ब्रिटेन में एक कंजर्वेटिव नेता ने संसद में चचेरे भाई-बहनों के बीच शादी पर रोक लगाने की मांग की है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक रिचर्ड होल्डन ने बुधवार को प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि चचेरे भाई-बहनों के बीच शादियों से हुए बच्चों में बीमारियां और विकलांगता का खतरा बहुत बढ़ गया है। यह पब्लिक हेल्थ सिस्टम को प्रभावित कर रहा है। सांसद ने ऑक्सफोर्ड जर्नल ऑफ लॉ एंड रिलीजन शोध का हवाला देते हुए कहा कि इन शादियों से होने वाले बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में आनुवांशिक बीमारियां होने का खतरा दोगुना ज्यादा होता है। यह प्रथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। होल्डन ने कहा कि आधुनिक ब्रिटिश समाज के लिए यह प्रथा बिल्कुल भी सही नहीं है। देश के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि उनके दादा-दादी के वक्त की तुलना में अब हालात ज्यादा खराब हो चुके हैं। हालांकि पिछले कुछ साल से इसमें गिरावट आ रही है क्योंकि कुछ युवा इस सिस्टम को नहीं मान रहे हैं, लेकिन फिर भी इस पर रोक लगाना जरूरी है। होल्डन ने कहा कि ब्रिटेन में कुछ प्रवासी समुदाय जैसे कि ब्रिटिश-पाकिस्तानी और आयरिश ट्रैवलर्स में चचेरे भाई-बहनों के बीच विवाह दर ज्यादा है। इनमें करीब 40% शादियां फर्स्ट कजन (चचेरे भाई-बहनों) के बीच होती हैं। ब्रिटेन में फर्स्ट कजन मैरिज पर कानून नहीं सांसद ने कहा कि दुनियाभर में करीब 10% शादियां चचेरे भाई-बहनों में होती है। अफ्रीका के सहारा रीजन में 35 से 40 फीसदी लोग चेचेरे भाई-बहनों में शादी करते हैं। मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया में भी यह कल्चर बेहद आम है। पाकिस्तान के कुछ हिस्से में तो यह 80% पहुंच चुकी है। ब्रिटेन में भाई-बहन, माता-पिता या फिर अपने ही बच्चे से विवाद पर बैन है लेकिन चचेरे भाई-बहनों के बीच शादियों को लेकर वहां कोई कानून नहीं है। होल्डन के प्रस्ताव पर कई कंजर्वेटिव साथियों का साथ मिला। हालांकि सरकार के समर्थन के बिना यह कानून बनना संभव नहीं है। भारतीय मूल के सांसद बोले- बैन समाधान नहीं, जागरुकता बढ़ाएं निर्दलीय ब्रिटिश सांसद इकबाल मोहम्मद ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने संसद में कहा कि चचेरे भाई-बहनों की शादियों पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। गुजराती मूल के सांसद ने कहा कि इस परेशानी को जागरुकता बढ़ाकर ही दूर किया जा सकता है। इकबाल मोहम्मद मूल रूप से गुजरात के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि उप-सहारा अफ्रीकी आबादी का 35 प्रतिशत से 50 प्रतिशत हिस्सा तो चचेरे भाई-बहन की शादी को पसंद करते हैं। यह मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में बेहद आम है। मोहम्मद ने कहा कि चचेरे भाई-बहनों में शादियां बहुत आम है क्योंकि इससे पारिवारिक बंधन बनाने में, पारिवारिक संपत्ति सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।