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निर्भया की मां बोलीं- भारत में महिलाएं अभी भी असुरक्षित:बेटी ने कहा था- अपराधियों को ऐसी सजा मिले कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो

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16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था। आज इस कांड को 12 साल पूरे हो रहे हैं। सोमवार को निर्भया कांड की पीड़ित की मां ने कहा, ‘देश में बेटियां अभी भी सुरक्षित नहीं हैं।’ निर्भया की मां आशा देवी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम पर पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुई थीं। उन्होंने भावुक होकर कहा- मैं बहुत दुख के साथ कहना चाहती हूं कि 12 साल बाद भी परिस्थितियां नहीं बदली हैं। देश की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। जब मैं अपनी बेटी के लिए न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रही थी, तो मुझे पता था कि वो अब नहीं रही और कभी वापस नहीं आएगी, लेकिन मुझे उसकी बातें याद हैं कि अपराधियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि ऐसी घटना दोबारा न हो। उन्होंने कहा कि देश की बेटियों की रक्षा से जुड़े कई कार्यक्रमों में मैंने भाग लिया, लेकिन सब कुछ बेकार हो गया। नए कानूनों और कई चर्चाओं के बावजूद आज भी हालात नहीं बदले हैं। आशा देवी ने कहा- मैं कुछ घटनाओं को समझ नहीं पा रही हूं, जहां माता-पिता अपनी बेटी खो देते हैं, लेकिन मामला अदालत तक नहीं पहुंचता। अपराधी की पहचान करने में 6 महीने से लेकर एक साल का समय लग जाता है। फिर हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि हमारी बेटियां सुरक्षित होंगी और जिन माता-पिता ने अपनी बेटियों को खो दिया है, उन्हें न्याय मिलेगा? आरजी में क्या हुआ आज भी पता नहीं आशा देवी ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा- अभी भी किसी को नहीं पता कि वास्तव में वहां क्या हुआ था। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से सोचने की अपील की कि सोचें कि पुलिस, कानून और दूसरी व्यवस्थों के बावजूद चीजें क्यों नहीं बदली हैं। उन्होंने कहा- मैं किसी पर आरोप नहीं लगा रही हूं, लेकिन मुझे दुख है कि हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, चाहे वह स्कूल में हो, कार्यालय में हो, कहीं भी हो। आमतौर पर छोटी बेटियों के लिए तो हालात और भी बदतर होते हैं और जब कस्बों और शहरों में ऐसी स्थिति है तो गांवों के बारे में क्या कहा जा सकता है, जहां ज्यादातर घटनाएं अनदेखी हो जाती हैं।”उन्होंने कहा कि जो भी हमारा कानून है उसके सही मायने में काम हो ताकि हमारी बच्चियों को इंसाफ मिले। उसने अपने दिल के बोझ को रेखांकित करते हुए कहा। “सब लोगों की मिलकार – सरकार, पुलिस – को ऐसा कुछ करना चाहिए ताकि जो लोग आज भी संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें इन्साफ मिले, हमारे बच्चे सुरक्षित हों, आज मिशन जो शुरू हुआ है वो कामयाब हो,” (सहित हर कोई) सरकार और पुलिस को मिलकर कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोगों को उनकी बेटियों को न्याय मिले, हमारी बेटियां सुरक्षित रहें और आज शुरू होने वाला मिशन सफल है)” निर्भया की मां ने कहा। जानिए क्या हुआ था 16 दिसंबर 2012 की रात
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में 6 लोगों ने निर्भया के साथ गैंगरेप किया था। हालत गंभीर होने पर 27 दिसंबर को निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया जहां 29 दिसंबर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी चार लोगों – मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च को साल 2020 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। वहीं एक ने तिहाड़ जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। 6वां आरोपी घटना के दौरान नाबालिग था। साल 2015 में उसे रिहा कर दिया गया था। ……………………………………… रेप के दोषियों को नपुंसक बनाने की मांग वाली याचिका, सुप्रीम कोर्ट बोला- ये बेहद क्रूर; निर्भया केस की 12वीं बरसी पर अर्जी लगाई गई 16 दिसंबर को निर्भया गैंगरेप-मर्डर की 12वीं बरसी पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इसमें रेप के दोषियों को नपुंसक बनाने की मांग की गई। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा पर गाइडलाइंस बनाने और कानूनों में सुधार सहित 20 मांगें की गई हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयान की बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा- ये मांग बेहद क्रूर है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों को याचिका पर नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। पूरी खबर पढ़ें…

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