रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) गोरखपुर से फर्जी पैनल जारी होने के मामले में अब केस दर्ज कराने की तैयारी है। इस बात के निर्देश दे दिए गए हैं। इस मामले में पूर्व चेयरमैन नुरूद्दीन अंसारी एवं उनके निजी सचिव रहे रामसजीवन को निलंबित किया जा चुका है। सेंट्रल विजिलेंस की टीम ने 3 दिनों तक यहां जांच पड़ताल की है। सारे दस्तावेज अपने साथ लेकर गई है। 2018 से लेकर अब तक के सभी पैनल की गहनता से जांच की जाएगी।
मार्डन रेल कोच फैक्ट्री रायबरेली के लिए फर्जी तरीके से दो नाम जोड़कर पैनल भेज दिया गया था। 26 अप्रैल को पैनल भेजने के बाद उनकी ट्रेनिंग भी शुरू हो गई। अक्टूबर 2024 में उसी चेयरमैन की ओर से पत्र लिखा गया कि दो नाम फर्जी हैं,उन्हें सेवामुक्त कर दिया जाए। इसके बाद से रेलवे में हड़कंप मच गया। इसी के बाद रेलवे बोर्ड ने चेयरमैन को निलंबित कर दिया। इससे पहले 2018 के तकनीशियन भर्ती की जांच में पूर्व चेयरमैन को हटा दिया गया था। निजी सचिव पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी
इस मामले में RRB के चेयरमैन के निजी सचिव रहे रामसजीवन पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। उन्हें निलंबित किया जा चुका है। मेजर चार्जशीट देने की तैयारी चल रही है। रेलवे सूत्रों की मानें तो उनकी बर्खास्तगी भी हो सकती है। दूसरी ओर सेवानिवृत्त हो चुके RRB के कार्यालय अधीक्षक चंद्रशेखर आर्य की पेंशन प्रभावित हो सकती है। इस मामले में जल्द ही एक अन्य कर्मचारी पर भी कार्रवाई हो सकती है। सीबीआइ कर सकती है जांच
सेंट्रल विजिलेंस की जांच के बाद यह मामला काफी बड़ा निकला है। इसकी जांच सीबीआइ से कराने की सिफारिश भी हो सकती है। सीबीआइ जांच हुई तो कई और लोग जद में आएंगे। 2018 के पैनल की भी नए सिरे से जांच हो सकती है। भर्ती बोर्ड से जुड़े लोग इस समय कार्रवाई के डर से सहमे हैं। जानिए क्या था मामला
रेलवे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद RRB गोरखपुर को मार्डन कोच फैक्ट्री के लिए जो पैनल दिया गया था, वह 9 लोगों का ही था। लेकिन उनमें से दो अभ्यर्थियों को कहीं और नौकरी मिल गई थी। RRB से जब उनके पास डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन के लिए फोन गया तो उन्होंने दूसरी नौकरी के बारे में बताया था। सूत्रों का कहना है कि जैसे ही यह जानकारी हुई कि दो अभ्यर्थी नहीं आएंगे, यहां से दो नाम जोड़ दिए गए। जिन लोगों के नाम जोड़े गए थे, उन्होंने न तो फार्म भरा था और न ही परीक्षा दी थी। RRB में तैनात रहे कर्मियों के पुत्र हैं दोनों
दोनों फर्जी नाम जिनके हैं, वे RRB में ही तैनात रहे दो कर्मचारियों के पुत्र हैं। चर्चा है कि दोनों कर्मचारियों की इसमें मिली भगत थी। लेकिन पैनल पर चेयरमैन के हस्ताक्षर होने से उनपर कार्रवाई हुई है। कार्यालय अधीक्षक व पैनल इंचार्ज चंद्रशेखर आर्य के पुत्र राहुल प्रताप व निजी सचिव द्वितीय राम सजीवन के पुत्र सौरभ के नाम शामिल किए गए थे। इसमें चंद्रशेखर सेवानिवत्त हो चुके हैं जबकि राम सजीवन का ट्रांसफर सिग्नल कार्यालय में कर दिया गया है। बढ़ रहा जांच का दायरा, खुलेंगी कई परतें
RRB में हुए फर्जीवाड़े की जांच का दायरा बढ़ रहा है। इस फर्जीवाड़े से इस बात का संदेह पैदा हुआ है कि अन्य भर्तियों में भी कुछ गड़बड़ी हो सकती है। इसीलिए विजिलेंस की टीम ने सभी दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। इस गड़बड़ी के लिए सीधे तौर पर कौन जिम्मेदार है, इसका पता भी लगाया जा सकता है। माना जा रहा है कि केवल दो कर्मचारी अपने बूते इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं कर सकते हैं। इसमें कुछ और लोगों की भूमिका को भी संदिग्ध माना जा रहा है। किसके क्या अधिकार हैं, यह भी देखा जा रहा है।