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LU में सीमित संसाधनों में हो रहा बेहतरीन रिसर्च:कभी दुनिया में थी धाक, आज अखरती है दिग्गज प्रोफेसरों की कमी

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एक ऐसा समय था जब लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में प्रदेश भर के शिक्षकों की समस्याओं का हल निकलता था। यहां के शिक्षक देश दुनिया में अपना अलग रुतबा रखते थे। उनके रिसर्च की धाक वर्ल्ड क्लास जर्नल में नजर आती है। टॉप ग्लोबल यूनिवर्सिटी यहां के प्रोफेसरों को बेस्ट प्रोफाइल ऑफर करती थी। दुनिया के पहले सोशल वर्क डिपार्टमेंट की नींव भी यहीं पड़ी। आज जब लखनऊ विश्वविद्यालय एक शताब्दी से अधिक का सफर तय कर चुका है तो उन दिग्गज प्रोफेसरों की कमी आज के दौर के शिक्षकों को बहुत अखरती है। राजधानी का लखनऊ विश्वविद्यालय 25 नवंबर को 104 साल का हो रहा है। ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, गौरवशाली अतीत को याद कर इस धरोहर को सहेजना की बात कहता है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 50वें एपिसोड में लखनऊ विश्वविद्यालय के लखनऊ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (LUTA) के अध्यक्ष प्रो.आरबी सिंह मून से खास बातचीत… प्रो. आरबी सिंह मून कहते हैं कि लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों का लोहा देश दुनिया के लोग मानते हैं। आज के दौर में भले ही सीमित संसाधन हों, पर हम बेहतरीन काम कर रहे हैं। हमारा रिसर्च वर्क पर फोकस लगातार बरकरार है।

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