‘बच्ची सांवली है… इसको जॉनसन बेबी पाउडर लगाना, आठ दिन में गोरी हो जाएगी। इसका रेट 30 हजार कम करा देंगे। ज्यादा सुंदर बच्चा चाहिए तो मई तक रुक जाइए। हमारी एक पार्टी का सातवां महीना चल रहा है। पांच हजार रुपए में लखीमपुर से पता लगा लेंगे कि बड़ी फाइल (बेटा) है या छोटी फाइल (बेटी)।’ लखनऊ में मासूम बच्ची का सौदा कर रही यह महिला चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग की सदस्य है। गैंग तक पहुंचने में दैनिक भास्कर टीम को 20 दिन लगे। हमारा रिपोर्टर नि:संतान बनकर इस गिरोह तक पहुंचा। लखनऊ में बच्ची की डिलीवरी तय की गई। गैंग की दूसरी महिला सदस्य दिल्ली से बच्ची लेकर आई। UP में पहली बार बच्चा बेचते हुए चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग कैमरे में कैद हुई। ये नेक्सेस कैसे काम करता है? अब तक कितने बच्चे बेचे हैं? किस रेट पर बच्चे बेचते हैं? पढ़िए भास्कर इन्वेस्टिगेशन… लखनऊ के गुडंबा में चोरी का बच्चा बेचने वाली एक महिला की गिरफ्तारी के बाद हमने इन्वेस्टिगेशन शुरू की। हमें इस गिरोह की सदस्य संतोषी का पता चला, जिसकी उम्र 45 साल है। उसका मोबाइल नंबर मिला। हमने फोन पर कहा- हमारी कोई संतान नहीं है। बच्चा चाहिए, चाहे जितना पैसा लगे। उसका पहला सवाल था कि मेरा नंबर कहां से मिला? हमने कहा, जिन लोगों ने आपसे बच्चा खरीदा है, उन्हीं ने दिया है। हमने उससे मिलने की इच्छा जताई। दो-तीन जगह बदलकर लखनऊ में सीतापुर रोड पर छठामिल के पास वह बुजुर्ग व्यक्ति के साथ मिलने आई। हमने कहा- हमें लड़का चाहिए। रिपोर्टर: हमें हष्ट-पुष्ट बच्चा चाहिए। दलाल संतोषी: कुछ दिन पहले हमने इटौंजा अस्पताल से एक बच्चा दिलाया था। इतना गोरा था कि क्या बताएं…। छह दिन के बच्चे के सिर्फ 5 लाख रुपए लिए थे। रिपोर्टर: बच्चा मुस्लिम का देंगी या हिंदू का? दलाल संतोषी: हिंदू-मुस्लिम, जैसा बच्चा आपको चाहिए दिलाएंगे। दुबला-पतला या सांवला हुआ तो रेट कम लग जाएगा। हष्ट-पुष्ट गोरे सुंदर बच्चे का ज्यादा देना होगा। जेंडर से तय होता है रेट, लड़के का ज्यादा
बच्चों का रेट उसके जेंडर से तय होता है। संतोषी ने बताया, लड़के का रेट 5 लाख है। लड़की 3 लाख में मिल जाती है। हालांकि, बातचीत के दौरान उसने कहा ‘लड़की ढाई लाख में मिल जाएगी। 10 हजार रुपए मुझे अलग से दे दीजिएगा।’ बच्चा बिक गया, फिर हमने बच्ची के लिए बात की
तीन दिन बाद संतोषी ने हमें फोन किया कि लड़का चाहिए तो मड़ियांव थाने के पास आना होगा। जब हम उसकी बताई जगह पर पहुंचे तो बोली, वो ऊंचे दामों में बिक गया। जल्दी आपको झारखंड से बच्चा दिलाएंगे। थोड़ा इंतजार करना होगा। हम हर हाल में इस नेटवर्क को बेनकाब करना चाहते थे। हम इंतजार करते रहे, लेकिन फोन नहीं आया। तब हमने छह दिन बाद संतोषी को फोन किया कि लड़का नहीं मिल पा रहा तो कोई बात नहीं, हमारे एक दोस्त का पांच साल का बेटा डिसेबल (दिव्यांग) है, उनको लड़की चाहिए। एक बच्ची नहीं आ पाई तो दूसरी अरेंज की
