जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के कद्देर इलाके में सेना और पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन में 5 आतंकियों को ढेर कर दिया। हालांकि आतंकियों के शव मिलने बाकी हैं। मुठभेड़ में दो जवान भी घायल हुए हैं। गुरुवार सुबह सेना और पुलिस को इलाके में 4-5 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद जॉइंट सर्च ऑपरेशन चलाया गया। तलाशी के दौरान आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की। उधर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली में मीटिंग कर सकते हैं। सितंबर-अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद यह पहली बैठक होगी। इसमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना, अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, खुफिया एजेंसियों और गृह मंत्रालय के सीनियर अफसर शामिल होंगे। इससे पहले 16 जून को भी शाह ने हाई लेवल मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि आतंकवाद को कुचलें और आतंकियों की मदद करने वालों पर भी सख्ती बरतें। दिसंबर में एनकाउंटर की पहली घटना, नवंबर में 8 आतंकी मारे गए थे
जम्मू-कश्मीर में सेना और आतंकियों के एनकाउंटर की यह पहली घटना है। पिछले महीने नवंबर में 10 दिनों में 9 एनकाउंटर हुए थे। जिसमें 8 आतंकी ढेर हो गए थे। जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव
जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं। बीते दिनों जिन 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, उन्होंने पूछताछ में इसके सुराग दिए हैं। यह नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने दो साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।