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‘कॉलेज नहीं आने पर लालू की बेटी को पड़ी डांट’:PMCH वालों को बिना इंटरव्यू के मिलती थी नौकरी, शताब्दी कार्यक्रम में कल आएंगी राष्ट्रपति

बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) कल यानी 25 फरवरी को 100 साल का हो जाएगा। शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आ रही हैं। अपने रुतबे को बरकरार रखते हुए PMCH आज दुनिया का दूसरा और देश का सबसे बड़ा अस्पताल बनने की कगार पर है। हॉस्पिटल का कभी रुआब ऐसा था कि राष्ट्रपति से लेकर बड़े-बड़े VIP और नेता-विधायक इलाज करवाने दिल्ली-मुंबई न जाकर PMCH आते थे। यहां किसी की पैरवी नहीं चलती थी। बिना अपॉइंटमेंट के आए मंत्री को भी इंतजार करना पड़ता था। यहां से पढ़ाई करके विदेश जाने वाले डॉक्टरों को कोई टेस्ट नहीं देना पड़ता था। भास्कर के इस स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए PMCH के इतिहास से लेकर अब तक की उसकी 8 रोचक कहानियां…। प्रिंस ऑफ वेल्स आए तब कॉलेज का हुआ उद्घाटन PMCH की शुरुआत 1874 में बीएन कॉलेज परिसर में टेम्पल मेडिकल स्कूल के रूप में की गई थी। तब 30 छात्रों का एडमिशन होता था और उनके पूरे कोर्स की फीस 2 रुपए होती थी। यह सिलसिला 1925 तक जारी रहा। उसके बाद इंग्लैंड के तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स यहां आए। इसके बाद प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन हुआ। इस कॉलेज में 35 छात्रों के पहले बैच को मेडिकल कॉलेज बंगाल से प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर किया गया था। पूर्व स्टूडेंट डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा ने बताया, ‘उस वक्त गंगा की धारा PMCH की सीढ़ियों को छूते हुए निकलती थी। इसकी स्थापना भले 1925 में हुई हो, लेकिन इसमें पढ़ाई 1875 में अंग्रेजों ने शुरू की थी। तब इसमें पढ़ाई छोटे कोर्स की होती थी, जिसे LMP कहा जाता था।’ स्वतंत्रता से पहले यह देश का छठा सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज और संयुक्त रूप से बिहार-ओडिशा का एकमात्र मेडिकल कॉलेज था। इसकी स्थापना के बाद आज के हथुआ वार्ड में ही सारा डिपार्टमेंट चलता था। इसका नाम बाद में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने बदलकर पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल रख दिया। अब पढ़िए रोचक किस्से… 1. क्लास नहीं करने पर लालू की बेटी को पड़ी थी डांट 1980 बैच के डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया, ‘लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती भी PMCH से ही पढ़ी हैं। मगर वह क्लास बहुत कम करती थी। जब लालू जी ने डॉक्टरों को शिष्टाचार मुलाकात के लिए बुलाया तो मैंने इस बात की शिकायत उनसे की। मैंने लालू जी को भोजपुरी में कहा- मीसा क्लास नइखे करत।’ ‘मैंने 40 क्लास ली है और मीसा सिर्फ 4 क्लास में ही थी। इस बात पर लालू जी घबरा गए और उन्होंने अंदर जाकर समझाने को कहा। जब मैं अंदर गया तो वहां राबड़ी देवी भी थीं। मैंने भी मीसा को समझाया कि जैसा नाम तुम्हारे पिता का राजनीति में है, वैसा ही नाम तुम्हारा डॉक्टर में होना चाहिए। इसके लिए तुम्हें पढ़ना होगा। इस पर राबड़ी देवी ने भी उसे डांटा। इस घटना के बाद से मीसा भारती रोज क्लास में आने लगी।’ 2. फेल स्टूडेंट बग्गी से करते थे सवारी डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने आगे बताया, ‘PMCH में जो स्टूडेंट फेल होते थे, उन्हें लार्ड कहा जाता था। जो लगातार फेल करते थे, उन्हें सुपर लॉर्ड की उपाधि दी जाती थी। रिजल्ट आने के बाद बग्गी से लॉर्ड की सवारी निकलती थी, और उनके आगे जूनियर्स मुगालिया सलाम करते चलते थे। उनके लिए स्पेशल बग्गी तैयार की जाती थी और उस बग्गी को पूरे कैंपस में घुमाया जाता था। यह सभी लॉर्ड ओल्ड हॉस्टल में रहते थे। छात्र संघ के चुनाव के दिन सारे लॉर्ड जुलूस की शक्ल में वोट देने निकलते थे और उनके जुलूस में बैंड बाजा, हाथी, घोड़े और ऊंट भी रहते थे।’ 3. लड़कियां खुद नाव चलाकर गंगा उस पार मनाती थी पिकनिक 1960 बैच के डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा ने बताया, ‘PMCH के टीएन बनर्जी घाट के पास एक जेट्टी और 4 नावें लगी रहती थी। उसकी देखभाल एक मल्लाह दरबान करता था। हम सभी स्टूडेंट्स में इतना उत्साह होता था कि हम खुद ही नाव चलाकर गंगा पार करते थे। यहां तक कि लड़कियां क्लास के बाद खुद नाव चलाती थी और अपनी सहेलियों को गंगा उस पार ले जाकर बालू पर पिकनिक मनाती थी।’ 4. पहली प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आई थी इंदिरा गांधी PMCH में एग्जीबिशन सोसाइटी है, जिसमें अलग-अलग तरह की प्रदर्शनी लगती है। इसको देखने के लिए टिकट का दाम 1 रुपए था। यह सारी प्रदर्शनी मेडिकल से ही जुड़ी होती थी। तब यह प्रदर्शनी 8 दिन की होती थी। डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा ने बताया, ‘PMCH की पहली प्रदर्शनी का उद्घाटन करने भारत सरकार की तात्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी आई थी। तब वह सिर्फ बड़े-बड़े प्रोजेक्ट का ही उद्घाटन करने जाती थी, लेकिन पटना में एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के लिए वह दिल्ली से बिहार आई थी।’ 5. जाति के कारण प्रोफेसर ने स्टूडेंट्स को किया था फेल PMCH में एक बार एक प्रोफेसर ने बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स को जाति के कारण फेल कर दिया गया था। उस वक्त काफी बदनामी हुई थी। यहां तक कि पास हुए स्टूडेंट की डिग्री भी डीरिकग्नाइज हो गई थी। डॉ अजय कुमार ने बताया, ‘उस वक्त जाति को लेकर गोलबंदी शुरू हो गई थी। तब टीचर कुछ गिने-चुने जाति वाले स्टूडेंट को ही पास करते थे, बाकी को फेल कर देते थे। पूरे कैंपस में इससे पहले कोई जातिवाद नहीं होता था। बस एनुअल इलेक्शन में ही कुछ जातिवाद देखे जाते थे। तब जातियों का गठबंधन होता था।’ 