Drishyamindia

5वीं-8वीं में फेल होने वाले बच्चे प्रमोट नहीं होंगे:2 महीने में दोबारा एग्जाम होगा, फिर फेल हुए तो भी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा

Advertisement

5वीं और 8वीं क्लास के एग्जाम में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को अब पास नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी है। पहले इस नियम के तहत फेल होने वाले स्टूडेंट्स को दूसरे क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था। सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक फेल होने वाले स्टूडेंट्स को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। अगर वे दोबारा फेल होते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि जिस क्लास में वो पढ़ रहा था उसी में दोबारा पढ़ेगा। सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चे को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा। 16 राज्यों में पहले से ही लागू है नो-डिटेंशन पॉलिसी
केंद्र सरकार की नई पॉलिसी का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित करीब 3 हजार से ज्यादा स्कूलों पर होगा। 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुडुचेरी) ने पहले ही नो-डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने कहा… नए फैसले से स्टूडेंट्स की सीखने की क्षमता बेहतर होगी और एकेडमिक परफॉर्मेंस में सुधार होगा। टीचर उस फेल होने वाले स्टूडेंट पर खास ध्यान देंगे साथ ही समय-समय पर पेरेंट्स को भी गाइड करेंगे। सरकार ने पॉलिसी में बदलाव क्यों किया
साल 2010-11 से 8वीं क्लास तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी। मतलब यह कि बच्चों के फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था। लेकिन इससे देखा गया कि शिक्षा के लेवल में धीरे धीरे गिरावट आने लगी। जिसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ने लगा। काफी लंबे समय से इस मामले पर विचार विमर्श के बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया। नॉ डिटेंशन पॉलिसी क्या है
शिक्षा के अधिकार अधिनियम की नो-डिटेंशन पॉलिसी के मुताबिक किसी भी छात्र को तब तक फेल या स्कूल से निकाला नहीं जा सकता, जब तक वह क्लास 1 से 8 तक की प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेता। क्लास 8 तक के सभी स्टूडेंट्स को परीक्षा मे फेल होने के बाद भी अगले क्लास में प्रमोट करने का प्रावधान है। 2018 में लोक सभा में बिल पास हुआ था
जुलाई 2018 में लोक सभा में राइट टू एजुकेशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने की बात थी। इसके अनुसार 5वीं और 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर एग्जाम्स की मांग की गई थी। इसी के साथ फेल होने वाले स्टूडेंट्स के लिए दो महीने के अंदर री-एग्जाम कराने की भी बात थी। 2019 में ये बिल राज्य सभा में पास हुआ। इसके बाद राज्य सरकारों को ये हक था कि वो ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ हटा सकते हैं या लागू रख सकते हैं। यानी राज्य सरकार ये फैसला ले सकती थीं कि 5वीं और 8वीं में फेल होने पर छात्रों को प्रमोट किया जाए या क्लास रिपीट करवाई जाए।

​ 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

मध्य प्रदेश न्यूज़

यह भी पढ़े