भोपाल में मेंडोरी के जंगल से गुरुवार रात 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए कैश के साथ एक इनोवा कार जब्त की गई थी। पड़ताल के दौरान आयकर विभाग के अधिकारियों के हाथ एक डायरी और कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिसमें खुलासा हुआ है कि RTO के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग के अफसरों के साथ सालभर में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन किया है। आयकर विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सौरभ को VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने के बाद भी सारे RTO पैसे भेजते थे। जिसे वह इधर-उधर करता था। अब इस मामले में परिवहन विभाग के आला अफसरों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 52 जिलों के RTO के नाम और नंबर भी मिले
आयकर विभाग को सौरभ शर्मा से संबंधित जांच में जो रिकॉर्ड मिले हैं, उसमें प्रदेश के 52 जिलों के RTO के नाम और नंबर भी मिले हैं। इसके साथ ही यह भी लिखा है कि किस RTO से कितनी राशि मिली है। बताया जा रहा है कि राशि किसे दी गई, इसके भी कुछ दस्तावेज मिले हैं। हालांकि, अभी इसे जांच के दायरे में बताकर सामने नहीं लाया गया है। चेतन से पूछताछ पूरी, सौरभ अभी तलब नहीं
जिस चेतन सिंह गौर की कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए कैश बरामद किए गए, उससे आयकर विभाग ने पूछताछ लगभग पूरी कर ली है। वह अभी आयकर विभाग के अफसरों के संपर्क में है। उसके बयान के आधार पर मुख्य किरदार सौरभ शर्मा से पूछताछ की जानी है। बताया जा रहा है कि अभी सौरभ शर्मा को तलब नहीं किया गया है, लेकिन जल्दी ही उसे पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। जांच के घेरे में आ सकते हैं परिवहन आयुक्त
इस पूरे मामले में जिलों के RTO की भूमिका सामने आने के बाद अब परिवहन मुख्यालय के मुखिया और परिवहन आयुक्त की भूमिका भी जांच के घेरे में आ सकती है। आयकर विभाग फिलहाल इतना ही कह रहा है कि परिवहन विभाग इसमें इन्वॉल्व है, लेकिन किसी IPS अधिकारी को लेकर अभी जांच शुरू नहीं है। मेंडोरी की कार्रवाई सिर्फ इनकम टैक्स की
आयकर अफसरों के मुताबिक मेंडोरी से जब्त कैश और गोल्ड को आयकर अधिनियम की धारा 132 के आधार पर जब्ती बताकर SBI में जमा करा दिया गया है। धारा 132 का इस्तेमाल आयकर विभाग तब करता है, जब यह कार्रवाई किसी अन्य जांच एजेंसी की मदद के बगैर की गई हो। अगर किसी अन्य जांच एजेंसी को इसमें शामिल किया जाता है तो आयकर अधिनियम की धारा 132 ए के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है। आयकर अधिकारियों का कहना है कि मेंडोरी में इनोवा कार में गोल्ड और कैश होने की सूचना अज्ञात सोर्स से मिली थी। मौके पर पहुंचने पर वहां कुछ पुलिसकर्मी पाए गए और उन्होंने कार में जांच से इनकार कर दिया। इसके बाद TI से लिखित में लेने के बाद पूरे मामले की जांच अकेले आयकर विभाग ने की है। पिस्टल लेकर कार की देखरेख कर रहे थे कुछ लोग
जिस खाली प्लॉट में कार को छिपाया गया था, वहां आसपास खेतों में काम कर रहे लोगों का दावा है कि गुरुवार शाम 4 बजे दो कार इस प्लॉट पर आई थी। इनमें से एक को प्लॉट के अंदर ले जाया गया, जबकि दूसरी बाहर थी। दोनों वाहनों में 5 से 6 लोग थे। इन्होंने कार के आगे लगी RTO की प्लेट हटाई और उसे मिट्टी में दबा दिया। इसके बाद कार ढंककर चले गए। इन सभी के पास पिस्टल समेत अन्य हथियार थे। ये देख लोग सहम गए। कार छिपाने के बाद भी ये लोग दूसरी कार से यहां हर 10 से 15 मिनट में यहां आते-जाते रहे। पुलिस ने लिखित में दिया- कार्रवाई नहीं करेंगे पुलिस को गुरुवार शाम 4 बजे लावारिस कार की सूचना मिल गई थी। आधे घंटे बाद दो पुलिसकर्मी पहुंचे। इसके बाद पुलिसकर्मी आते-जाते रहे, पर रात 11 बजे तक कार्रवाई नहीं की गई। फिर रात 11:30 बजे आयकर टीम मौके पर पहुंची। तब भी वहां 7-8 पुलिसकर्मी थे, जो धीरे-धीरे निकल गए। मौके पर एक हेड कॉन्स्टेबल ही बचा। कार्रवाई पर बहस चली तो पुलिस अफसर ने कार्रवाई नहीं करने की बात लिखित में दी। सौरभ शर्मा के ठिकानों से क्या मिला
