मणिपुर के इंफाल पूर्व और कांगपोकली जिलों में गोलीबारी हो रही है। लोगों के मुताबिक मोर्टर भी दागे जा रहे हैं। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच एक बार फिर हिंसा शुरू हुई है। दोनों जिलों के कई इलाकों में 24 दिसंबर से जारी गोलीबारी की घटना ने शुक्रवार को बड़ा रूप लिया। इन जिलों के यिंगांगपोकपी, थमनापोकपी, थंबापोकपी, सबुंगखोक खुनौ, शांति खोंगबल सहित दूसरे इलाकों में दहशत है। यिंगंगपोकपी में ग्रामीणों ने अधिकारियों से उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की मांग की है। गोलीबारी की घटनाओं में फिलहाल किसी की मौत की खबर नहीं है। राज्य के CM एन बीरेन सिंह ने गुरुवार को कहा था- उन्होंने सुरक्षा सलाहकार और मणिपुर के डीजीपी को इंफाल पूर्वी जिले में सिक्योरिटी और मजबूत करने का निर्देश दिया है। सुरक्षाबल उग्रवादियों की गोलीबारी का जवाब दे रहे हैं। 25 दिसंबर को सीएम ने कहा था कि मणिपुर को तत्काल शांति की जरूरत है। दोनों समुदायों (कुकी-मैतेई) आपसी समझ बनाएं। हम किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं हैं। सीएम ने कहा था:- कुकी-मैतेई आपसी समझ बनाएं मणिपुर के सीएम बिरेन सिंह ने 25 दिंसबर को कहा था- मणिपुर को तत्काल शांति की जरूरत है। दोनों समुदायों (कुकी-मैतेई) आपसी समझ बनाएं। बीजेपी ही मणिपुर को बचा सकती है, क्योंकि वो ‘एक साथ रहने’ के विचार में विश्वास करती है। उन्होंने कहा था कि आज मणिपुर में जो कुछ हो रहा है उसके कई कारण हैं। आज जो लोग राज्य को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, वे पूछ रहे हैं कि सरकार क्या कर रही है। लोग सत्ता के भूखे हैं। हम किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं हैं। भाजपा का रुख स्पष्ट है। हमने पुलिस और लोगों के बीच संबंध बनाने शुरू कर दिए हैं। हमने कोई गलत काम नहीं किया
सीएम ने कहा- हमने कभी कोई गलत काम नहीं किया। हम केवल आने वाली पीढ़ियों को बचाना चाहते हैं। दोनों समुदायों को शांत रहने की जरूरत है। अतीत को देखने के बजाय हमें NRC प्रक्रिया पर ध्यान देने की जरूरत है। हम लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से अपना काम जारी रखेंगे। मणिपुर में जारी है जम्मू-कश्मीर जैसा ऑपरेशन ‘क्लीन’ जम्मू-कश्मीर की तरह मणिपुर में सुरक्षाबल ऑपरेशन क्लीन चला रहे हैं। इसी ऑपरेशन का असर है कि 30 दिन में न केवल हथियार-गोला बारूद की कोई बड़ी खेप जब्त हुई है, बल्कि उग्रवादी संगठनों के 20 से अधिक कैडरों को भी दबोचा गया है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भास्कर को बताया था कि हमारा फोकस उग्रवाद वाले बफर इलाकों में सबकुछ न्यूट्रल करने पर है। इनमें वे इलाके भी शामिल हैं, जहां बीते डेढ़ साल में किसी की जाने की हिम्मत नहीं हुई। वहीं, पूरे राज्य में सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेज की 288 कंपनियों में करीब 40 हजार जवान तैनात हैं। इतने हथियारों की पहली बार रिकवरी
दिसंबर के शुरुआती दिनों में मणिपुर में सेना ने AK-47 सीरीज की 20 से अधिक राइफल्स के साथ 7.62mm SLR राइफल, 5.5mm इंसास राइफल, .22 राइफल, .303 राइफल, 9mm पिस्टल, पोम्पी गन, सैकड़ों किलो IED बरामद की थी। इतने हथियारों की बरामदगी पहली बार हुई थी। मणिपुर पुलिस ने बताया था कि 19 दिसंबर को सर्च ऑपरेशन के दौरान कई हथियार बरामद हुए थे। इनमें 9mm कार्बाइन मशीन गन, .303 राइफल, 9mm देशी पिस्टल, .32 पिस्टल, 123 जिंदा कारतूस, पोंपी गन (देशी मशीन गन), कार और मोबाइल फोन समेत गोला-बारूद बरामद हुआ था। मणिपुर में जातीय हिंसा के 600 दिन पूरे, 250 से ज्यादा मौत
मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच मई 2023 में हिंसा जारी है। इसे 600 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं। अलग-अलग घटनाओं में दोनों ही समुदाय के 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। अब तक 11 हजार FIR दर्ज की गईं हैं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया है। …………………………………..
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