RBI के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। केंद्र सरकार में अपॉइंटमेंट कमेटी की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 के रूप में शक्तिकांत दास की नियुक्ति को मंजूरी दी गई है। यह नियुक्ति उनके पदभार ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होगी। उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ या अगले आदेश तक जारी रहेगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हुआ था। शक्तिकांत दास 12 दिसंबर 2018 को RBI गवर्नर बनाए गए थे। उनके कार्यकाल को बाद में तीन साल के लिए एक्सटेंड किया गया था। 1980 बैच के IAS अधिकारी हैं शक्तिकांत दास
शक्तिकांत दास 1980 बैच के IAS अधिकारी हैं। वे तमिलनाडु कैडर के अधिकारी हैं। 2017 मई तक वे इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी थे। वे देश के 25वें गवर्नर बने थे। नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई थी, तब भी दास ही मुख्य मोर्चे पर थे।
दास विभिन्न पदों पर रहे हैं। दास ने 15वें फाइनेंस कमीशन में भी सदस्य के रूप में काम किया था। दास ने भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और सार्क में प्रतिनिधित्व किया है। वे दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। दास की तरफ से किए गए अहम काम… 1. लगातार दो बार दुनिया के टॉप-बैंकर चुने गए शक्तिकांत दास 2023 और 2024 में लगातार दो बार दुनिया के टॉप सेंट्रल बैंकर चुने गए। शक्तिकांत दास को सेंट्रल बैंक रिपोर्ट कार्ड 2023 और 2024 में A+ ग्रेड मिला। यह अवॉर्ड अमेरिका के वॉशिंगटन D.C. में ग्लोबल फाइनेंस देती है। शक्तिकांत दास को महंगाई पर कंट्रोल, इकोनॉमिक ग्रोथ, करेंसी में स्टेबिलिटी और ब्याज दरों पर नियंत्रण के लिए यह सम्मान दिया गया। 2. कोरोना महामारी और युद्ध के बीच इकोनॉमी को स्टेबल रखा
RBI गवर्नर के तौर पर दास ने भारत और दुनिया के लिए सबसे अस्थिर दौर कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष जैसे संकटों में भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। कोरोना के दौरान दास के नेतृत्व में RBI ने लिक्विडिटी और एसेट क्वालिटी को बनाए रखने के लिए नए और पुराने आर्थिक नीतियों और उपायों को लागू किया। 3. यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को कोलैप्स होने से बचाया
दास ने जिन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया, उनमें ILFS संकट शामिल था। इसके चलते नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) को काफी नुकसान हुआ था। उन्होंने यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को कोलैप्स होने से बचाया। 4. ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में जरूरी बदलाव किया
2018 में जब दास ने कार्यभार संभाला था तब रेपो रेट 6.50% पर थी। उनके नेतृत्व में RBI ने इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए इसे घटाकर 4% पर ला दिया। बाद में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए इसे फिर से बढ़ाकर 6.50% कर दिया। 5. बैंकों का NPA घटाने और मुनाफा बढ़ाने में योगदान
दास के कार्यकाल के दौरान देश के लिस्टेड बैंको का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी NPA सितंबर 2024 तक 2.59% के निचले स्तर पर आ गया, जबकि दिसंबर 2018 में यह 10.38% था। इस दौरान बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी में भी उछाल आया और बैंकों ने वित्त वर्ष 2023 में 2.63 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 2018 में बैंकों को 32,400 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। 1980 बैच के IAS अधिकारी हैं शक्तिकांत दास
शक्तिकांत दास 1980 बैच के सिविल सेवा अधिकारी (IAS) अधिकारी हैं। वे तमिलनाडु कैडर के अधिकारी हैं। 2017 मई तक वे इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी थे। वे देश के 25वें गवर्नर बने थे। नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई थी, तब भी दास ही मुख्य मोर्चे पर थे। दास विभिन्न पदों पर रहे हैं। उन्होंने 15वें फाइनेंस कमीशन में भी सदस्य के रूप में काम किया था। भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और सार्क (SAARC) में प्रतिनिधित्व किया है। वे दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। —————————————— ये खबर भी पढ़ें… संजय मल्होत्रा होंगे RBI के नए गवर्नर: 11 दिसंबर को पदभार संभालेंगे, 6 साल से गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। वे RBI के 26वें गवर्नर होंगे और मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को पूरा हो रहा है। 11 दिसंबर से मल्होत्रा गवर्नर का पद संभालेंगे। कैबिनेट ने आज 9 दिसंबर को संजय मल्होत्रा के अपॉइंटमेंट को मंजूरी दी है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…