अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में पद को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रही है। मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया और पूर्व सरंक्षक कुलदीप बिश्नोई का मामला तूल पकड़ा जा रहा है। अब इस विवाद में रजिस्ट्रार सोसाइटी की भी एंट्री हो गई है। मुरादाबाद रजिस्ट्रार सोसाइटी ने मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया को नोटिस जारी किया है। मुरादाबाद के सहायक रजिस्ट्रार आनंद विक्रम सिंह ने कुलदीप बिश्नोई और देवेंद्र बुड़िया के विवाद के बाद मुकाम धाम में हुई बैठक की प्रोसेडिंग रिपोर्ट तलब की है। सहायक रजिस्ट्रार ने संस्था के कार्रवाई रजिस्टर, सदस्यता रजिस्टर, एजेंडा रजिस्टर, सदस्यता रसीद और बैंक स्टेटमेंट दो सप्ताह के अंदर देने के आदेश दिए हैं। रजिस्ट्रार सोसाइटी को शक है कि महासभा के कागजों के साथ छेड़छाड़ की गई है। बता दें कि कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाने और बिश्नोई रत्न वापस लेने के बाद अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की कार्यकारिणी के 11 सदस्यों ने सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटी को शपथ पत्र भेजकर मुकाम धाम में हुई बैठक को असंवैधानिक बताया था। इसके बाद यह नोटिस जारी किया गया है। सहायक रजिस्ट्रार की ओर से बुड़िया को दिया गया नोटिस… विस्तार से पढ़ें सहायक रजिस्ट्रार ने नोटिस पत्र में क्या लिखा… “देवेंद्र बुड़िया, प्रधान, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, आप अपने पत्र दिनांक 27.06.2024 का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके माध्यम से आपके द्वारा बैठक दिनांक 09.02.2024 में प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव में साधारण बैठक दिनांक 25.07.2021 में संरक्षक को अधिकार दिए गए हैं। यदि संस्था के किसी पदाधिकारी या सदस्य द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया जाता है, एवं संस्था के उद्देश्यों के विपरीत कार्य किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में संरक्षक महोदय को अधिकार होगा। कार्यकाल के माध्य में किसी भी प्रबंध कार्यकारिणी के पदाधिकारी या सदस्य को हटाकर नए पदाधिकारी या सदस्य को प्रबंध कार्यकारिणी के रिक्त स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं। इसको लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है”। 13 नवंबर, स्थान मुकाम धाम …
बिश्नोई समाज के धार्मिक स्थल मुकाम धाम पर एक बैठक हुई। जिसमें समाज के लोगों ने 5 बड़े फैसले लिए। करीब 2 घंटे तक चली इस बैठक में सबसे बड़ा फैसला संरक्षक का पद खत्म करना था। साथ ही कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न वापस लेने का भी फैसला लिया गया है। इससे पहले महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाने के लिए एक पत्र जारी किया था। जिसमें लिखा है कि आपके बेटे ने अंतर्जातीय विवाह किया है। इससे पूरे बिश्नोई समाज में भारी रोष है। ऐसे में आप इस पद पर नहीं रह सकते। बैठक में लिए गए 5 बड़े फैसले…
1. संरक्षक का पद खत्म
कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से पदमुक्त कर दिया गया है। साथ ही फैसला लिया गया है कि अब महासभा के अंदर कोई संरक्षक होगा ही नहीं। यानी कि इस पद को ही खत्म कर दिया गया है। 2. लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव किया जाएगा
बिश्नोई महासभा में नए प्रधान का चुनाव अब लोकतांत्रिक तरीके से होगा। पहले संरक्षक प्रधान को चुनते थे। 3. चुनाव तक देवेंद्र रहेंगे प्रधान
कुलदीप बिश्नोई ने ही देवेंद्र को प्रधान बनाया था और फिर उन्होंने ही एक पत्र जारी कर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान नियुक्त किया था। लेकिन कुलदीप के इस कदम के बाद विवाद और बढ़ गया। इस विवाद को खत्म करने के लिए समाज ने फैसला लिया है कि चुनाव तक देवेंद्र ही प्रधान बने रहेंगे। 4. बिश्नोई रत्न वापस लेने का फैसला
बिश्नोई रत्न का सम्मान काफी खास है। आज तक ये सम्मान केवल दो ही लोगों को मिला है। एक पूर्व सीएम भजन लाल और दूसरा कुलदीप बिश्नोई को। उन्हें ये सम्मान 4 साल पहले ही मिला था। लेकिन बैठक में फैसला लिया गया कि कुलदीप से ये सम्मान भी वापस लिया जाएगा। 5. कुलदीप बिश्नोई या उनके परिवार का सदस्य नहीं करेगा दखलअंदाजी
कुलदीप बिश्नोई का समाज और महासभा पर अच्छा प्रभाव था। लेकिन बैठक में फैसला लिया गया है कि कुलदीप बिश्नोई या फिर उनके परिवार का कोई भी सदस्य महासभा में कोई भी दखल अंदाजी नहीं करेगा। 15 दिन पहले कुलदीप पक्ष के पदाधिकारियों ने शपथ पत्र भेजे…
करीब 15 दिनों पहले अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के 21 में से 14 सदस्यों ने कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद पर बरकरार रखने के लिए मुरादाबाद (UP) रजिस्ट्रार सोसाइटी को हस्ताक्षर युक्त पत्र सौंपा था। इसमें कहा गया है कि कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाना असंवैधानिक है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने बिना कार्यकारिणी से पूछे ऐसा निर्णय लिया जो नियमानुसार सही नहीं है। संरक्षक को हटाने के लिए कार्यकारिणी की सहमति लेनी जरूरी है। जबकि 21 में से 14 सदस्य कुलदीप बिश्नोई के समर्थन में हैं। इन 14 में से 11 सदस्यों ने रजिस्ट्रार सोसाइटी को एफिडेविट (शपथ पत्र) भी सौंपा था।