गृह मंत्री अमित शाह की इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी अगले साल 26 जनवरी तक देशभर में कैंपेन चलाएगी। 22 और 23 दिसंबर को कांग्रेस के नेता 150 से ज्यादा शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। 24 मार्च को कलेक्ट्रेट पर मार्च निकालेंगे। 27 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में पार्टी बड़ी रैली होगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रविवार को बताया कि “संसद सत्र में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने अपने भाषण में बाबा साहब का अपमान किया है। शाह के बयान से सभी आहत हैं। अब तक अमित शाह या प्रधानमंत्री ने इसके लिए माफी मांगने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी तक इस मुद्दे को देशभर में उठाएगी।’ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी जानकारी दी थी कि लोकसभा और राज्यसभा के कांग्रेस सांसद सीडब्ल्यूसी सदस्यों के साथ देश भर के 150 अलग-अलग शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करेंगे। भाजपा ने भी जवाबी तैयारी शुरू की
कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए भाजपा ने भी विपक्ष को जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने अपने एससी/एसटी मोर्चा को सभी विधानसभा सीटों पर जवाबी अभियान की योजना बनाने के लिए कहा है। यूपी भाजपा एससी/एसटी मोर्चा के अध्यक्ष राम चंद्र कन्नौजिया ने पुष्टि की कि पार्टी जमीनी स्तर पर विपक्ष को बेनकाब करने के लिए अभियान शुरू करेगी। उन्होंने कहा, “पार्टी दलित विरोधी नारों और विपक्षी दलों के तहत पिछली सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों को उजागर करेगी।” उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में होने वाले संगठनात्मक चुनावों के तुरंत बाद यह कैंपेन शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मोर्चे की जिला इकाइयों को दलित बहुल गांवों में जाने और पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार द्वारा शुरू किए गए योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने को कहा गया है। अंबेडकर विवाद पर शाह सफाई दे चुके अंबेडकर पर दिए बयान पर अमित शाह सफाई दे चुके हैं। उन्होंने 18 दिसंबर को कहा था- ‘संसद में बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए। भाजपा के सदस्यों ने ऐसा ही किया। जब साबित हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण विरोधी है, संविधान विरोधी है, तो कांग्रेस ने अपनी पुरानी रणनीति अपनाते हुए बयानों को तोड़ना-मरोड़ना शुरू कर दिया।’ शाह ने कहा था कि खड़गेजी इस्तीफा मांग रहे हैं, उन्हें आनंद हो रहा है तो शायद मैं दे भी दूं पर उससे उनका काम नहीं बनना है। अभी 15 साल तक उन्हें जहां हैं, वहीं बैठना है, मेरे इस्तीफे से उनकी दाल नहीं गलने वाली।