पंजाब के मोहाली जिले के एक युवक ने अमेरिका जाने का सपना देखा था। हरियाणा के अंबाला के एजेंट ने उसे कनाडा के रास्ते डंकी रूट से अमेरिका पहुंचाने का दावा किया था। इसके बदले में उसने करीब 43.50 लाख रुपये भी लिए थे, लेकिन उसे पहले वियतनाम और फिर आठ महीने तक कंबोडिया में फंसाए रखा। वहां उसके पैर में फोड़ा हो गया और सही इलाज न मिलने से संक्रमण बढ़ता गया और शनिवार को उसकी मौत हो गई। अब परिवार ने पंजाब सरकार से बेटे का शव भारत लाने की अपील की है। साथ ही आरोपी एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की। मजदूर परिवार ने जुटाए लाखों रुपए डेराबस्सी के शेखपुरा कलां गांव के 24 वर्षीय रणदीप सिंह 10वीं पास थे, वे परिवार में सबसे छोटे थे। उन्होंने अमेरिका जाकर घर की हालत सुधारने की सोची। इसके लिए उन्होंने हरियाणा के अंबाला में रहने वाले एक रिश्तेदार ट्रैवल एजेंट से संपर्क किया। एजेंट ने पहले 50 लाख मांगे। फिर एजेंट ने 43 लाख रुपए की बात कही। परिवार मजदूरी करता है। लेकिन किसी तरह बेटे के लिए पैसों का इंतजाम किया, रिश्तेदारों और परिचितों से पैसे उधार लिए। वे 1 जून 2024 को अमेरिका के लिए रवाना होंगे। लेकिन इसी बीच अमेरिका में ट्रंप की सरकार आ गई। साथ ही एजेंट को पता चला कि ट्रंप अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचने वालों पर कार्रवाई करेंगे। बॉर्डर पर भी सख्ती थी। एजेंट ने उन्हें वहीं रोक लिया। वह न तो उन्हें आगे भेज रहा था और न ही वापस भारत भेज रहा था। एजेंट ने पासपोर्ट भी जब्त कर लिया रणदीप के परिजनों द्वारा 20 फरवरी को पुलिस को दी गई शिकायत में बताया गया कि वह आठ महीने से कंबोडिया में फंसा हुआ है। एजेंट उसका रिश्तेदार है, जो अंबाला का रहने वाला है। आरोपी एजेंट न तो उन्हें आगे भेज रहा है और न ही वापस। इन लोगों को भारत वापस भागने से रोकने के लिए एजेंट ने उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए। इसी बीच रणदीप को फोड़ा हो गया। उसका ठीक से इलाज नहीं हो सका। इसी बीच उसकी मौत हो गई। परिजनों ने एजेंट के खिलाफ शिकायत देकर उसके खिलाफ कार्रवाई करने और पैसे वापस दिलाने की मांग की है। परिजनों ने भेजे 20 हजार, सुबह आई मौत की खबर मृतक के बड़े भाई रवि ने बताया कि उसके पिता 58 वर्षीय बलविंदर सिंह और मां ज्ञान कौर दिहाड़ी मजदूर हैं। रणदीप को कनाडा के रास्ते अमेरिका पहुंचना था लेकिन एजेंट उसे कनाडा भी नहीं ले जा सका। आर्थिक मदद मिलना तो दूर, परिवार रणदीप की अंतिम क्षणों में मदद भी नहीं कर सका। फोन पर वह कह रहा था कि वह विदेश में नहीं रहना चाहता। शुक्रवार को उसे ऑनलाइन बीस हजार रुपए भी भेजे गए लेकिन शनिवार तड़के उसकी मौत की खबर आ गई। जिंदा रहते उसे बचाया नहीं जा सका, अब शव का इंतजार है।