RTO विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों से अब तक 7.98 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की गई है। मकान E-7/78 से ये सामान मिला मकान E-7/657 से 30 लाख का सामान मिला
लोकायुक्त की टीम ने चेतन सिंह गौर के मकान E-7/657 से कुल 30 लाख रुपए का घरेलू सामान बरामद किया। इसमें बेड, टीवी, फ्रिज, पर्दे, कपड़े और इंटीरियर आइटम्स शामिल हैं। आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा
परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अफसर बताते हैं कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे। साल 2016 में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ की तरफ से आवेदन दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने स्पेशल नोटशीट लिखी कि उनके यहां कोई पद खाली नहीं है। अक्टूबर 2016 में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती सौरभ की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई। मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया। नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी आलीशान हो गया था, जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं। कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत सेवानिवृति ले ली। इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया। PA सत्यप्रकाश पर FIR हुई तब सौरभ की नजदीकी अफसरों में बढ़ी
सौरभ शर्मा 3 वर्ष पूर्व विभाग की शिकायतें ऊपर तक पहुंचने पर विभाग के मंत्री व प्रमुख लोगों के नजदीक आया था। 2021 में विभाग के मंत्री व आयुक्त की शिकायतें ऊपर तक पहुंची थी। इन शिकायतों के मामले में बाद में आयुक्त पीए रहे सत्यप्रकाश शर्मा और उनके ड्राइवर के खिलाफ क्राइम ब्रांच में प्रकरण भी दर्ज हुआ था। इस प्रकरण में सत्यप्रकाश का ड्राइवर भी आरोपी है, क्योंकि डाकघर में शिकायतें ले जाते हुए उसके फुटेज पुलिस को मिले थे। चेतन बोला- मैं वर्कर की हैसियत से काम करता था आयकर विभाग को दिए बयान में चेतन सिंह गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का साधारण वर्कर बताया है। चेतन का कहना है कि सौरभ जहां कहता था, मैं वहां साइन कर दिया करता था। मेरे दस्तावेज वह अलग-अलग काम बताकर ले लेता था। चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी। इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया। चेतन के अनुसार, सौरभ ने इसी भरोसे का फायदा उठाकर उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। चेतन ने कहा- सौरभ ने उसके नाम से कार खरीद ली। चेतन के दस्तावेजों पर पेट्रोल पंप का आवंटन करा लिया। इसके अलावा भी कई संपत्तियां चेतन के नाम से खरीदीं। मामले से जुड़ीं ये खबर भी पढ़ें… NGO की जमीन पर स्कूल बना रहा सौरभ शर्मा, फ्रेंचाइजी में सचिव है चेतन लोकायुक्त और इनकम टैक्स के छापों में RTO के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ के नकदी और आभूषण मिले हैं। ये भी पता चला है कि सौरभ जल्द ही शाहपुरा के बी सेक्टर में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था। चेतन सिंह गौर जयपुरिया स्कूल की समिति में सचिव है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…