संसद में संविधान पर पक्ष-विपक्ष की चर्चा से पहले शुक्रवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल, विपक्ष ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके खिलाफ भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। इसी पर हंगामा शुरू हुआ। इस दौरान धनखड़ और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच जमकर बहस हुई। चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने कहा कि ‘मैंने बहुत सहा। मैं किसान का बेटा हूं, मैं झुकता नहीं हूं। विपक्ष ने संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं।’ जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘आप हमारी पार्टी के नेताओं का अपमान करते हैं। आपका काम सदन चलाना है। हम यहां आपकी तारीफ सुनने के लिए नहीं आए। आप किसान के बेटे हो तो मैं मजदूर का बेटा हूं। आप सम्मान नहीं करते तो मैं आपका सम्मान क्यों करूं।’ इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा को सोमवार 16 दिसंबर सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को दोपहर 12:15 बजे अपने केबिन में मिलने के लिए बुलाया। धनखड़ को 3 साल के कार्यकाल में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव नोटिस उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को 2022 में देश का 14वां उपराष्ट्रपति बनाया गया। इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के गवर्नर थे। शाीतकालीन सत्र के 10वें दिन मंगलवार को विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। इस नोटिस में कांग्रेस, TMC, AAP, सपा, DMK, CPI, CPI-M और RJD समेत विपक्षी पार्टियों के 60 सांसदों के दस्तखत थे। विपक्ष का आरोप है कि राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन चलाते हैं और विपक्ष को बोलने नहीं देते। शीतकालीन सत्र के पहले दिन भी हुई थी धनखड़-खड़गे की बहस संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और लीडर ऑफ अपोजिशन (LoP) मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच बहस हुई थी। दरअसल, धनखड़ ने खड़गे से कहा था कि हमारे संविधान को 75 साल पूरे हो रहे हैं। उम्मीद है आप इसकी मर्यादा रखेंगे। इस पर खड़गे ने जवाब दिया था कि इन 75 सालों में मेरा योगदान भी 54 साल का है, तो आप मुझे मत सिखाइए। पूरी खबर पढ़ें … मानसून सत्र 2024 में भी विपक्ष लाया था अविश्वास प्रस्ताव, 87 सांसदों ने साइन किए थे शीतकालीन सत्र से पहले अगस्त में मानसून सत्र के दौरान भी सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। तब सपा सांसद जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई थी। अगस्त में मानसून सत्र के दौरान सपा सांसद जया बच्चन और जगदीप धनखड़ के बीच बहस हुई थी। इसके बाद विपक्षी दलों ने धनखड़ को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी की थी। तब 87 सदस्यों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। दरअसल, राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सपा सांसद जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई थी। धनखड़ ने सपा सांसद को जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया था। इस पर जया ने कहा था- मैं कलाकार हूं। बॉडी लैंग्वेज समझती हूं। एक्सप्रेशन समझती हूं। मुझे माफ कीजिए, लेकिन आपके बोलने का टोन स्वीकार नहीं है। जया की इस बात से धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने कहा था आप मेरी टोन पर सवाल उठा रही हैं। इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। आप सेलिब्रिटी हों या कोई और, आपको डेकोरम बनाना होगा। आप सीनियर मेंबर होकर चेयर को नीचा दिखा रही हैं। बहस के बाद धनखड़ ने राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी थी। उपसभापति को हटाने की प्रकिया 3 पॉइंट्स में समझिए … 1. उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया क्या है? उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले नोटिस भी देना होगा। 2. प्रस्ताव लोकसभा में पारित कराना होगा: लोकसभा में भी प्रस्ताव पारित कराना जरूरी होगा, क्योंकि राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति की पदेन भूमिका होती है। लोकसभा में NDA के 293 और I.N.D.I.A के 236 सदस्य हैं। बहुमत 272 पर है। विपक्ष अन्य 14 सदस्यों को साधे तो भी प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होगा। 3. क्या कार्यवाही के दौरान सभापति चेयर पर होंगे : जब प्रस्ताव पेश होगा और चर्चा होगी, तब सामान्य न्याय सिद्धांत के मुताबिक सभापति राज्यसभा पीठ पर नहीं बैठेंगे। ————————– संसद के 14वें दिन की कार्रवाई से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… संसद में राजनाथ सिंह ने संविधान पर चर्चा शुरू की, संविधान निर्माण में पंडित नेहरू का नाम नहीं लिया, विपक्ष ने शेम-शेम का नारा लगाया 26 जनवरी को संविधान निर्माण के 75 साल पूरे होंगे। इस पर शुक्रवार को लोकसभा में विशेष चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सहंह ने की। राजनाथ ने संविधान निर्माताओं का नाम लिया, लेकिन पंडित नेहरू का जिक्र नहीं किया। इस पर विपक्ष ने शेम-शेम का नारा लगाया। राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘पिछले कुछ वर्षों में देश में एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया गया है कि संविधान किसी एक पार्टी की देन है। संविधान निर्माण में कई लोगों की भूमिका को भुला दिया गया है। हमारा संविधान स्वाधीनता संविधान के हवनकुंड से निकला हुआ अमृत है। ये हमारा स्वाभिमान है।’ पढ़ें पूरी खबर…