विधानसभाओं और संसद के भीतर पहले भी झूमा झटकी होती रही है। दस्तावेज फाड़े गए हैं और कुर्सियों, डेस्कों पर चढ़ने की घटनाएँ भी हुई हैं। गुरुवार को संसद के मकर द्वार पर जो हुआ, वह इतना गड्ड- मड्ड है कि समझ में नहीं आ रहा, आख़िर हुआ क्या? कांग्रेस वाले कह रहे हैं कि उन्हें भाजपा वालों ने धक्का दिया जबकि भाजपा वाले कह रहे हैं कि उन्हें खुद राहुल गांधी ने धक्का दिया। भाजपा के दो सांसद गिर गए। उन्हें चोटें आईं और वे अस्पताल में हैं। इधर कांग्रेस कह रही है कि उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को भी धक्का दिया गया जिसकी वजह से वे ज़मीन पर बैठ गए थे। राहुल गांधी कह रहे हैं कि भाजपा सांसद लकड़ियाँ लिए हुए थे और उन्होंने हमें घेर लिया था। भीतर नहीं जाने दे रहे थे। भाजपा के घायल सांसद प्रताप सारंगी ने कहा कोई सांसद उनके ऊपर गिर गया था। फिर कहा कि उस सांसद को राहुल गांधी ने धक्का दिया था। कुल मिलाकर मामला उलझा हुआ है। वीडियो फुटेज देखकर सच सिर्फ़ ये नज़र आ रहा है कि सांसद प्रताप सारंगी घायल हुए हैं। कुछ सांसदों ने उनकी हालत देखने के लिए राहुल गांधी को बुलाया। वे आए भी लेकिन दूर से ही देखकर चले गए। राहुल को उनके पास जाना था। देखना था। बात भी कर सकते थे। आखिर एक घायल बुजुर्ग को देखने में तो कोई दलीय राजनीति सामने नहीं ही आनी चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि यह सब बाबा साहेब पर गृह मंत्री के बयान के बाद उठे विवाद से बचाने के लिए किया जा रहा है। जबकि भाजपा का कहना है कि मकर द्वार पर कांग्रेसी जानबूझ कर आए। वे चाहते तो बग़ल से निकलकर जा सकते थे लेकिन वे भीड़ में ज़बर्दस्ती आए। एक और संगीन बात यह सामने आई कि एक महिला सांसद श्रीमती कोन्याक ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी मेरे बेहद क़रीब आकर चिल्लाए। मैं असहज हो गई थी। उन्होंने राज्यसभा के सभापति से भी शिकायत की है। यह मामला गंभीर हो सकता है।इधर, भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ थाने में रपट लिखा दी है और कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। खैर, आज या कल संसद का यह सत्र समाप्त हो ही जाएगा। इसके बाद मामला शांत हो जाएगा, ऐसी उम्मीद है। भाजपा ने तो यहाँ तक कह दिया है कि राहुल गांधी ने जिस तरह का बर्ताव किया, उसके बाद उन्हें नेता प्रतिपक्ष रहने का अधिकार नहीं है। वैसे संसद अगर सीसीटीवी फ़ुटेज जारी कर दे तो मामला पूरी तरह साफ़ हो जाएगा।