20वें दिन महिला दलाल संतोषी ने हमें अलीगंज के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के पास बुलाया। हम महिला साथी और टीम के एक सदस्य के साथ पहुंचे। उनके पास बच्चा नहीं था। वह अपने एक साथी के साथ आई थी, जिसने हम लोगों से कुछ दूरी बना रखी थी। ये लोग हमारी रेकी कर रहे थे। महिला दलाल ने कहा, रिकॉर्डिंग (बच्ची का वीडियो) अभी आई है। जिनका सामान (बच्चा) था, उनके भाई का एक्सीडेंट हो गया है। वह उनके घर गई हैं। संतोषी ने कहा- पार्टी (अपने दोस्त) को जाने मत देना। हम आपको एक घंटे बाद फोन कर लेंगे। उसके बाद महिला ने आधे-पौन घंटे बाद हमें शाहजहांपुर जाने के लिए कहा। हमने इनकार कर दिया। महिला दलाल हमें बराबर फोन करती रही। उसने दिल्ली से दूसरी बच्ची अरेंज की। कहा, पार्टी दिल्ली से आ रही है, थोड़ा समय लगेगा। रात करीब 12 बजे उसने फिर फोन किया। कहा, डालीगंज ओवरब्रिज के नीचे आ जाइए, आपका काम हो जाएगा। हम उसकी बताई जगह के लिए टीम और एक महिला साथी को लेकर निकल लिए। मोबाइल पर बातचीत के दौरान वह अलग-अलग लोकेशन पर बुलाती रही, रात करीब एक बजे बुद्धा पार्क के पास बुलाया। यहां वह एक व्यक्ति के साथ आई, जिसे वह अपना भाई बता रही थी। खुद हमारी कार में बैठ गई और भाई को पीछे आने को कहा। गाड़ी में बैठने के बाद भी वह हमें करीब 15 किलोमीटर दूर बालागंज चौराहा ले गई, फिर वहां से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर ले गई। 50-60 किलोमीटर तक घुमाती रही। इस दौरान वह दिल्ली से बच्ची लेकर आ रही दूसरी महिला दलाल सोनी से बात करती रही। वह लोकेशन देती रही कि कहां पहुंचना है। इस दौरान हम उससे इस नेक्सस के बारे में जानकारी लेते रहे। ‘आधार’ पर मियां-बीवी के साइन करा लेते हैं… दलाल संतोषी: पहले हम बिल्कुल नहीं डरते थे। चौराहे पर जैसे आप जा रहे हैं, हम खड़े हैं। गाड़ी आई, गाड़ी में बैठ गए। सामान (बच्चा) दे दिया, पेमेंट गिना भी नहीं,… ये केवल विश्वास पर है। लेकिन अब इतनी दहशत है कि घर से तो बिल्कुल इजाजत ही नहीं है। रिपोर्टर: उनके मां-बाप (बच्चे के पेरेंट्स) आ रहे हैं क्या? दलाल संतोषी: नहीं। आमना-सामना इस वजह से नहीं कराते कि इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है, कहीं न कहीं भेंट (मुलाकात) हो जाए। रिपोर्टर की महिला साथी: तो क्या मां-बाप को पता है? दलाल संतोषी: आप बताते तो हम ‘आधार’ पर मियां-बीवी दोनों के साइन करा लेते। रिपोर्टर की महिला साथी: तो क्या बच्ची के माता–पिता भी पैसे लेते हैं? दलाल संतोषी: वही तो पैसे लेते हैं। पैसे लेकर बच्चे देते हैं। जैसे कोई गरीब है, लड़की की शादी नहीं कर पा रहे हैं। या दूसरा बच्चा आ गया, तो इस तरह के लोग ये काम कर देते हैं। रिपोर्टर की महिला साथी: जो बच्चा लेकर आ रही हैं, वह आपकी कौन हैं? दलाल संतोषी: सब स्टाफ के हैं। (तब तक उसने दूसरी दलाल सोनी का नाम नहीं बताया था) तुम्हारा बच्चा आज रात आ जाएगा…
जब हम संतोषी के साथ बच्ची लेने जा रहे थे, इस दौरान हमने उससे बेबी बॉय के बारे में पूछा, जिसके लिए महिला ने 5 लाख में डील कर रखी थी। महिला दलाल ने कहा, तुम्हारा बच्चा आज रात आ जाएगा। हमने पूछा- बच्चा क्या लखनऊ में पैदा हुआ है। इस पर संतोषी ने कहा कि नहीं, बिसवां (सीतापुर)। गांजर एरिया (नदी किनारे) में पड़ता है। आगरा एक्सप्रेस-वे पर दिखाई बच्ची
