भोपाल का एक परिवार बिना मोबाइल के रह रहा है। वजह है- एक हैकर का डर। हैकर ने परिवार के मोबाइल नंबरों को हैक कर लिया है। हैक किए गए नंबरों से पीड़ित के रिश्तेदारों को अश्लील फोटो और गाली-गलौज वाले मैसेज भेजे जा रहे हैं। पीड़ित शख्स का नाम अनिल शिवहरे है। बड़ी बात ये कि जो भी मदद देने की कोशिश करता है, उनका नंबर भी हैक हो जाता है। अनिल की सास और ससुर का मोबाइल भी हैक हो चुका है। भोपाल की साइबर सेल उनका फोन अपने पास रखकर एक महीने से जांच कर रही है, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला। लिहाजा केस स्टेट सेल को हैंड ओवर कर दिया गया है। बिना मोबाइल के परिवार कैसे रोजमर्रा के काम कर रहा है, डिस्ट्रिक्ट साइबर सेल की टीम को केस क्यों हैंड ओवर करना पड़ा? पढ़िए रिपोर्ट… दवा कंपनी में एरिया मैनेजर की नौकरी करने वाले अनिल बताते हैं कि दीपावली के बाद से ऐसी घटनाएं शुरू हुईं, जिसने सबकुछ बदलकर रख दिया। एक-एक करके परिवार के मोबाइल हैक होने शुरू हुए। जो भी मदद को पास आता, हैकर को उसका नाम और नंबर पता चल जाता और धमकी भरे मैसेज आने लगते। रिश्तेदारों से लेकर कॉलोनीवासियों को मैसेज गए तो लोग पास आने से कतराने लगे। भोपाल की डिस्ट्रिक्ट साइबर सेल भी हैकर को नहीं तलाश पाई। परिवार के मोबाइल साइबर सेल में जमा हैं। फेसबुक पर पोस्ट हुई परिवार की अश्लील तस्वीरें
लगातार कॉल से परेशान होकर शिवहरे परिवार ने ऐसे नंबरों को ब्लॉक करना शुरू कर दिया। इसी बीच परिवार के नंबरों से पड़ोसियों, रिश्तेदारों और कंपनी के अधिकारियों से लेकर अनिल के क्लाइंट्स तक को अश्लील मैसेज जाने लगे। अधिकतर मैसेज में लिखा होता था, आई एम अनिल शिवहरे, वर्क इन… मेडिसिन कंपनी और इसके आगे गालियां लिखी होतीं। कुछ ही देर में परिवार के पास सभी के रिश्तेदार, दोस्तों ऑफिस वालों के कॉल आने लगे कि आपने यह कैसे मैसेज किए हैं। शिवहरे परिवार सफाई देते-देते थक गया। वे परेशानियों से निपट भी ना पाए थे कि अगले दिन अनिल शिवहरे, पत्नी और बच्चों की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर अश्लील तस्वीरें पोस्ट हो गईं। परेशान परिवार भागा-भागा डिस्ट्रिक्ट साइबर सेल में गया। मोबाइल फोन और सोशल अकाउंट हैकिंग की शिकायत की। पुलिस ने जांच भी शुरू कर दी, लेकिन असली समस्या अभी बाकी थी। डिवाइस रिसेट कराए, घर आते ही हैक
अनिल की पत्नी लता बताती हैं कि हम समझ नहीं पा रहे थे यह सब क्या हो रहा है। अश्लील मैसेज केवल हमारे फैमिली ग्रुप ही नहीं, बल्कि इनके बॉस से लेकर बच्चों के स्कूल ग्रुप तक में गए थे। हमने साइबर सेल में शिकायत की। पुलिस के साइबर एक्सपर्ट्स ने परिवार के सभी मोबाइल सेट्स को फैक्ट्री रिसेट कर, एंटी वायरस डालकर सौंप दिया। परिजन घर आए, लेकिन कुछ ही देर बाद मोबाइल फिर हैक हो गए और उनमें मौजूद कॉन्टैक्ट के साथ दूसरे ऐसे लोगों को भी मैसेज जाने लगे, जिनके नंबर दूसरी डिवाइस में कभी सेव थे। सभी मोबाइल साइबर सेल में जमा, डायरी से चल रहा काम
शिवहरे परिवार ने दो बार मोबाइल की जांच कराई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। घबराकर अनिल और उनके बेटे साइबर सेल गए और अपने घर के सभी मोबाइल जमा करा दिए। चार-पांच दिन शांति रही। 15 दिसंबर को पुलिस ने कहा- अब कुछ नहीं हो रहा आप मोबाइल ले जाओ। शिवहरे जैसे ही मोबाइल लेकर घर आए, उनसे वॉट्सएप मैसेज और टेक्स्ट मैसेज दूसरे नंबरों पर जाने लगे। एक बार फिर मोबाइल साइबर सेल में जमा करा दिए गए। शिवहरे 22 दिसंबर को सेल से फिर मोबाइल लाए तो समस्या शुरू हो गई। आखिर में 26 दिसंबर को सेल में मोबाइल जमा कराने के बाद से परिवार बिना मोबाइल के रह रहा है। परिवार ने काम के सभी नंबर डायरी में लिख लिए हैं। अनिल जहां जाते हैं, कागज साथ ले जाते हैं। जो नंबर लगाना होता है उसे पर्ची से निकालते हैं और कॉल करते हैं। परिवार ग्वालियर पहुंचा, नाना का मोबाइल हैक
