सीतामढ़ी में मरीजों के साथ कुछ अवैध ढंग के क्लिनिक संचालकों ने मनमानी की हैं। ऐसा ही एक मामला शहर के बसबरिया से सामने आया है। जहां पहले एक आशा ने सदर अस्पताल में भर्ती प्रसव पीड़ित महिला को झांसा देकर निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया। वही, पहले 18 हजार रुपए भी जमा करा लिए गए। प्रसव हो जाने के बाद उसके परिजनों से 80 हजार रुपए की डिमांड की गई। पूरी राशि नहीं मिलने पर डॉक्टर ने मरीज को बंधक बना लिया। काफी कोशिश के बाद जब नहीं छोड़ा तो पीड़िता के पति ने डीएम रिची पांडे से इसकी शिकायत की। जिसके बाद डीएम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए। घटनास्थल पर स्वास्थ्य विभाग के डीसीएम को भेजा। जहां उन्होंने बंधक बनाए गए परिजनों को मुक्त कराया। अस्पताल संचालक को अस्पताल से संबंधित कागजातों को शनिवार तक जमा कराने का निर्देश दिया। आशा कार्यकर्ता को किया निलंबित इतना ही नहीं, मरीज को सदर अस्पताल से ले जाने वाली आशा कार्यकर्ता को निलंबित कर दिया। बथनाहा थाना क्षेत्र के विशनपुर निवासी शंभू कुमार की पत्नी सुलेखा देवी को प्रसव के लिए सदर अस्पताल में लाया गया था। जहां मनियारी कमलदह की आशा रानी देवी ने उसे बसवरिया स्थित निजी क्लिनिक में लाया गया। जहां 18 हजार रूपया अग्रिम राशि मरीज के परिजनों से जमा कर ली गई। प्रसव के बाद शुक्रवार को पेशेंट के परिजनों को 80 हजार का बिल दिया गया। मरीजों ने अत्यधिक बिल होने की बात कही। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज और उनके परिजनों को बंधक बना लिया गया। जिसकी जानकारी मरीज के परिजनों ने डीएम रिची पांडेय को दूरभाष पर दी गई। मौके पर पहुंचे डीसीएम समरेंद्र वर्मा अस्पताल पहुंच मामले की जांच की और बंधक बनाए गए मरीज को मुक्त कराया। इस संबंध में डीसीएम समरेंद्र नारायण वर्मा ने बताया कि मामले की जांच की गई है। मरीज को सकुशल मुक्त करा घर भेज दिया गया है। आशा को निलंबित करते हुए विभाग को लिखा गया है। अस्पताल का निबंधन न होने के कारण इससे संबंधी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है। जिन्होंने डुमरा पीएचसी प्रभारी को उक्त क्लिनिक का जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।