हम गाड़ी रुकने का इंतजार कर रहे थे। वहीं, संतोषी बराबर फोन कर दूसरी दलाल सोनी से लोकेशन का अपडेट ले रही थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर रात करीब दो बजे महिला दलाल संतोषी अचानक मोबाइल पर ज्यादा सक्रिय हुई। गाड़ी को सुनसान जगह ले जाने के लिए कहने लगी। संतोषी ने दूसरी गाड़ी (DL 1RT A6944) में बैठी अपनी साथी सोनी से भी संपर्क कर सुनसान जगह रुकने को कहा। फिर संतोषी उतरकर पीछे चल रही गाड़ी से बच्ची को गोद में लेकर आ गई। उनकी गाड़ी हमारी गाड़ी से आगे निकल गई। दलाल संतोषी ने हमें उस गाड़ी को फॉलो करने को कहा। दलाल संतोषी ने बच्ची को हमारी गोद में दे दिया। हमें उसकी उम्र 14 दिन बताई। वह जल्दबाजी दिखाते हुए पेमेंट मांगने लगी। इस दौरान वह आगे गाड़ी में चल रही सोनी से बराबर मोबाइल पर बात कर रही थी। मोबाइल पर सोनी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी कि पीछे-पीछे क्यों चल रही हो? ये भी कहा कि अपनी गाड़ी आगे कर लो। ज्यादा आगे मत चलो। मासूम के लिए दूध का भी इंतजाम नहीं था
इस दौरान बच्ची रोने लगी। उसकी दूध की बोतल खाली थी। हमने संतोषी से उसे दूध देने को कहा। वह कहने लगी कि दूध का इंतजाम नहीं है। हमने कहा, इतनी दूरी तक बिना दूध के इंतजाम किए कैसे आ सकते हैं। संतोषी हम पर जल्दी पैसा देने का दबाव बना रही थी। हाथ-पैर देख लीजिए, सही सलामत हैं ना- संतोषी
संतोषी ने कहा- बच्ची के हाथ-पैर चेक कर लीजिए, सही सलामत हैं ना। हमने कहा- हम लोग आपस में चर्चा करना चाहते हैं। चूंकि हमें कोई बच्चा खरीदना तो था नहीं, इसलिए गाड़ी से उतरकर हमने बहाना बनाया कि बच्ची का रंग सांवला है। संतोषी कहने लगी ऐसा नहीं है, बच्ची को देहात में सरसों का तेल वगैरह लगाकर धूप में लिटाया जाता है, इस वजह से रंग दब जाता है। संतोषी ने दलाल सोनी को फोन किया। सोनी फोन पर ही धमकाने लगी कि नौटंकी मत करो…जिस बच्ची की फोटो भेजी थी, वही है। दूसरी महिला दलाल सोनी की गाड़ी में एंट्री…टिशू पेपर से फेस साफ करेंगे तो ठीक लगेगी
हम सोनी को भी बेनकाब करना चाहते थे, इसलिए उसे भी बुलाने को कहा। थोड़ी ही देर में सोनी भी गाड़ी में आकर बैठ गई। सोनी कहने लगी कि सांवली नहीं है। जैसे हम लोग धूप में निकलते हैं तो रंग काला हो जाता है। पांच-छह दिन बंद जगह में रखेंगी तो रंग साफ हो जाएगा। 15-20 दिन में बच्चे का रंग बदलता ही है। हम लोग पता नहीं कितनी दूर से आए हैं। 12-13 हजार रुपए तो गाड़ी वाले ने लिए हैं। आठ दिन में रंग न साफ हो तो वापस कर देना
दलाल सोनी कहने लगी कि आप जरा सही से देखें। सुबह से इसका मुंह धुला नहीं है। धुलेंगे, टिशू पेपर से साफ करेंगे, तो रंग ठीक हो जाएगा। मेरा बच्चा खुद बहुत काला था, अब गोरा है। कहने लगी कि आप एक बार मन तो बनाइए। फिर दोनों दलाल कहने लगीं कि आप बच्चा ले लीजिए…आठ दिन में रंग साफ न हो तो वापस कर दीजिएगा। हमने बच्चे के मां-बाप के बारे में पूछा तो कहने लगीं, वो दिल्ली में हैं। बच्चा लेने से इनकार करने पर सोनी कहने लगी हम लोग होटल ले लेंगे, आप-दो तीन घंटे सोचने का समय ले लो। इसके कपड़े चेंज करेंगे, इसका फेस साफ करेंगे। आपस में उलझने लगीं दोनों दलाल, बोली- ये तो दिल्ली की फाइल है
जब संतोषी को लगा कि डील फाइनल नहीं हो पाएगी तो वह हमें समझाने लगी। अपने मोबाइल में उस बच्ची की तस्वीर दिखाने लगी, जिसे दूसरी महिला लाने वाली थी। इस पर सोनी ने कहा कि ये फाइल (बच्ची) तो दिल्ली की है। इस पर संतोषी ने चुप्पी साध ली। इसी दौरान सोनी, संतोषी से कहने लगी कि हम हॉस्पिटल का काम-पेशेंट छोड़कर आए हैं। कितना रिस्क लेकर आए हैं। फिर दोनों दलाल मिलकर दबाव बनाने लगीं कि एक-दो घंटे में डिसाइड कर लो। इतना कहकर उसने अपनी गाड़ी में बैठे लोगों को फोन किया, फिर बच्ची लेकर निकल गईं। वहीं, संतोषी ने हमसे कहा- ‘बच्ची को आठ दिन जॉनसन बेबी पाउडर और साबुन लगाइए, यह गोरी हो जाएगी।’ इसके बाद भी हमारे इनकार करने पर वह गाड़ी से उतर गई। दो-तीन दिन तक भेजती रही बच्चों के फोटो
