जगह: बांग्लादेश सीमा पर बसा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले का गांव श्रीरामपुर।
समय: दोपहर 2 बजकर 36 मिनट।
इस समय यहां साप्ताहिक हाट लगा हुआ है। यहीं हमारी मुलाकात स्थानीय मोहम्मद अशफाक से हुई। उनके हाथ में कीपैड फोन था, जिससे वो बार-बार बांग्लादेश कॉल कर रहे थे। मैंने कॉल रेट के बारे में पूछा तो बोले- यह इंटरनेशनल नहीं, लोकल कॉल है, क्योंकि फोन में बांग्लादेश की सिम है। इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम करता हूं, इसके लिए लोकल सिम चाहिए। मैंने पूछा- सिम कहां से मिली, तो बोले- यहीं। आपको चाहिए क्या? मैंने कहा- नहीं। इसके बाद मैं वहां से निकल आया। बांग्लादेश से सटे बंगाल बॉर्डर पर यही सिम सीमा सुरक्षा बल (BSF) का सिरदर्द बनी हुई हैं। अगस्त में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से श्रीरामपुर में बाहरी सिम की खरीद-बिक्री होने लगी है। बांग्लादेश के ज्यादातर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के नेटवर्क भारतीय सीमा में पांच किमी भीतर तक आते हैं। यानी तस्कर दो देशों के बीच लोकल कॉल पर बात कर रहे हैं। एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि बीते दिनों कुछ तस्कर जब भागकर बांग्लादेश की सीमा में जा रहे थे, तब उनका एक फोन गिर गया था। इसमें बांग्लादेशी सिम थी। तब हमें भारतीय इलाके में विदेशी सिमों के एक्टिव होने की जानकारी मिली। इन्हें ट्रैक करने की तकनीक फिलहाल हमारे पास नहीं है। BSF के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के DIG एनके पांडे ने बताया कि बांग्लादेशी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे तस्करों को ट्रैक करना सबसे बड़ी समस्या बन गई है। वहीं, बीएसएफ की बहरमपुर रेंज के डीआईजी अनिल कुमार सिन्हा के मुताबिक हमने निगरानी बढ़ाने के लिए नदिया से जवानों की एक कंपनी जंगीपुर भेजी है। खुलेआम सौदेबाजी… एक सिम की कीमत 5 हजार, डिलीवरी थर्ड पार्टी करने आएगी
एजेंट ने बताया कि कुछ अन्य सीमावर्ती गांवों में ऐसी सिम पान-किराने की दुकानों पर भी मिल जाएगी। इस एक सिम की कीमत 5 हजार रुपए है। यदि आपको चाहिए तो लोकेशन बताइए, वहां डिलीवरी कोई तीसरा व्यक्ति कर देगा। इसमें पकड़े जाने का कोई खतरा नहीं है। लोकेशन ट्रेस करने के 4 तरीके, लेकिन अभी सब फेल
नेटवर्क तकनीक से जुड़े एक BSF अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी भारतीय सिम वाले फोन की लोकेशन ट्रैक करने के 4 तरीके हैं। पहला- ट्रेंगुलेशन। इसमें किसी सिग्नल के फोन से अलग-अलग मोबाइल टावर्स तक पहुंचने के समय के आधार पर लोकेशन निकालते हैं।
दूसरा- टावर एंड एनालाइजर। इसमें एक्टिव सिम की आखिरी लोकेशन लेते हैं।
तीसरा- इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर। इसमें आईएमईआई नंबर का इस्तेमाल करते हैं।
चौथा- सर्विस प्रोवाइडर। इसमें मुखबिरों की सूचना के आधार पर संबंधित नंबर सर्विस प्रोवाइडर्स के पास भेजकर लोकेशन लेते हैं। लेकिन, विदेशी सिम के मामले में ये चारों तरीके कारगर नहीं हो रहे। ऐसा है बॉर्डर: बाड़ की जगह सिर्फ खंभा
मुर्शिदाबाद जिले की 125 किमी लंबी सीमा बांग्लादेश से जुड़ी है। इनमें 42 किमी का हिस्सा जमीनी है, बाकी पद्मा नदी ही बॉर्डर है। कई किमी में कोई बाड़ भी नहीं है। मुर्शिदाबाद से सटे नदिया जिले के 20.61 किमी में बाड़ नहीं है। डेढ़ महीने में 52 घुसपैठिए यहीं पकड़े गए। बीते बुधवार को 10 बांग्लादेशियों के साथ 5 भारतीय दलाल भी दबोचे गए। संदिग्ध घुसपैठियों ने पूरा गांव बसा लिया…
कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पद्मा नदी के कारण निमतीता से लालगोला के खांडुआ तक बाड़ नहीं लग पाई। नदी किनारे दुर्लभपुर गांव है। यहां अवैध घुसपैठियों ने काफी बड़े हिस्से में बसाहट कर ली है। रहन-सहन, बोली, पहनावा एक जैसा है, इसलिए पहचान नहीं हो पाती। पंचायतें इनकी सूचना नहीं देतीं, क्योंकि ये लोग रिश्तेदारी में जुड़े हैं।