गोपालगंज के सदर अस्पताल समेत विभिन्न स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं की उपस्थिति नगण्य रहने और कार्य में लापरवाही के आरोप में चार आशा कार्यकर्ताओं को चयन मुक्त किया गया है। साथ ही 600 आशा कार्यकर्ताओं से स्पष्टीकरण की मांग की गई है। उन्हें 15 दिनों में जवाब देने का आदेश दिया गया है। डीएम के आदेश पर सीएस की कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा है। दरअसल, सदर अस्पताल समेत विभिन्न स्वास्थ्य केंद्र में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) की ओर से अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन नहीं करने व महिलाओं का प्रसव कराने में सुस्ती बरतने सहित अन्य आरोप को लेकर डीएम के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है। जिले से हमेशा बाहर रहने व छह महीने से किसी प्रकार के कार्य में शामिल नहीं होने वाली चार आशा को चयन मुक्त करने की कार्रवाई सिविल सर्जन की तरफ से की गई है। जिन आशा से स्पष्टीकरण की मांग की गई है, उन्हें 15 दिनों में जवाब देने का आदेश दिया गया है। प्रसव में सहयोग करने की जिम्मेदारी सिविल सर्जन डॉक्टर वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं का फायदा आम लोगों को दिलाने, टीकाकरण सहित अन्य प्रकार के कार्यक्रम को गांव-गांव तक पहुंचाकर उससे लोगों को फायदा दिलाने व गांव में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को सरकार की सभी योजना का फायदा दिलाने, उनका समय-समय पर मेडिकल जांच कराने व दवा दिलाने के साथ ही प्रसव में सहयोग करने की जिम्मेदारी भी आशा को दी गई है। बीते छह महीने के दौरान कई स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में आशा की तरफ से सहयोग नहीं किया गया। डीएम प्रशांत कुमार सीएच की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक के दौरान आशा के कार्यों की समीक्षा की गई। इसमें 600 आशा से कार्य में सुस्ती बरतने व कार्य को सही से नहीं करने को लेकर डीएम के आदेश पर सभी से स्पष्टीकरण की मांग की गई है। साथ ही लगातार छह माह से गायब रहने वाली चार आशा को चयन मुक्त कर दिया गया है। सिविल सर्जन ने बताया कि चयन मुक्त होने वाली आशा में कुचायकोट प्रखंड की बोधा छापर गांव निवासी ममता कुमारी, उचकागांव निवासी निक्की देवी व जलालपुर गांव निवासी अनिता देवी तथा भोरे प्रखंड के मथौली गांव निवासी रामावती देवी शामिल हैं। इस कार्रवाई से स्वास्थ्य महकमे में में हड़कंप मच गया है।