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IIT मद्रास के डायरेक्टर का दावा- गोमूत्र में औषधीय गुण:ये एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-फंगल; कार्ति चिदंबरम बोले- प्रोफेसर का बयान अशोभनीय

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आईआईटी मद्रास (चेन्नई) के डायरेक्टर प्रो. वी कामकोटि से जुड़ा एक वीडियो वायरल है। इसमें वे दावा करते नजर आ रहे हैं गाय का यूरिन यानी गोमूत्र में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। ये कई बीमारियों को ठीक कर सकता है, जिसमें IBS या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम भी शामिल है। कामकोटि के दावे को कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा- IIT मद्रास के डायरेक्टर का छद्म (बनावटी) विज्ञान का प्रचार करना अत्यंत अशोभनीय है। DMK नेता ने कामकोटि को IIT से हटाकर कहीं और नियुक्त करने की बात कही है। दरअसल, 15 जुलाई को चेन्नई में ‘गाय’ पोंगल कार्यक्रम में वी कामकोटि शामिल हुए थे, वहीं उन्होंने गोमूत्र के औषधीय गुणों पर बात की थी। NDTV के मुताबिक, प्रो. कामकोटि से सवाल किया गया कि क्या साइंस का प्रचार करने वाले व्यक्ति को अंधविश्वास फैलाना चाहिए। कामकोटि ने जवाब में कहा- गोमूत्र के एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लैमेटरी गुणों को वैज्ञानिक तरीके से दिखाया गया है। USA की टॉप मैगजीन ने इसके साइंटिफिक प्रूफ पब्लिश किए हैं। लोगों की ये सोच गलत है कि गोमूत्र की मेडिकल प्रॉपर्टीज पर कोई ठोस एक्सपेरिमेंट या साइंटिफिक एविडेंस नहीं है। प्रो. कामकोटि ने कार्यक्रम में कहा था- हमें इसके औषधीय मूल्य को स्वीकारना होगा कार्यक्रम के दौरान प्रो. कामकोटि ने कहा था कि गोमूत्र में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल प्रॉपर्टीज हैं। पाचन और पेट की समस्याओं के लिए, IBS के लिए और दूसरी बीमारियों के लिए गोमूत्र बड़ी दवा है। हमें इसके औषधीय मूल्य को स्वीकारना होगा। प्रो. कामकोटि ने 2021 में पब्लिश नेचर जर्नल का लेख दिखाया प्रो. कामकोटि ने जून 2021 में साइंस जर्नल नेचर में पब्लिश लेख शेयर किया। इसमें नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एनिमल बायोटेक्नोलॉजी सेंटर और सेल बायोलॉजी एंड प्रोटिओमिक्स लैब से जुड़े साइंटिस्ट्स ने ‘गाय के मूत्र में पेप्टाइड प्रोफाइलिंग के परिणाम’ पब्लिश किए थे। साइंटिस्ट्स ने निष्कर्ष निकाला था- गाय के मूत्र में हजारों एन्डोजिनस पेप्टाइड्स की डिस्कवरी के लिए सिंपल मेथड बताई है। ये गोमूत्र से जुड़ी अलग-अलग बायोएक्टिविटी में योगदान करते हैं। हमने ई. कोलाई और एस. ऑरियस के खिलाफ पेप्टाइड-मीडिएटेड एंटीमाइक्रोबियल एक्टिविटी के सबूत दिए हैं। लेकिन अन्य बायोएक्टिविटियों को मान्य करने के लिए और अधिक एक्सपेरिमेंट की जरूरत है। प्रो. कामकोटि के दावे पर किसने क्या बोला- अब जानिए गोमूत्र और अन्य जानवरों के यूरिन से जुड़ी ये खास जानकारी नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) पर मौजूद अमृतसर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोमूत्र में 95 फीसदी पानी, 2.5 फीसदी यूरिया, मिनरल्स, 24 तरह के सॉल्ट, हॉर्मोंस और 2.5 फीसदी