6. दिवाली के 10 दिन पहले से शिफ्ट में खेला जाता था जुआ 1966 बैच के स्टूडेंट्स बताते हैं, ‘PMCH में दिवाली से 10 दिन पहले जुआ शुरू होता था। कुछ स्टूडेंट तो 10 दिनों तक क्लास में नजर ही नहीं आते थे। हॉस्टल के स्टूडेंट रात भर जुआ खेलते थे और दिन में सोते थे। जुआ खेलने के लिए शिफ्ट चलता था। एक सोने जाता था तो उसकी जगह दूसरा जाकर खेल को आगे बढ़ाता था। उस वक्त दिवाली की सिर्फ एक या दो दिन छुट्टी मिलती थी। सभी स्टूडेंट हॉस्टल में ही अपनी दीवाली मनाते थे। 7. नेताजी पिस्टल भिड़ाकर मरीज को लेने पहुंचे 1996 बैच के डॉ राकेश कुमार शर्मा ने बताया, ‘2005 में PMCH में एक बच्चा एडमिट था। वह रिकवर हो चुका था और उसके डिस्चार्ज की प्लानिंग थी। तभी वहां लाल गाड़ी में सफेद कुर्ता पहने एक नेताजी पहुंचे। उन्होंने इमरजेंसी ड्यूटी के डॉक्टर से तुरंत बच्चे को डिस्चार्ज करने को कहा। मैं भी इमरजेंसी ड्यूटी में था। हमलोगों ने उनसे कहा कि यह बच्चा जिस यूनिट में एडमिट है, उस यूनिट के डॉक्टर ही डिस्चार्ज कर सकते हैं। फिर भी वे लोग अड़े रहे और गाली-गलौज करने लगे। इसी बीच नेताजी के एक आदमी ने पिस्टल निकाला और कहा कि अगर हमलोग बच्चे को जल्दी डिस्चार्ज नहीं करेंगे तो वे लोग हमें गोली मार देंगे। पिस्टल देखकर हमलोग डर गए। ऊपर सेमिनार हॉल में पीजी की क्लास चल रही थी। जब उन स्टूडेंट्स को इस बारे में पता चला तो वे भी नीचे आकर इकट्ठा हो गए। उन्हीं में से किसी ने थाने को घटना की जानकारी दी। जब पुलिस की टीम आई तो हमारी हिम्मत भी बढ़ गई। 8. बिना अपॉइंटमेंट पहुंच गए थे मंत्री जी, डॉक्टर ने कराया इंतजार PMCH में बड़े-बड़े नेता, मंत्री इलाज कराने आते थे। एक बार मंत्री वीरचंद पटेल बिना अपॉइंटमेंट के PMCH आ गए थे। डॉक्टर वार्ड में राउंड ले रहे थे। तभी उन्हें खबर किया गया कि मंत्री जी आए हैं। डॉक्टर ने बिना किसी हिचक के कहा कि मंत्री जी को अभी इंतजार करने कहो। पहले मैं पूरा वार्ड राउंड दे दूंगा, फिर आऊंगा। वहीं, खान अब्दुल गफ्फार खान को जब अपने घुटनों में दर्द हुआ तो वह दिल्ली-मुंबई ना जाकर सीधे PMCH में अपना इलाज करवाने आए थे। उनका ट्रीटमेंट डॉक्टर बी. मुखोपाध्याय के अंडर हुआ था। उनके आने की खबर पर कैंपस में पूरी हलचल हो गई थी। सभी लोग काफी उत्साहित थे। इसके अलावा लोकनायक जयप्रकाश नारायण का फुल ट्रीटमेंट PMCH में डॉ सीपी ठाकुर की देखरेख में हुआ था। यहां के डॉक्टर डॉ दुखनराम को राष्ट्रपति भवन डॉ राजेंद्र प्रसाद की आंख के ऑपरेशन के लिए बुलाया गया था। ————————– ये भी पढ़ें… जिस सर्जरी के लिए CM दिल्ली गए,वो बिहार में होगी:IGIMS में होगी फेम्टो लेजर से सर्जरी और आंखों के कैंसर पर रिसर्च नॉर्थ इंडिया के सबसे बड़े आई हॉस्पिटल में आंखों के कैंसर से लेकर बच्चों की आई हेल्थ पर रिसर्च होगा। प्री-बॉर्न बेबी की आंखों से लेकर वह सर्जरी भी होगी, जिसके लिए सीएम नीतीश कुमार को दिल्ली AIIMS जाना पड़ा था। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल में आंखों की हर बीमारी का इलाज किया जाएगा। शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्‌डा ने आई हॉस्पिटल काे बिहार की जनता के नाम कर दिया है। पूरी खबर पढ़िए

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