बिहार स्टेट प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक वर्कर्स यूनियन के मानव बलों ने अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना का आयोजन किया। प्रदर्शनकारियों ने बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मानव बलों की 60 साल की सेवा पक्की करने, पूर्व के संघर्षों में हटाए गए मानव बलों को वापस काम पर रखने समेत अन्य मांगों को लेकर आज एक दिवसीय धरने में भोजपुर के सभी मानव बल शामिल हुए। आरा हेड क्वार्टर के मानव बल सुशील कुमार ने बताया कि विद्युत विभाग में नियमित कार्य के लिए वह स्रोत से मानव बलों की सेवाएं बिचौलिए एजेंसी से ली जा रही है। इस एजेंसी को सेवा शुल्क के नाम पर मजदूरों के वेतन का 10% भुगतान किया जा रहा है। जीएसटी के नाम पर 18 प्रतिशत कटौती हो रही है। इस एजेंसी की व्यवस्था भी सही नहीं है। अगर प्रबंधन इस बिचोली एजेंसी को हटाकर स्वयं इन कर्मियों को रखती है तो सीधे ही वर्तमान में 28% बचत होगा। राज्य सरकार का श्रम संसाधन विभाग समय-समय पर बिहार के कई इंडस्ट्री एवं उसके कई श्रेणी के कामगारों के लिए दैनिक मजदूरी की दर तय करती है। आज तक विद्युत वितरण कंपनी में 11 कवि या 33 कब लाइन में कार्य करने वाले मजदूरों की मजदूरी राज्य सरकार तय नहीं कर पाई है। अभी दोनों वितरण कंपनी में बाह्य एजेंसी से कार्यरत मानव बालों को वही मजदूरी दी जाती है जो एलइडी बनाने वाली कंपनी के मजदूरों को दी जाती है। या घर नाइंसाफी है दोनों के कार्य प्रति और जोखिम आदि में जमीन आसमान का अंतर है। जिस प्रकार राज्य सरकार के द्वारा बेल्ट्रॉन में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर या जिला के पैनल से नियुक्त एग्जीक्यूटिव अस्सिटेंट एवं अन्य विभागों में बाह्य एजेंसी के कर्मियों हेतु सेवा नियमावली निर्गत की गई है। इसी तर्ज पर विद्युत कंपनियों में कार्यरत मानव बालों की सेवा भी 60 साल की उम्र तक पक्की की जाए। साथ ही स्थानांतरण, छुट्टी कार्य के दौरान मृत्यु पर मुआवजा आदि सेवा का शर्त तय किया जाए। बिहार स्टेट प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक वर्कर्स यूनियन के उप महामंत्री मोहम्मद असलम इराकी ने कहा कि बोनस अधिनियम 1965 के प्रावधानानुसार प्रत्येक संस्था को अपने उन सभी कर्मियों को न्यूनतम 8.33 परसेंट बोनस देना है, जिनका वेतन 21000 से कम हो। साल 2018 से संबंधित कर्मियों का बोनस बकाया है। हमारी दोनों वितरण कंपनियां तो वर्ष 2023 से फायदे में चल रही है। बोनस अधिनियम के प्रधान के अनुरूप मानव बल समेत और कर्मियों को बोनस का भुगतान किया जाए तथा वर्ष 2018 से बताएं बोनस का एकमुश्त भुगतान कराया जाए। उपमहामंत्री ने बताया कि अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए मानव बल विभिन्न संगठनों एवं गुटों के साथ पूर्व में संघर्ष कर चुके हैं और हजारों मानव बलों को कंपनी से हटा दिया गया है। विभिन्न मंचों पर अपनी बातों को रखने और कई बार प्रबंधन से हुए समझौते के बाद भी अभी सैकड़ों मनोबल दर-दर के ठोकरे खा रहे हैं। उनके परिवारों का पालन पोषण ढंग से नहीं हो पा रहा है। इसलिए प्रबंधक से हमारी मांग है कि पूर्व के संघर्षों की वजह से हटाए गए मानव बलों में शेष बच्चे मानव बलों को प्राथमिकता के आधार पर वापस रखा जाए। कंपनी में मानव बलों से काम तो महीने भर कराया जाता है, लेकिन वेतन सिर्फ 26 दिन का दिया जाता है। किसी भी संस्थान में यह श्रम कानून के 6 दिन कम पर एक दिन का रेस्ट देय है। यह रेस्ट पेड होना चाहिए। कंपनी के कर्मियों को न्यूनतम 300 यूनिट फ्री बिजली का लाभ दिया। इसके साथ चिकित्सा सुविधा में पदाधिकारी एवं कर्मचारियों का विभेद समाप्त किया जाए।