उत्तर प्रदेश में काशी और मथुरा के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद विवादों में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। मस्जिद के अंदर शिवलिंग होने का भी दावा किया गया है। संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने एक हफ्ते में कोर्ट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट मांगी है। इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरे विवाद को बारीकी से समझा। दोनों पक्षों से बातचीत की। ये भी जाना कि किस आधार पर कोर्ट ने याचिका स्वीकारी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले समझिए आज के हालात काशी-मथुरा का केस लड़ने वाले हरिशंकर जैन समेत इन 8 लोगों ने संभल की मस्जिद का मामला कोर्ट तक पहुंचाया… याचिका में इन्हें बनाया पार्टी गृह मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, ASI के डायरेक्टर जनरल, ASI मेरठ सर्किल के अधीक्षक, संभल जिले के DM और जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी। 1- बाबरनामा बाबर ने तुर्की भाषा में आत्मकथा लिखी है। इसका अनुवाद एनेट सुसान्नाह बेवरिज ने किया था। बाबरनामा के पेज नंबर-687 पर जिक्र है कि बाबर जुलाई, 1529 में संभल आया था। किताब में 10 जुलाई का उल्लेख है। अनुवादक ने टिप्पणी में लिखा है- ‘हिन्दू बेग कुचिन 932 हिजरी (एएच) में हुमायूं का सेवक था। 933 हिजरी में संभल में उसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। यह बाबर के आदेश पर किया गया। मस्जिद पर आज भी मौजूद एक शिलालेख में इसकी याद दिलाई जाती है।’ 2- आइन-ए-अकबरी अकबर के शासनकाल में फारसी भाषा में अबुल फजल ने ‘आइन-ए-अकबरी’ किताब लिखी। 1589 से 1600 के बीच लिखी गई पुस्तक में पेज नंबर-281 पर लिखा है- ‘सम्बेल (संभल) में प्रचुर मात्रा में शिकार उपलब्ध हैं। जहां गैंडा पाया जाता है। यह एक छोटा हाथी जैसा जानवर है, जिसके पास सूंड नहीं होती। इसके थूथन पर एक सींग होती है, जिससे यह दूसरे जानवरों पर हमला करता है। इसकी खाल से ढालें बनाई जाती हैं और सींग से धनुष की डोरी। संभल शहर में हरि मंडल (विष्णु का मंदिर) नामक एक मंदिर है, जो एक ब्राह्मण का है। जिसके वंशजों में से दसवां अवतार इसी स्थान पर प्रकट होगा। ये एक प्राचीन स्थान है, जो शेख फरीद-ए-शकर गंज के उत्तराधिकारी जमाल का विश्राम स्थल है।’ 3- ASI रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 1874–76 के बीच संभल शहर से संबंधित प्राचीन पुरावशेषों के बारे में तत्कालीन महानिदेशक मेजर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम की देखरेख में रिपोर्ट बनाई। इस रिपोर्ट को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। पुस्तक का शीर्षक था- ‘मध्य दोआब और गोरखपुर में भ्रमण, 1874-75 और 1875-76’। 1874 से 1876 के बीच किए गए सर्वेक्षणों के संबंध में पेज नंबर-24 से 27 तक संभल का उल्लेख किया गया है। पुस्तक में लिखा है- पुराना शहर संभल, रोहिलखंड के बिल्कुल बीचो-बीच महिष्मत नदी पर बसा है। सतयुग में इसका नाम सब्रित या सब्रत और संभलेश्वर बताया जाता है। त्रेतायुग में इसे महादगिरि और द्वापर युग में पिंगला कहा जाता है। बाद में इसका वर्तमान नाम संभल या संस्कृत में संभल-ग्राम पड़ा। शहर के दक्षिण पूर्व में सुरथल खेड़ा जगह है, जिसका नाम चंद्र वंश के राजा सत्यवान के पुत्र राजा सुरथल के नाम पर रखा गया था। सुरथल खेड़ा उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम तक 1200 फीट लंबा और 1000 फीट चौड़ा है। इसके अलावा दक्षिण पश्चिम की तरफ एक बड़ा खेड़ा है। दोनों स्थानों के बीच कई और छोटे टीले हैं। हिन्दू पक्ष