटी बीएचयू की छात्रा को अनावश्यक रूप से मानसिक रूप से परेशान होने से बचाना भी है। पीड़िता आईआईटी बीएचयू से तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने वाली बीस वर्षीय छात्रा है, जो लगातार छः तिथियों पर प्रतिपरीक्षा हेतु न्यायालय उपस्थित रही है। परंतु अभियुक्तगण की ओर से उक्त साक्षी से पूर्ण जिरह नहीं हो सकी, स्थगन के बहाने केस की कार्रवाई को टाला गया। इस दौरान गवाही और जिरह के लिए आई पीड़िता मानसिक रूप से परेशान हुई। मानसिक परेशानी व उसके ऐकेडमिक कैरियर को देखते हुए Vulnerable Witness Deposition Scheme के तहत पीड़िता का शेष जिरह न्यायालय परिसर में जरिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कराया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। पहले आनंद फिर कुनाल और सक्षम की हो चुकी रिहाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सबसे पहले आरोपी आनंद ने 11 नवंबर 2023 को जमानत याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी, जिस पर कई बार सुनवाई हुई और तारीख बढ़ती रही। आनंद ने परिजन की बीमारी समेत कई कारण बताए, तो कोर्ट ने 2 जुलाई 2024 को जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन कई शर्तें लगा दीं। आनंद के जमानत स्वीकार होते ही दूसरे आरोपी कुणाल ने भी 2 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 4 जुलाई को कोर्ट ने उसकी भी जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन जमानतदारों के वैरिफिकेशन के चलते उसकी भी रिहाई 24 अगस्त को हो सकी। इसके बाद 4 जुलाई को तीसरे आरोपी सक्षम पटेल ने जमानत अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने कुछ दिन बाद गैंगरेप में जमानत दे दी, लेकिन गैंगस्टर में आपत्ति दाखिल हो गई। अब गैंगस्टर के केस में सक्षम पटेल की याचिका हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 16 सितंबर को खारिज कर दी। इसके बाद उसने डबल बेंच में अपील की, जहां कोर्ट ने सभी पहलुओं को सुनकर पुलिस रिपोर्ट तलब की। पुलिस ने कोर्ट में कमजोर रिपोर्ट पेश की, जिस पर अभियोजन की बहस भी फीकी रही और मजबूत आधार नहीं होने के चलते सक्षम पटेल को जमानत मिली। सवाल उठे तो पता चला कि सक्षम पटेल के खिलाफ भाजपा नेताओं की पैरवी की बात भी सामने आई है, काशी क्षेत्र के एक मजबूत भाजपा पदाधिकारी का करीबी भी बताया गया है। IIT-BHU गैंगरेप के आरोपी BJP नेताओं से जुड़े हुए IIT-BHU में बीटेक छात्रा से गैंगरेप के 2 आरोपी कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त में जमानत दे दी। तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई जारी है। जमानत के बाद आनंद नगवा कॉलोनी स्थित घर पहुंचा तो उसका स्वागत किया गया था। बृज ऐनक्लेव में कुणाल को भी परिजनों और रिश्तेदारों ने हाथों हाथ लिया था। गैंगरेप के तीनों आरोपी भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे। 22 अगस्त को छात्रा ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया अभियोजन की वकील बिंदू सिंह ने बताया कि कोर्ट ने IIT-BHU गैंगरेप की सुनवाई तेज कर दी है। केस में सबसे पहले छात्रा को कोर्ट ने 22 अगस्त को बुलाया था। पुलिस सुरक्षा में छात्रा को कोर्ट में पेश किया गया। BHU की वारदात को छात्रा ने कोर्ट के सामने रखा। उसने बताया कि तीनों आरोपियों ने दरिंदगी की, धमकाया और फिर फरार हो गए। घटना के बाद से कई तरह का दबाव भी महसूस कर रही है। बाहर आते-जाते डर लगता है, इसलिए अधिकांश समय हॉस्टल में रहती हूं। पीड़िता बयान पर कायम, HC के आदेश का करेंगे इंतजार ADGC (फौजदारी) मनोज गुप्ता ने बताया कि हम कोर्ट की कार्रवाई को आगे ले जा रहे हैं, सुनवाई और जिरह तेज करने के लिए जज ने वर्चुअल पेशी का आदेश दिया था। बचाव पक्ष का प्रयास रहता है कि किसी न किसी तरह से मामले में देरी हो और अगली तारीख बढ़ जाए। अब आदेश को अस्वीकार कर हाईकोर्ट में अपील का प्रार्थनापत्र कोर्ट को दिया है, हम हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार करेंगे। पीड़िता की मनोदशा थोड़ी ठीक नहीं है और वह कोर्ट रूम में बार-बार आने में असहज महसूस कर रही थी, अगली तारीख पर उसे वीसी से जोड़ा जाएगा। हालांकि, पीड़िता मजबूती के साथ कोर्ट में अपने बयान पर कायम है। उसने पूरा घटनाक्रम मौखिक और लिखित दिया है। उसके साथ मौजूद उसका दोस्त भी सुनवाई की तारीख पर आएगा।

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