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UP में मारे गए पंजाब के खालिस्तानी आतंकियों की कहानी:ज्यादा पैसों के लालच में टेररिस्ट बने, एक की 3 महीने पहले हुई थी शादी

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पंजाब पुलिस और उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने आज पीलीभीत में 3 खालिस्तानी आतंकियों का एनकाउंटर किया। आतंकी वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि, गुरविंदर सिंह और जसनप्रीत सिंह गुरदासपुर जिले के रहने वाले थे। तीनों आतंकी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के एक्टिव मेंबर थे। इन्होंने पंजाब के गुरदासपुर में थानों पर अटैक किए। तीनों का परिवार मजदूरी करता है। पुलिस के मुताबिक, ज्यादा पैसे कमाने के लालच में तीनों ने आतंकवाद का रास्ता चुना। तीनों में सबसे ज्यादा गुरविंदर पढ़ा हुआ था, जिसने सरकारी स्कूल से 12वीं की थी। वहीं जसनप्रीत की 3 महीने पहले ही शादी हुई थी। आतंकियों ने 19 दिसंबर को पंजाब के गुरदासपुर जिले में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से हमला किया था। रवि ने सारा प्लान बनाया। उसी ने UK में बैठे सरगना जगजीत सिंह के जरिए इस प्लान को एग्जीक्यूट किया। इसके बाद UP निकल गए। वह UP क्यों आए, इस पर पंजाब पुलिस जांच कर रही है। गुरदासपुर पुलिस के 4 कर्मचारी फिलहाल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में मौजूद हैं, जोकि सारे दस्तावेज तैयार कर रहे हैं, जिससे उनके फोन सहित अन्य सामान टीम को मिल सकें। अब पढ़िए तीनों आतंकियों की कहानी… रवि मास्टरमाइंड​,​​​ UK में बैठे आतंकी के टच में था
पंजाब पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक, मारे गए आतंकियों में गुरदासपुर के गांव अगवान का रहने वाला रवि मास्टरमाइंड था। रवि के दोनों साथी उसी के इशारों पर काम कर रहे थे। रवि आगे सरगना के साथ संपर्क करता था। इसके बाद उन्हें पैसे सहित अन्य चीजें मिलती थीं। रवि UK आर्मी में काम करने वाले खालिस्तानी आतंकी जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी के पैतृक गांव के रहने वाला था। इसके जरिए ही वह खालिस्तानी ग्रुप के लिए काम करने लगा था। रवि की 5 बहने हैं और 2 भाई हैं। रवि ही ट्रक ड्राइवरी कर परिवार को पाल रहा था। उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। दैनिक भास्कर की टीम जब उसके घर पहुंची तो वहां ताला लगा मिला। परिवार कहां है, किसी को कुछ पता नहीं है। पड़ोसियों ने बताया कि रवि की मां बीमार रहती है। पूरा परिवार मजदूरी करता था। तीन पहले हुई थी जसनप्रीत की शादी, घर से दिहाड़ी के लिए निकला था
जसनप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह का परिवार सरहदी गांव कलानौर में रहता है। परिवार काफी गरीब है। परिजन मजदूरी कर गुजारा कर रहे हैं। जसनप्रीत की मां परमजीत कौर ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि रवि ड्राइवरी की दिहाड़ी का कहकर अपने साथ ले गया था। इसके बाद से वह घर नहीं लौटा। उन्होंने कहा कि 8 दिनों से जसनप्रीत का कोई अता पता नहीं था। उसका फोन भी बंद आ रहा था। परिवार काफी चिंतित था। सोमवार सुबह पता चला कि जसनप्रीत का एनकाउंटर कर दिया गया है। मां ने कहा कि लोग जो मर्जी कहते रहें, मगर मेरा बेटा ऐसा नहीं है। परमजीत कौर ने कहा कि जसनप्रीत के 2 और भाई हैं। वह मजदूरी कर गुजारा कर रहे हैं। तीनों बेटे अनपढ़ हैं। परिवार गरीबी से जूझ रहा है। हमले के लायक जसनप्रीत कैसे हो सकता है? जसनप्रीत की पत्नी गुरप्रीत कौर ने बताया कि 3 माह पहले उसकी शादी हुई थी। बीते मंगलवार (17 दिसंबर) जसनप्रीत घर से गया था। यह पहली बार था कि वह गांव से बाहर दिहाड़ी के लिए गया था। इसके बाद से उसका कोई अता पता नहीं था। गुरविंदर को गोद लिया था, गुरदासपुर में की थी हत्या
तीसरा आतंकी गुरविंदर सिंह भी गुरदासपुर के कलानौर एरिया के गांव रहीमाबाद का रहने वाला था। गुरविंदर के पिता गुरदेव सिंह ने उसे अपनी मौसी से गोद लिया था, क्योंकि उनकी कोई अपनी औलाद नहीं थी। मां सरबजीत ने बताया कि गुरविंदर अकेला बेटा था। खाना खाने के बाद वह घर से निकला था। 3-4 दिन से वह घर नहीं आया। एक दिन उसे फोन किया तो उसने बताया था कि वह यहां है। जानकारी के मुताबिक, कुछ साल पहले उसने किला लाल सिंह गांव में एक युवक को नहर में डुबोकर मार डाला था। इसके बाद हत्या का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह जमानत पर चल रहा था। हत्या के बाद वह माता-पिता को छोड़कर कलानौर में अकेले रहने लगा था। 12वीं तक पढ़ाई की।

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