एंजाइम्स होते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, जयपुर के असिस्टटेंट प्रोफेसर डॉ. ठाकुर राकेश सिंह के मुताबिक आयुर्वेद में पशुओं के यूरिन का इस्तेमाल मोटे तौर पर 3 तरह से किया जाता है- डॉ. राकेश के मुताबिक लोग आजकल यूट्यूब और इंटरनेट देखकर दुकान से गोमूत्र खरीदकर पीना शुरू कर देते हैं, तो कोई आसपास मौजूद किसी भी गाय का यूरिन लेकर सीधे पी जाता है। यह तरीका गलत है। आयुर्वेद में गोमूत्र को दूसरे पशुओं के यूरिन के मुकाबले बेहतर बताया गया है। इसीलिए कई दवाएं बनाने में इसी का इस्तेमाल किया जाता है। पूर्व डायरेक्टर का दावा, गोमूत्र से कैंसर भी हो सकता है ठीक ICAR-IVRI के पूर्व डायरेक्टर और गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी, पंतनगर में प्रोफेसर डॉ. आरएस चौहान का दावा है कि गोमूत्र न सिर्फ कैंसर से बचाता है, बल्कि कैंसर हो जाए तो गोमूत्र से ठीक भी हो जाता है। वह कहते हैं, ‘केंद्र सरकार के एक प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड में पाई जाने वाली ‘बद्री’ गाय पर रिसर्च हो रही है। ये गाय जंगल में चरती हैं। इसलिए विदेशी नस्ल की गाय, भैंस और दूसरे पशुओं की तुलना में ‘बद्री’ गाय के यूरिन की क्वॉलिटी बेहतर है। गोमूत्र के अर्क से इम्यूनिटी बढ़ती है, सेहत ठीक रहती है। यह टीबी जैसे रोगों में फायदेमंद है।’ गोमूत्र से कैंसर ठीक होने का कोई सबूत नहीं, ऐसे दावे करना गलत अमेरिका में कैंसर पर रिसर्च कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र सिंह के मुताबिक आयुर्वेदिक दवाओं से बहुत सी बीमारियां ठीक हो सकती हैं। उसमें कैंसर जैसी बीमारी का जिक्र भी है। लेकिन, यह कहना ठीक नहीं है कि सिर्फ गोमूत्र पीने से कैंसर ठीक हो जाएगा। अब तक किसी भी रिसर्च में यह साबित नहीं हो सका है। डॉ. राकेश के मुताबिक जब तक किसी रिसर्च में यह साबित न हो जाए, तब तक यह नहीं कह सकते हैं कि गोमूत्र से कैंसर जैसी बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। ऐसा दावा सही नहीं है। कोई भी दावा करने से पहले सारे पैरामीटर्स चेक करने पड़ेंगे। इस तरह के दावों से आयुर्वेद का नुकसान ही ज्यादा होता है। पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. संजय गुप्ता के मुताबिक एलोपैथी में न तो पशुओं के यूरिन का ऐसा इस्तेमाल होता है और न ही इस बारे में पढ़ाया जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनानी मेडिसिन में फैकल्टी मोहम्मद साद अहमद खान भी यूनानी चिकित्सा में पशुओं के यूरिन, गोबर के इस्तेमाल से इंकार करते हैं। ………………………….
लाइफस्टाइल से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… विटामिन B-12 रात में क्यों नहीं लेना चाहिए: क्या है विटामिन्स लेने का सही समय और तरीका, बता रहे हैं डॉक्टर इंसानी शरीर के निर्माण और फंक्शनिंग में बहुत सारे विटामिन और मिनरल्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें से एक बेहद जरूरी विटामिन है- विटामिन B-12। रात में विटामिन B-12 क्यों नहीं खाना चाहिए। यह शरीर के लिए कितना जरूरी है? विटामिन्स लेने के साथ–साथ उसे लेने का सही समय जानना क्यों जरूरी है? पूरी खबर पढ़ें…

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