पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 9:51 बजे 92 साल की उम्र में निधन हो गया। वे 2004 में देश के 14वें प्रधानमंत्री बने और मई 2014 तक इस पद पर दो टर्म रहे। वे देश के पहले सिख और चौथे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। डॉ. सिंह की बिहार के नेताओं के साथ कई यादें जुड़ी हैं। कई किस्से हैं, पढ़िए और देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट… डॉ. मनमोहन सिंह को RJD सुप्रीमो लालू यादव प्रधानमंत्री नहीं बनाना चाहते थे। उन्होंने उनका विरोध किया था। हालांकि, सोनिया गांधी के मनाने पर वो मान गए थे। लालू यादव अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज टू रायसीना: माई पॉलिटिकल जर्नी’ में लिखते हैं, ‘2004 में मेरे पास राजद के 22 सांसद थे। मेरा मानना था कि अगर सोनिया जी प्रधानमंत्री बनती हैं तो यह मेरी विचारधारा की जीत होगी, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान विरोधियों ने सोनिया जी के लिए अभर्द भाषा का इस्तेमाल किया था। मैं उनके अलावा किसी और नाम को स्वीकार नहीं कर सकता था।’ ‘जब उन्होंने मुझसे कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लूं, तो मैंने मना कर दिया। इसके बाद वह मनमोहन सिंह के साथ मेरे आवास पर आईं और कारण जानना चाहा कि मैं डॉ. सिंह को समर्थन क्यों नहीं देना चाहता?’ मेरे घर सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को राजी किया कि वो मुझसे आग्रह करे कि मैं उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लूं। मैं दुविधा में था, एक ओर तो मैं सोनिया गांधी को नई प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता था, तो दूसरी ओर मैं उनका आग्रह भी ठुकरा नहीं सकता था। जो कष्ट उठाकर डॉ. सिंह के साथ मेरे घर तक आई थीं। आखिरकार मैं नरम पड़ा और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हामी भरी। परमाणु डील पर मनमोहन सिंह अड़े तो लालू ने दिया था साथ मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील किया। इसे इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट कहा गया। इस डील पर लेफ्ट पार्टियों का कहना था कि इस समझौते से देश की स्वतंत्र विदेश नीति पर असर पड़ेगा। उस समय लेफ्ट के पास तकरीबन 60 सांसद थे। उन्होंने समर्थन वापस ले लिया। 2008 में यूपीए सरकार को सदन में विश्वास मत से गुजरना पड़ा। लालू यादव उस वक्त सरकार में रेल मंत्री थे। इसी दौरान उन्होंने लेफ्ट की पार्टियों को जमकर लताड़ लगाई। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि आपकी (वाम पंथी) विचारधारा विदेश से आई है। आप सांप्रदायिक लोगों की गोद में बैठकर देश के खिलाफ काम कर रहे हैं। इस दौरान लालू ने एक गीत की लाइन पढ़ी। ‘तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी। ‘इस लाइन पर मनमोहन सिंह सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता हंस पड़े। बताइए किसके मन में पीएम बनने की इच्छा नहीं है?’ फिर उन्होंने पीएम मनमोहन सिंह की तरफ देखते हुए कहा, ‘पीएम बनने की इच्छा मेरे मन में भी है। मायावती जी की मन में भी है। मुलायम जी की मन में भी इच्छा है, लेकिन इस देश में दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक को कोई पीएम बनते नहीं देखना चाहता है। -लालू यादव, RJD सुप्रीमो, जुलाई 2008 सोनिया गांधी के डिनर में मनमोहन सिंह ने लालू को किया मिस कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए 13 मार्च 2018 को अपने आवास पर रात्रि भोज का आयोजन किया। इसमें सभी प्रमुख दलों के सीनियर नेता शामिल हुए। उस वक्त चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए लालू यादव रांची के बिरसा मुंडा जेल में सजा काट रहे थे। वह इस डिनर पार्टी शामिल नहीं हुए थे। RJD की ओर से लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव और बड़ी बेटी मीसा भारती शामिल हुईं थीं। डिनर में तब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी शामिल थे। डिनर के बाद मीडिया से बात करते हुए तब मीसा ने बताया था, ‘सिंह ने उनसे कहा कि उन्हें देश की राजनीति में लालू की मौजूदगी की कमी खल रही है।’ लालू को बचाने के लिए मनमोहन सरकार लाना चाहती थी अध्यादेश 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधियों की एंट्री रोकने के लिए अहम फैसला सुनाया। इसके तहत 2 साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले राजनेताओं की सदस्यता रद्द करने और सजा से 6 साल ज्यादा वक्त तक चुनाव न लड़ने का आदेश दिया गया था। तब की मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय लिया। कैबिनेट से इस संबंध में अध्यादेश भी पास करा लिया गया। सरकार के इस फैसले को उस वक्त लालू यादव से सीधा जोड़कर देखा गया। बताया गया कि सरकार लालू को बचाने के लिए ऐसा कर रही है। इस बीच विपक्ष और कुछ एक्टिविस्टों ने अध्यादेश का विरोध किया। मीडिया ने भी पुरजोर तरीके से इस मामले को उठाया। पत्रकारों ने राहुल गांधी से इसको लेकर सवाल पूछा, जिसके जवाब में उन्होंने सड़क पर ही अध्यादेश फाड़ने की बात कही। अध्यादेश फाड़ भी दिया। तब सरकार ने इसे वापस ले लिया। ——————— मनमोहन सिंह के निधन से जुड़ी अन्य खबरें… मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन:दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात निधन हो गया। उन्हें तबीयत बिगड़ने के बाद शाम 8:06 बजे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। पूरी खबर पढ़े