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UGC के नए ड्रॉफ्ट के खिलाफ विपक्ष एकजुट:भाजपा RSS का एजेंडा चलाना चाहती है, एक विचार और एक भाषा थोपना चाहते हैं

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) के नए मसौदा नियमों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि भाजपा देशभर में RSS का एजेंडा चलाना चाहती है। वे एक विचार, एक इतिहास, और एक भाषा थोपना चाहते है। राहुल ने कहा, ‘RSS का मकसद देश की अलग-अलग संस्कृतियों और इतिहासों को खत्म करना है। वे संविधान पर हमला करके अपने विचार को थोपना चाहते हैं।’ राहुल का कहना है कि हर राज्य की अपनी भाषा, संस्कृति और इतिहास है। इन्हीं से मिलकर भारत बना है। तमिल लोगों का अपना इतिहास और परंपरा है। ऐसे नियम लाना तमिल समेत हर राज्य का अपमान है, जहां आरएसएस अपनी हुकूमत चलाना चाहता है। कांग्रेस ने UGC के नए नियमों को तानाशाही और संविधान विरोध बताया और इन्हें तुरंत वापस लेने की मांग की। दरअसल, DMK ने दिल्ली के जंतर मंतर में UGC के नए नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इसमें प्रदर्शन में राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता शामिल हुए। UCC के नए नियमों पर विपक्षी नेताओं के बयान अखिलेश यादव: RSS और भाजपा राज्य सरकारों की ताकत छीनना चाहते हैं। वे राजनेताओं को उद्योगपतियों का सेवक बनाना चाहते हैं। मैं नई शिक्षा नीति का विरोध करता हूं। जयराम रमेश: संविधान का संघवाद का सिद्धांत पवित्र है और शिक्षा की क्वालिटी को बेहतर बनाना केंद्र के शिक्षा मंत्रालय का मकसद होना चाहिए। लेकिन वे अपने विचार देश में थोपना चाहते हैं। 6 राज्यों ने जताया विरोध
गैर-भाजपा सरकारों वाले राज्य UGC के नए ड्रॉफ्ट का विरोध कर रहे हैं। इनमें कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। उनका कहना है कि मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने कहा कि यह पहली बार है कि सभी समान विचारधारा वाले राज्य, अपने हितों की रक्षा के लिए, संघवाद को बनाए रखने के लिए एकत्र हुए हैं। स्टालिन बोले- ये संघवाद के विचार पर हमला है विधानसभा में बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि यह विधानसभा मानती है कि हाल ही में यूजीसी के मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। ये संघवाद के विचार पर हमला है और ये तमिलनाडु की उच्च शिक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं। 6 जनवरी को UGC का ड्रॉफ्ट आया
यूजीसी ने 6 जनवरी को यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में वाइस चांसलर, टीचर्स और अकैडमिक स्टाफ भर्ती को लेकर ड्रॉफ्ट रेगुलेशंस जारी किए थे। इस ड्राफ्ट के मुताबिक, राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में चांसलर को अधिक शक्तियां दी जाएंगी। यह कदम राज्यों के अधिकार और संघवाद पर सवाल खड़े कर रहा है। इसका एक कारण है कि चांसलर अक्सर राज्यपाल होते हैं। राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। इसी वजह से विपक्षी पार्टियां इस ड्राफ्ट के खिलाफ विरोध कर रही हैं। अब बिना NET के असिस्‍टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे
UGC के नए ड्रॉफ्ट के मुताबिक, अब हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूटस में असिस्‍टेंट प्रोफेसर बनने के लिए UGC NET एग्‍जाम क्लियर करने की जरूरत नहीं होगी। असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए सब्‍जेक्‍ट में NET क्‍वालिफाइड होना जरूरी नहीं होगा। अभी लागू UGC गाइडलाइंस 2018 के अनुसार, असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए कैंडिडेट का उसी सब्‍जेक्‍ट से NET क्‍वालिफाई होना जरूरी था, जिस सब्‍जेक्‍ट से पोस्ट ग्रेजुएट (PG) किया हो। नई गाइडलाइंस में कैंडिडेट्स को PG से इतर सब्‍जेक्‍ट्स से NET करने की आजादी है। साथ ही बगैर NET किए, सीधे Ph.D किए हुए कैंडिडेट्स भी असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए अप्‍लाई कर सकेंगे। VC पद के लिए टीचिंग एक्‍सपीरियंस की जरूरत खत्‍म
ड्राफ्ट गाइडलाइंस के अनुसार, अब किसी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में वाइस चांसलर बनने के लिए कैंडिडेट के पास 10 वर्ष का टीचिंग एक्‍सपीरियंस होना जरूरी नहीं होगा। अपने फील्‍ड के ऐसे एक्‍सपर्ट, जो सीनियर लेवल पर काम करने का 10 साल का एक्‍सपीरियंस रखते हों और जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्‍छा हो, वे वाइस चांसलर (VC) बन सकते हैं। VC की नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी चांसलर एक कमेटी का गठन करेंगे, जो अंतिम फैसला लेगी। —————————————————– ये खबर भी पढ़ें… संसद में विपक्ष का हथकड़ी पहनकर प्रदर्शन, कांग्रेस सांसद बोले- अमेरिका ने भारतीय नागरिकों से आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया भारतीयों के अमेरिका से डिपोर्टेशन मुद्दे पर गुरुवार को संसद में हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने ‘सरकार शर्म करो’ के नारे लगाए। विपक्षी सांसदों ने बाहर आकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कुछ सांसद हाथों में हथकड़ी पहने नजर आए। पोस्टर भी लहराए जिसमें लिखा था- बेड़ियों में हिंदुस्तान, नहीं सहेंगे ये अपमान। पूरी खबर पढ़ें…

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