ने याचिका में ये भी बताया- जामा मस्जिद कमेटी अध्यक्ष बोले- 1529 में बाबर ने मस्जिद बनवाई इस पूरे मामले पर शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली एडवोकेट कहते हैं- 1529 में जामा मस्जिद साफ जमीन पर बनाई गई। बाबर ने मस्जिद बनाने का आदेश अपने सलाहकार को दिया था। यहां पर इससे पहले किसी तरह का कोई भी मंदिर नहीं था। हम मुकदमे का जवाब मुकदमे से देंगे। मस्जिद कमेटी इस मामले में अपना जवाब दाखिल करेगी। जो आपत्तियां हैं, उनको कोर्ट में पेश करेंगे। हमारे पास इस तरह के सारे साक्ष्य मौजूद हैं, जो ये बताते हैं कि वहां पहले मस्जिद थी, मस्जिद है और हमेशा मस्जिद रहेगी। इस मुकदमे को हम ही जीतेंगे। दावा करने वाले हिंदू पक्ष के पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उनका दावा सिर्फ हवा-हवाई है। ये सिर्फ एक पैनिक है, सत्ता की पावर है। सर्वे में हिंदू पक्ष को किसी तरह का कोई चिह्न या अन्य कुछ नहीं मिला है, जो ये साबित करे कि यहां कभी मंदिर हो सकता था। हिंदू पक्ष के वकील बोले- आज भी बने हुए हैं धार्मिक चिह्न
हिंदू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा कहते हैं- जिसे मस्जिद बताया जा रहा है, उसके गेट पर ही एक प्राचीन कुंआ है। कुछ सालों पहले तक इस कुएं पर शादी समारोहों के वक्त पूजा होती थी। इस मंदिर की प्राचीन मान्यताएं हैं। मुरादाबाद मंडल के सरकारी गजट में भी मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का हवाला दिया गया है। विवादित स्थल की वजह से मस्जिद पर पुलिस पिकेट तैनात
हिंदू पक्ष की तरफ से कुल 8 लोगों ने 19 अक्टूबर को संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में याचिका लगाई। इसमें दावा किया गया कि शाही जामा मस्जिद पूर्व में मंदिर था। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। सिविल जज (सीनियर डिविजन) आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में ऑर्डर कर दिया। कहा- मस्जिद का सर्वे होगा। वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट सात दिन में दाखिल करें। शाम सवा 6 बजे सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर की टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। दो घंटे तक सर्वे चला। टीम ने वीडियोग्राफी कराई। कोर्ट की तरफ से रमेश सिंह राघव एडवोकेट कमिश्नर हैं। ये जामा मस्जिद संभल शहर में सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। विवादित स्थल की वजह से यहां पर पुलिस पिकेट तैनात है। इतिहासकार बोले- पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में बना था ये मंदिर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉ. विघ्नेश त्यागी ने बताया- मैंने इतिहास पर ‘युग युगीन’ पुस्तक लिखी है। इसमें संभल के श्री हरिहर मंदिर का हवाला दिया है। पुस्तक में मैंने लिखा है- पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में 1178 से 1193 तक श्री हरिहर मंदिर रहा। इसी दौरान ही पृथ्वीराज ने संभल को दूसरी राजधानी का दर्जा दिया था। उसी समय संभल में ये मंदिर बना। ————————————— शाही मस्जिद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… यूपी के संभल की शाही मस्जिद पर हिंदुओं का दावा:सिविल कोर्ट में याचिका लगाई; ढाई घंटे में फैसला सुनाया, 4 घंटे में सर्वे पूरा उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद का केस कोर्ट में पहुंच गया है। कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में ऑर्डर कर दिया। कहा- मस्जिद का सर्वे होगा। वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट 7 दिन में दाखिल करें। पढ़ें पूरी खबर…