लगातार हैकिंग से परेशान होकर अनिल ने 30 दिसंबर को पत्नी और बच्चों को ग्वालियर ननिहाल भेज दिया। शाम को सभी वहां पहुंचे ही थे कि अनिल के ससुर का मोबाइल हैक हो गया। उनके फेसबुक अकाउंट से घर के बच्चों के अश्लील फोटो पोस्ट होने लगे। तीन घटनाएं जिनसे उठ रहे बड़े सवाल जो मिलता उसी का स्टेटस शेयर हो जाता
इधर अनिल हैरान-परेशान होकर साइबर सेल के बाद अधिकारियों के चक्कर काटने लगे, वे जिस अधिकारी के पास जाते, उसी के नाम का स्टेटस वॉट्सएप पर शेयर हो जाता। यहां तक कि पड़ोस का कोई व्यक्ति परिवार की मदद को सामने आता, उनसे संपर्क करता तो भी वॉट्सएप पर गाली भरा स्टेटस लग जाता। इस तरह से साइबर क्राइम सेल के अफसरों को भी गालियां दी गईं। अनिल ने अपने परिचित से नई सिम मंगाई, उसी समय सिम देने वाले को मेरे नंबर से धमकी भरा मैसेज चला गया कि तुमने अनिल की मदद की तो खैर नहीं…। इसके बाद सिम देने वाले उस युवक ने भी मदद से हाथ खींच लिए। पड़ोसी का मोबाइल भी हुआ हैक
पड़ोसी विजय परदेशी बताते हैं कि शिवहरे परिवार के सभी मोबाइल साइबर सेल में जमा होने के चलते 27 दिसंबर को अनिल ने मुझसे मोबाइल मांगा। अनिल ने ऑफिस के सहकर्मी से बात करके मोबाइल वापस कर दिया, लेकिन इसके कुछ ही देर बाद मेरे बेटे ने बताया पापा आपके मोबाइल से परिवार और दूसरे ग्रुप में क्या मैसेज हो रहे हैं। मैंने मैसेज देखकर डिलीट करवाए और मोबाइल को तुरंत बंद करके रिसेट कराया। उस दिन से मैं मोबाइल में वॉट्सएप ही नहीं चला रहा हूं। डिस्ट्रिक्ट सेल ने स्टेट साइबर सेल को सौंपा मामला
साइबर सेल में मामले की जांच करने वाले एसआई प्रमोद शर्मा बताते हैं कि परिवार के सभी मोबाइल हैक होने की शिकायत पर जांच की गई। मोबाइल फैक्ट्री रिसेट किए गए। जब पीड़ित परिवार को मोबाइल दिए गए तो फिर हैक हो गए। जांच में एक संदिग्ध आईपी एड्रेस मिला, लेकिन बाद में पता चला कि पड़ोसी का वाईफाई कभी-कभी बच्चे इस्तेमाल करते हैं। इस तथ्य के सामने आने के बाद वह भी शक के दायरे से बाहर निकल गए। अब तक की पूरी जांच में कोई बाहरी आईपी एड्रेस या नेटवर्क नहीं पाया गया है। अब इस मामले को स्टेट साइबर सेल को सौंप दिया गया है। अनूठा मामला, हाइटेक तकनीक अपनानी होगी
साइबर एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी बताते हैं कि मैंने पीड़ित से बात की है। यह अपने आप में हैकिंग का अनूठा मामला है। मोबइल हैक हो सकते हैं, लेकिन नए मोबाइल में नई सिम डाली जाए, तब एक बार परमिशन के बाद ही हैकिंग हो सकती है। अब तक की जांच में भी हैकर या हैकिंग के तरीके का पता नहीं लग सका है। ऐसे में पीड़ित को आधुनिक सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने सहित कई तरह की सुरक्षा की सलाह दी है। ———————————— साइबर क्राइम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट, 11 करोड़ वसूले:TRAI अधिकारी बनकर कॉल की; आधार-सिम के फर्जी इस्तेमाल की जानकारी देकर डराया बेंगलुरु के हेब्बल में 39 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए। ठगों ने उन्हें डरा-धमकाकर 11.8 करोड़ रुपए वसूल लिए। बाद में शक होने पर इंजीनियर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पूरी खबर पढ़ें…