बच्ची लेने से मना करने के बाद भी संतोषी बराबर फोन करती रही। उसने कई नवजात बच्चों की तस्वीरें हमें भेजीं। वॉट्सऐप मैसेज और कॉल किए। इस पूरे इन्वेस्टिगेशन के दौरान उसने 10 बच्चों के फोटो-वीडियो भेजे। इनमें से अधिकतर बच्चे तो सिर्फ दो-तीन दिन के ही थे। संतोषी ने हमें आखिरी बार जब फोन किया तो कहा- ‘लखनऊ में एक-दो दिन में एक डिलीवरी होनी है। जुड़वा हैं। एक बड़ी फाइल (लड़का) है, एक छोटी फाइल (लड़की) है। आप बड़ी फाइल ले लो और अपने दोस्त को छोटी फाइल दिला दो।’ जानिए संतोषी कौन? चार बच्चों की मां कर रही मासूमों का सौदा बड़ा सवाल…बच्चे लाते कहां से हैं? 1- गरीब परिवार से: गिरोह की महिला संतोषी ने स्वीकार किया कि जरूरतमंद लोग पैसे के लिए बच्चे बेच देते हैं। अगर किसी को बेटी की शादी करनी है, या अनचाही संतान आ गई तो पैसे के लिए बेच देते हैं। संतोषी ने बताया कि उसने साढ़े छह लाख में एक लड़के का सौदा कराया था। बेचने वाले को छह लाख रुपए दिए, 50 हजार रुपए दो हिस्सों में बांटे। 2- अस्पतालों से चोरी: गैंग की एक सदस्य श्यामा कुमारी को कुछ दिन पहले गुडंबा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिस अस्पताल में वह काम करती थी, वहां डिलीवरी कराने आई महिला का बच्चा लेकर फरार हो गई थी। वहीं, महिला दलाल संतोषी ने बताया, कुछ दिन पहले इटौंजा में एक काम कराया था। अस्पताल से पांच लाख में छह दिन का बच्चा दिलाया था। संतोषी ने बताया, आजमगढ़ बस अड्डे के पास के अस्पताल में भी यही काम होता है। वहां हम 2 बार गए हैं। 3- प्रेग्नेंट महिला का खर्च उठाकर: महिला दलाल संतोषी ने बताया, हम एक प्रेग्नेंट महिला को अपने खर्च पर अलग कमरे में पाल रहे हैं। मई में उसकी डिलीवरी है। उस पर जो पैसा खर्च हो रहा है, संतान बेचकर निकाल लेंगे। यह महिला विधवा है। उसके पहले से ही बच्चे हैं और गरीब है। तीसरे बच्चे का खर्च नहीं उठा सकती है। बच्चा बिकने के बाद एक हिस्सा उसे जाएगा, बाकी संतोषी रखेगी। चार राज्यों में फैला है नेटवर्क
UP की राजधानी में ये गिरोह सक्रिय है। गिरोह का नेटवर्क देश की राजधानी दिल्ली, UP, हरियाणा और झारखंड तक फैला है। दलाल संतोषी ने बातचीत के दौरान लखीमपुर, आजमगढ़, सीतापुर समेत UP के और जिलों का नाम लिया। —————————- ये खबर भी पढ़ें… UP में नाव से शराब तस्करी पहली बार देखिए:घाट से शराब लादते और उस पार बिहार में उतार लेते, 1 लाख में थाना सेट शाम का वक्त है, अंधेरा होने को है…। तेजी से एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है। एक-एक कर 5 युवक उतरते हैं। वे गाड़ी से शराब की पेटियां निकाल कर घाघरा नदी में तैयार खड़ी नाव पर रख देते हैं। मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे…। जैसे ही आखिरी पेटी रखी, नाव बिहार की ओर चल पड़ी। यह तस्वीर -UP बॉर्डर के बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र की है। सड़क और ट्रेन में सख्ती बढ़ी, तो तस्करों ने पानी का रास्ता अपना लिया। गंगा और घाघरा से रोजाना लाखों की शराब UP से बिहार पहुंचाने का सुरक्षित रास्ता बन गया है। दैनिक भास्कर की टीम ने 30 दिनों की खोजबीन में पानी के जरिए शराब की तस्करी देखी। पढ़ें पूरी खबर…
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